Saturday, 20 September 2025
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क्या आप प्रदेश में चुनाव लड़ने के प्रति गंभीर है

सिराज में रैली करने की घोषणा क्यों पूरी नहीं हो रही
भाजपा और कांग्रेस के कार्यकालों में शिक्षा और स्वास्थ्य में हुए घोटालों पर चुप्पी क्यों
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का ब्लू प्रिंट क्या है?
क्या कुछ लोग संघ भाजपा से निर्देशित है

शिमला/शैल। इन दिनों दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव चल रहा है। केजरीवाल को सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश उप राज्यपाल कर चुके हैं। हिमाचल के प्रभारी रहे सत्येंद्र जैन ईडी की हिरासत में चल रहे हैं। पंजाब में मुस्से वाला की हत्या के बाद पंजाब में कानून और व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। पंजाब में राघव चड्डा की अध्यक्षता में बनाई सलाहकार कमेटी को अदालत में चुनौती दी जा चुकी है। केजरीवाल के मॉडल को रेवड़िया बांटना करार देकर प्रधानमंत्री इससे बचने की सलाह दे चुके हैं। यह सब कितना सही या गलत है इसका पता तो आने वाले समय में ही लगेगा। लेकिन अभी जनता केजरीवाल के अच्छी शिक्षा व्यवस्था और अच्छे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने तथा भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदों से प्रभावित होकर उसके गिर्द इक्ठी हो ही रही है। इसका ताजा उदाहरण सोलन की प्रस्तावित रैली थी। इसमें केजरीवाल खराब मौसम के कारण शामिल नहीं हो सके। लेकिन इसके बावजूद सोलन में मौसम के खराब होते हुये भी दस हजार लोगों का आना अपने में इस बात का प्रमाण है कि लोग बदलाव चाहते हैं। जनता में भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रति रोष है। इस रोष को यदि सही दिशा मिल गई तो इसके परिणाम निश्चित रूप से चौंकाने वाले हो सकते हैं। इस परिपेक्ष में यह आवश्यक हो जाता है कि आप जब लोगों से यह वायदे कर रही है तो इसी के साथ उससे यह भी पूछा जाये कि इन वायदों को पूरा करने के लिये आर्थिक संसाधन कहां से आयेंगे? क्या इसके लिये जनता पर करों का बोझ डाला जायेगा या उसके सिर कर्ज का भार बढ़ाया जायेगा। क्योंकि केंद्र से वही आर्थिक सहायता मिलेगी जो नियमानुसार राज्य का हक होगा। अभी पंजाब की जो आर्थिक स्थिति चल रही है उसमें किस तरह से चुनाव में किये गये वायदों को पूरा किया जाता है यह देखना भी दिलचस्प होगा। क्योंकि पंजाब उन तेरह राज्यों की सूची में शामिल है जो आरबीआई के मुताबिक कर्ज लेन की सारी सीमाएं लांघ चुके हैं। यदि केंद्र इन राज्यों की सहायता नहीं करता है तो उनकी स्थिति श्रीलंका जैसी हो सकती है। यह चेतावनी रिजर्व बैंक की है। हिमाचल में भी कर्ज कैग के मुताबिक सीमाएं लांघ चुका है। ऐसे में जनता अभी तो लोकलुभावन वायदों से प्रभावित हो सकती है जैसे मोदी के अच्छे दिन और पन्द्रह-पन्द्रह लाख हरेक के खातों में आने से प्रभावित हुये थे। जबकि आज साधारण खाद्य पदार्थों पर भी जीएसटी लगाने की नौबत आ गयी हैै। ऐसे में आज प्रदेश में आप के प्रति जो रुझान जनता का कुछ-कुछ बनता जा रहा है उसमें जनता के सामने राज्य की व्यावहारिक स्थिति रखना आप के स्थानीय नेतृत्व की जिम्मेदारी हो जाती है। लेकिन स्थानीय नेतृत्व शिक्षा और स्वास्थ्य के मंत्र जाप से आगे बढ़ नहीं पा रहा है। इसमें भी वह यह ब्लू प्रिन्ट सामने नहीं ला पाया है कि सुधार संभव होगा कैसे? इसमंे यह संदेश उभर रहा है की या तो स्थानीय नेतृत्व को प्रदेश की जानकारी ही नहीं है या वह फिर कहीं भाजपा से निर्देशित तो नहीं हो रहा है। क्योंकि मण्डी में मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र सिराज में जो जयराम को घेरने के लिये रैली करने की घोषणा सत्येंद्र जैन की थी अब लगता है कि इस घोषणा को नेतृत्व भूल ही गया है। यही नहीं शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के शासन कालों में क्या-क्या घोटाले हुये हैं उन पर भी जनता के सामने न तो कोई जानकारियां रखी जा रही है न ही उन पर कोई सवाल पूछे जा रहे हैं। इस समय तो यही आकलन बन रहा है कि आप प्रदेश विधान का चुनाव बहुत गंभीरता से नहीं लड़ना चाह रहा है। जबकि इस समय भी आप में कुछ लोग ऐसे हैं जो आर एस एस की प्रदेश इकाई की हर गतिविधि और रणनीति की जानकारी रखते हैं। बल्कि चर्चा तो यहां तक है कि यह लोग वाकायदा संघ की अनुमति लेकर ही आप में शामिल हुये हैं। शायद इन्हीं कारणों से आप का प्रदेश में आगे बढ़ना रुक सा गया है।

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