Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

क्या कांग्रेस की एकजुटता भाजपा के लिये चुनौती बन पायेगी

शिमला/शैल। क्या प्रदेश कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार का बदला 2019 में ले पायेगी? उस समय केन्द्र और प्रदेश दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें थी और मण्डी से स्वयं वीरभद्र की पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह चुनाव मैदान में थी। लेकिन भाजपा उस समय चारों सीटें कांग्रेस से छीनने में सफल हो गयी थी। आज केन्द्र और राज्य में दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या वीरभद्र और कांग्रेस इस हार का बदला ले पायेंगे? यह सवाल तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब वीरभद्र सिंह ने मण्डी से चुनाव लड़ने की हामी भर दी हो और इस हामी के बाद वह सुक्खु के साथ एक मंच पर भी आ गये हों। एक मंच पर आकर पहली बार यह देखने को मिला कि जब दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ एक शब्द नही बोला। वीरभद्र और सुक्खु के एक साथ आने से यह सन्देश तो चला ही गया है कि पार्टी नेतृत्व में अपने सारे मनभेद और मतभेद भुलाकर एकजुट खड़ा हो गया है। लेकिन क्या अकेले इस एक जुटता से ही 2014 के परिणामों को पलटने में सफल हो जायेंगे? यह सवाल भी इस एकजुटता के साथ ही खड़ा हो गया है और यह सवाल इसलिये उठा है क्योंकि अभी जब सरकार अपना एक साल पूरा होने का जश्न मना रही थी उसी दिन कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ राज्यपाल को एक आरोपपत्र सौंपा। 
यह आरोपपत्र आने के बाद कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठे हैं क्योंकि यह आरोप उसकी वरीयता के अनुरूप गंभीर नही थे। बल्कि जो आरोप ठाकुर राम लाल ने कुछ समय पूर्व बिलासपुर में एक पत्रकार वार्ता में लगाया था वह तक इस आरोप में दर्ज नही हो पाया। इस तरह के कई गंभीर मुद्देे ऐसे रहे हैं जिन्हे यदि आरोपपत्र में शामिल किया जाता तो सरकार के लिये गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती थी लेकिन ऐसा नही हो पाया है। इससे यही उभरता है कि या तो कांग्रेस आरोप पत्र बनाने में ही गंभीर नही और उसके लिये उसने ईमानदारी से कोई तैयारी ही नही की या फिर नीयत ही साफ नही थी। इस समय देश की राजनीति जिस मुहाने पर खड़ी है उससे यह आंशका बनती जा रही है कि आने वाले चुनावों में हिसां तक हो सकती है। इस चुनाव में जो तथ्य पूर्ण आक्रामकता से जनता के सामने आयेगा उसी का पलडा भारी रहेगा। 
इस परिप्रेक्ष में प्रदेश कांग्रेस ईकाई को प्रदेश सरकार के खिलाफ भी आक्रामक होना पड़ेगा। क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी प्रदेश की जनता का ध्यान आकर्षित करना पड़ेगा। लेकिन अभी तक इस तरह की तैयारी कांग्रेस की ओर से सामने नही आ पायी है। जबकि यह चुनाव पूरी तरह आक्रामक होने जा रहा है। इस समय कांग्रेस के खिलाफ सरकार के पास भाजपा के आरोप पत्र का एक बड़ा हथियार सुरक्षित पड़ा है। हांलाकि सरकार इस पर अभी तक गंभीर नही है लेकिन यह गंभीरता कभी भी आ सकती है। फिर वीरभद्र सिंह और परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनीलाॅंड्रिंग के मामले लंबित चल रहे हैं। मनीलाॅंड्रिंग में ईडी वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर की जमानत रद्द करवाने का प्रयास कर ही चुकी है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि राजनीति में कभी भी कुछ भी घटित हो सकता है। इसमें यह भी स्पष्ट हो जाता है कि जो पहले आक्रामकता अपना लेता है वह विरोधी पर भारी पड जाता है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि कांग्रेस और सरकार में से कौन पहले आक्रामकता अपनाता हैं क्योंकि वीरभद्र और सुक्खु की एकजुटता से सियासी समीकरणों में जो बदलाव आया है उससे इस तरह की आक्रामकता की संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook