अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ने जिला न्यायाधीश शीरा शींडलिन को लिखे पत्र में कहा कि 39 वर्षीय खोबरागड़े के खिलाफ आरोप बने रहेंगे और यदि वह राजनयिक छूट के बिना अमेरिका आती हैं तो उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
भरारा ने कहा कि ग्रैंड ज्यूरी ने राजनयिक पर उनकी नौकरानी संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन से जुड़ी वीजा धोखाधड़ी और झूठे बयान देने के लिए दो मामलों में अभियोग लगाया है।
भरारा ने अपने पत्र में कहा, ‘अभियोग के लिए अभी किसी अभियोग पत्र की जरूरत नहीं है। हम जानते हैं कि प्रतिवादी (देवयानी) को बिल्कुल हाल में राजनयिक छूट मिली है। उन्होंने कहा कि इसलिए ये आरोप तब तक बने रहेंगे, जब तक वह अदालत में आकर इन आरोपों का सामना नहीं करतीं। फिर चाहे वह ऐसा राजनयिक छूट हटने के बाद करें या बिना छूट के अमेरिका लौटकर।
इस समय और अदालत के समक्ष उनके पेश होने के समय के बीच जो अंतर होगा, उसे स्वत: ही छोड़कर चला जाएगा। ऐसा अमेरिका के तीव्र सुनवाई कानून के तहत होगा, जो प्रतिवादी के उपलब्ध होने में हो रही देरी की अवधि को छोड़ने की अनुमति देता है।
भारत वापसी के लिए विमान में सवार होते समय खोबरागड़े ने कहा, ‘मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और आधारहीन हैं। मैं इनके गलत साबित होने की उम्मीद करूंगी।’
देवयानी खोबरागड़े ने यह सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया कि इस प्रकरण से उनके परिवार पर कोई स्थाई असर न पड़े। यहां खास तौर पर इशारा उनके बच्चों की ओर था, जो अभी भी अमेरिका में ही हैं। देवयानी को ‘इंडिया-यूएस हैडक्वार्टर्स एग्रीमेंट’ के तहत 8 जनवरी को पूर्ण राजनयिक छूट प्रदान की गई थी।
नौ जनवरी को अमेरिका ने भारत से अनुरोध किया कि वह खोबरागड़े की राजनयिक छूट खत्म कर दे लेकिन भारत ने इस अनुरोध को मानने से इंकार कर दिया।
वर्ष 1999 बैच की विदेश सेवा अधिकारी देवयानी को अपनी नौकरानी के वीजा आवेदन में झूठी घोषणाएं करने के आरोप में 12 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2.5 लाख डॉलर के मुचलके पर रिहा किया गया था।
राजनयिक की कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई थी और उन्हें अपराधियों के साथ बंद रखा गया था। उनके साथ इस तरह के व्यवहार के चलते दोनों देशों के बीच तल्खी पैदा हो गई थी । इसके जवाब में भारत ने अमेरिकी राजनयिकों के विशेषाधिकारों में कटौती कर दी थी।
देवयानी के वकील डेनियल अर्शाक ने कहा कि चूंकि उन्हें राजनयिक छूट मिल चुकी है, इसलिए वह देश के बाहर यात्रा कर सकती हैं और वह भारत लौट रही हैं। अर्शाक ने बताया, ‘चूंकि उनके राजनयिक दर्जे को मान्यता दे दी गई है, इसलिए संघीय अदालत ने आज यह माना है कि खोबरागड़े को यात्रा करने का अधिकार है। वह अपने देश लौटने को लेकर खुश हैं। उनका सिर आज ऊंचा है। वह जानती हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और वह इस बात को सुनिश्चित करना चाहती हैं कि सच सामने आए।'
उन्होंने कहा कि खोबरागड़े संघीय वकील भरारा के कार्यालय द्वारा लाए गए ‘आधारहीन’ आरोपों को खारिज करती हैं और ‘ऐसे सबूत उपलब्ध कराना चाहती हैं, जो यह साबित करें कि इस मामले में जांचकर्ता और वकील बार-बार लापरवाह तथा गलत रहे हैं।’ अर्शाक ने कहा कि खोबरागड़े ने कोई झूठे बयान नहीं दिए और अपनी नौकरानी को उतना ही धन दिया, जितना उसे दिया जाना चाहिए था।
अर्शाक ने कहा, ‘हालांकि नौकरानी यहां अल्पावधि के अनुबंध के आधार पर आई थी, जिसके तहत उसे रोजगार खत्म होने पर भारत लौटना था। लेकिन झूठे दावों और लापरवाही पूर्ण जांच की वजह से उसे और उसके परिवार को अब अमेरिका में स्थायी आवास का सुख मिल रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘इस मामले के जांचकर्ताओं ने तथ्यों का पूर्ण अध्ययन न करने की वजह से गंभीर गलतियां की हैं। हम उनकी इन बड़ी गलतियों का सबूत उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।’
इक्कीस पृष्ठों के अभियोग में कहा गया कि खोबरागड़े पीड़िता (नौकरानी रिचर्ड) को अमेरिकी कानून के तहत तय किया गया वेतन या शोषणात्मक कार्य स्थितियों से सुरक्षा नहीं देना चाहती थीं। अमेरिकी कानून के तहत आने वाले ये अनिवार्य नियम विदेशी राजनयिकों और सरकारी अधिकारियों के बीच अच्छी तरह प्रचारित हैं।
अभियोग में कहा गया कि खोबरागड़े ने रिचर्ड के वीजा आवेदन में मासिक आय के रूप में 4500 डॉलर की राशि भरी थी। इसमें कहा गया कि 4500 डॉलर की राशि ‘असल आय की राशि’ से मेल नहीं खाती।
अभियोग में कहा गया कि यह न तो वह मासिक आय थी, जो खोबरागड़े पीड़िता को देने (573 डॉलर प्रति माह) के लिए तैयार हुई थीं और न ही यह पीड़िता की वह मासिक आय थी, जो खोबरागड़े ने झूठे रोजगार अनुबंध के जरिए अमेरिकी दूतावास के सामने पेश की थी। 4500 डॉलर की यह राशि खोबरागड़े की मासिक आय से भी मेल नहीं खाती।
इसमें कहा गया कि खोबरागड़े ने रिचर्ड के साथ एक ‘झूठा रोजगार अनुबंध’ किया और उसे कहा कि यह वीजा हासिल करने के लिए एक ‘औपचारिकता मात्र’ है। खोबरागड़े ने रिचर्ड से कहा कि वह अमेरिकी अधिकारी द्वारा नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में लिए जाने वाले वीजा साक्षात्कार में झूठ बोले।