Thursday, 18 September 2025
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जब वित्तीय स्थिति ठीक है तो रेल विस्तार में अपना हिस्सा क्यों नहीं दे पा रही सरकार?

  • केंद्रीय सहायता पर प्रदेश भाजपा नेता हुए आक्रामक
शिमला/शैल। हिमाचल सरकार केन्द्र के सहयोग के बिना एक दिन भी नहीं चल सकती। जब से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने यह ब्यान दिया है तब से प्रदेश सरकार और प्रदेश भाजपा के नेताओं में केंद्रीय सहायता को लेकर वाकयुद्ध छिड़ गया है। क्योंकि नड्डा को जवाब देते हुये मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह कहा था कि यह एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी है। मुख्यमंत्री के इस जवाब पर भाजपा नेता पूर्व उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने हिमाचल में केन्द्र प्रायोजित चल रही 33 योजनाओं के लिए इस वित्तीय वर्ष के सात महीनों में 2197.26 करोड़ केन्द्र द्वारा दिये जाने का ब्योरा जारी किया है। विक्रम ठाकुर ने हर योजना में जारी हुई राशि के आंकड़े सामने रखे हैं। सुक्खू सरकार इन आंकड़ों को झुठला नहीं पायी है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. बिंदल ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार केंद्रीय योजनाओं में प्रदेश की भागीदारी के हिस्से का पैसा जारी नहीं कर रही है। जब राज्य सरकार योजना लागत का अपने हिस्से का पैसा जारी नहीं करेगी तो निश्चित रूप से उस योजना का काम रुक जायेगा। प्रदेश में जो रेल लाइन विस्तार चल रहा है उसमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 75ः25 की है। प्रदेश सरकार को लागत का 25 प्रतिशत खर्च देना है। लेकिन प्रदेश सरकार अपना हिस्सा नहीं दे रही है। इसके लिये रेलवे बोर्ड ने प्रदेश के मुख्य सचिव के नाम पत्र भेजा है। इस समय भानुपल्ली-बिलासपुर-बरमाणा रेल लाइन और चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन का काम चल रहा है इसमें 75ः25 खर्च की हिस्सेदारी है। यदि प्रदेश सरकार यह पैसा नहीं दे पाती है तो निश्चित रूप से काम प्रभावित होगा। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिये फॉरेस्ट कलियरैन्स का 30 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार द्वारा जमा करवाया जाना है। लेकिन लम्बे अरसे से सरकार यह रकम जमा नहीं करवा पा रही है। इससे कांगड़ा का विकास प्रभावित हो रहा है। स्मरणीय है कि जब कठिन वित्तीय स्थिति का सदन में हवाला देकर वेतन भत्ते निलंबित करने का फैसला लिया था तब उसके दूसरे ही दिन यह कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक है। वेतन भत्ते निलंबित करने का फैसला वित्तीय संचालन सुधारने के लिये लिया गया था। उसके बाद कर्मचारियों और पैन्शनरों को एडवांस में वेतन और पैन्शन का भुगतान करके यह संदेश दिया कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक है कोई संकट नहीं है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि जब जब वित्तीय स्थिति ठीक है तो फिर रेल विस्तार के लिये प्रदेश में चल रही योजनाओं में सरकार अपने हिस्से की भागीदारी क्यों जमा नहीं करवा रही है? केन्द्रीय विश्वविद्यालय के लिये फॉरेस्ट क्लीयरैन्स के 30 करोड़ अब तक जमा क्यों नहीं करवाये गये। क्या सरकार चाहती है कि प्रदेश का हिस्सा जमा न होने पर जब यह काम रुक जायेंगे तब इसके लिये आराम से केन्द्र पर यह आरोप लगाया जा सकता है कि प्रदेश का विकास रोक दिया गया। लेकिन इस मुद्दे पर जिस तरह से प्रदेश भाजपा के नेता मुखर होकर सरकार पर आक्रामक हो गये हैं उसके परिणाम अन्ततः गंभीर होंगे। लेकिन केन्द्रीय सहायता के योजनावार आंकड़े सामने आने के बाद प्रदेश सरकार और कांग्रेस के नेताओं को अपना पक्ष रखना कठिन हो जायेगा। इन आंकड़ों के अनुसार पिछले सात माह में सरकार को केंद्र से यह मिला है।
पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में (1 अप्रैल से 12 अक्तूबर तक) प्रदेश को केंद्र प्रायोजित 33 योजनाओं के तहत 2197.26 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है।
ठाकुर ने बताया कि प्रमुख योजनाओं में मनरेगा (MNREGA) के तहत 395.93 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 196.32 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 162.75 करोड़ रुपये और स्वच्छ भारत मिशन के तहत 11.04 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 582.47 करोड़ रुपये और शहरी क्षेत्रों में 4.47 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। इसके साथ ही, महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति योजना के तहत 15 करोड़ रुपये, जबकि कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत 19.36 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है।
उन्होंने बताया कि न्यायपालिका, सूचना प्रौद्योगिकी, जल संरक्षण और सिंचाई, शिक्षा, और बच्चों के कल्याण जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए भी केंद्र ने भरपूर सहायता प्रदान की है।

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