Friday, 19 September 2025
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बड़े मीडिया संस्थान बिकने को तैयार दिखे-कोबरा पोस्ट के स्टिंग आप्रेशन में सनसनी खेज़ खुलासा

शिमला/शैल। देश के बड़े मीडिया संस्थानों की विश्वसनीयता पर लम्बे अरसे से सवाल उठने शुरू हो गये हैं। यह आरोप लग रहा है कि मीडिया संस्थानों में संपादकों का स्थान मालिकों ने ले लिया है और  मालिक ‘यथा राजा तथा प्रजा’ हो गये हैं। इसी के चलते बहुत सारे पत्रकार भी पत्रकारिता के सरोकारों को छोड़कर मालिकों और राजा की हां में हां मिलाने वाले हो गये हैं। पिछले दिनो इंडिगो की फ्लाईट में जिस तरह का संवाद पत्रकार अर्णव गोस्वामी और व्यंग्यकार कुणाल कामरा के बीच घटा है और उस पर केन्द्रिय मन्त्री हरदीप पुरी ने जो संज्ञान लेकर कामरा की फ्लाईटस पर छः माह का प्रतिबन्ध लगा दिया है तथा इस पर अर्णव गोस्वामी ने कोई प्रतिक्रिया नही दी है। इससे मीडिया की विश्वसनीयता के आरोपों को स्वतः ही बल मिल जाता है। आज देश जिस दौर से गुजर रहा है उसमें मीडिया की भूमिका पर फिर सवाल उठने लगे। इन सवालों से कोबरा पोस्ट के स्टिंग आप्रेशन को पाठकों के सामने रखने की आवश्यकता लग रही है। यह स्टिंग आप्रेशन लोकसभा चुनावों से पहले हुआ था लेकिन इस पर संबधित मीडिया ने कोई बड़ी प्रतिक्रिया/या कारवाई नही उठाई थी। आज 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों में 347 चुनाव क्षेत्रों में जिस तरह की विसंगतियां पायी गयी हैं उसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर है जिस पर चुनाव आयोग को जवाब के लिये नोटिस जारी हो चुका है। इसी सबको ध्यान में रखते हुए कोबरा पोस्ट का यह स्टिंग वायर से साभार शैल के पाठकों के सामने रखा जा रहा है।                 -संपादक

मीडिया का सूरते हाल

अपनी खोजी पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले कोबरा पोस्ट ने देश के मीडिया जगत की पोल खोलने वाले खुलासे की दूसरी किश्त शुक्रवार को जारी की।
गौरतलब है कि 26 मार्च को जारी हुई कोबरापोस्ट के इस खुलासे, जिसे ‘आॅपरेशन 136’ नाम दिया गया है, की पहली किश्त में देश के कई नामचीन मीडिया संस्थान सत्ताधारी दल के लिए चुनावी हवा तैयार करने के लिए राजी होते नजर आए थे।
इनमें इंडिया टीवी, दैनिक जागरण, सब टीवी नेटवर्क, (श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन नेटवर्क) , जी सिनर्जी एंड डीएनए, हिंदी खबर, 9 एक्सटशन, समाचार प्लस, एचएनएन लाइव, पंजाब केसरी, स्वतंत्र भारत, स्कूपव्हूप, रेडिफ डाॅट काॅम, आज (हिंदी डेली), साधना प्राइम न्यूज, अमर उजाला, यूएनआई जैसे मीडिया जगत के बड़े नाम शामिल थे।
जिन चार बिंदुओं पर पहली किश्त में खुफिया कैमरे की सहायता से कोबरापोस्ट ने मीडिया घरानों का काला सच उजागर किया था, उन्हीं बिंदुओं को आधार बनाकर इस दूसरी किश्त में टाइम्स आॅफ इंडिया, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, जी न्यूज, स्टार इंडिया, नेटवर्क 18, सुवर्णा, एबीपी न्यूज, दैनिक जागरण, रेडियो वन, रेड एफएम, लोकमत, एबीएन आंध्र ज्योति, टीवी-5, दिनामलार, बिग एफएम, के न्यूज, इंडिया वाॅयस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, पेटीएम, भारत समाचार, स्वराज एक्सप्रेस, बर्तमान, दैनिक संवाद, एमवीटीवी और ओपन मैग्जीन से संपर्क साधा।
पहला बिंदु था, मीडिया संस्थान अभियान के शुरुआती और पहले चरण में हिंदुत्व का प्रचार करेगा, जिसके तहत धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाएगा।
दूसरा, इसके बाद विनय कटियार, उमा भारती, मोहन भागवत और दूसरे हिंदुवादी नेताओं के भाषणों को बढ़ावा देकर सांप्रदायिक तौर पर मतदाताओं को जुटाने के लिए अभियान खड़ा किया जाएगा।
तीसरा, जैसे ही चुनाव नजदीक आ जाएंगे, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को टारगेट किया जाएगा।
राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को पप्पू, बुआ और बबुआ कहकर जनता के सामने पेश किया जाएगा, ताकि चुनाव के दौरान जनता उन्हें गंभीरता से न ले और मतदाताओं का रुख अपने पक्ष में किया जा सके।
चैथा, मीडिया संस्थानों को यह अभियान उनके पास उपलब्ध सभी प्लेटफाॅर्म पर जैसे- प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक, रेडियो, डिजिटल, ई-न्यूज पोर्टल, वेबसाइट के साथ-साथ सोशल मीडिया जैसे-फेसबुक और ट्विटर पर भी चलाना होगा।
कोबरापोस्ट के लिए पूरी तहकीकात पत्रकार पुष्प शर्मा ने श्रीमद् भगवद गीता प्रचार समिति, उज्जैन का प्रचारक बनकर और खुद का नाम आचार्य छत्रपाल अटल बताकर की। उन्होंने पूरी पड़ताल के दौरान हर जगह अपनी एक ही पहचान बताई और एक अनुभवी गीता प्रचारक के वस्त्र पहने। उन्होंने दावा किया कि वे आईआईटी दिल्ली और आईआईएम बेंगलुरु के छात्र रहे हैं।
पुष्प ने मीडिया संस्थानों को झांसे में लेने के लिए स्वयं को राजस्थान के झुंझुनू का रहने वाला बताया और कहा कि वे अब आॅस्ट्रेलिया में बस गए हैं और स्काॅटलैंड में अपनी ई-गेमिंग कंपनी चलाते हैं।
कभी-कभी पुष्प ने अपनी सभी मान्य पहचानों का उपयोग किया, ताकि वे अपना एक अखिल भारतीय चरित्र दिखाकर मीडिया मालिकों को प्रभावित कर सकें। उन्होंने बताया कि वे अपने संगठन के आदेश पर आने वाले चुनावों में सत्ताधारी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए एक गुप्त मिशन पर निकले हैं।
उन्होंने अपने अभियान को चलाने के एवज में मोटी रकम देने की बात कही। लालच में आकर सभी मीडिया घरानों ने एजेंडे को हाथों-हाथ लिया।
कोबरापोस्ट वेबसाइट का दावा है कि मौके को भुनाने के लिए लगभग सभी मीडिया संस्थानों ने अपने सिद्धातों से समझौता कर लिया। हालांकि, दो संस्थानों ने ऐसा न करके एक मिसाल भी पेश की। पश्चिम बंगाल की वर्तमान पत्रिका और दैनिक संवाद ने कोबरापोस्ट के पत्रकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
बाकी सभी संस्थान आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रवचन के जरिए हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए सहमत होते नजर आए। सांप्रदायिक उद्देश्य के साथ मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने संबंधित सामग्री प्रकाशित करने पर सहमत हुए।
सभी संस्थानों ने सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने पर भी सहमति जताई।
यहां तक कि इस सौदेबाजी का हिस्सा बनने के लिए मीडिया घरानों को काले धन के रूप में नकद भुगतान लेने के लिए भी राजी होते दिखे और तीसरे पक्ष या किसी एजेंसी के माध्यम से काले धन को सफेद करके उसे अन्य रास्तों से स्वीकार करने में भी उन्हें आपत्ति नहीं थी।
जो मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहलाती है और जिससे निष्पक्षता के साथ सरकार की आलोचना और अवाम की व्यथा को आवाज देने की उम्मीद की जाती है, कोबरापोस्ट के ‘आॅपरेशन 136’ की दूसरी कड़ी में उसी मीडिया समूह के मालिक बातचीत में खुद को हिंदुत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से जुड़े होने की बात गर्व के साथ कहते नजर आ रहे थे।
साथ ही सांप्रदायिक राह के साथ मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की क्षमता के साथ सामग्री प्रकाशित करने पर सहमत हुए।
कोबरापोस्ट द्वारा जारी वीडियो क्लिपिंग में कई ऐसे भी हैं, जो सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट पोस्ट और प्रकाशित करने के लिए तैयार हुए।
इनमें से कई इस सौदे को हर हाल में हासिल करने के लिए और अपने ग्राहक के काले धन को खपाने के लिए कैश पेमेंट के लिए भी तैयार दिखे।
इनमें से कई संस्थानों के अधिकारी थर्ड पार्टी या एजेंसी के माध्यम से काले धन को सफेद कर उसे दूसरे रास्ते से हासिल करने के लिए सहमत हुए। यहां तक कि कुछ ने तो आंगड़िया जैसे हवाला के रास्ते का भी सुझाव दिया।
जाहिर है कि इससे पत्राकारिता के मूल सिद्धांत, उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान तो लगता ही है।
उक्त मीडिया घरानों ने केवल सत्ताधारी दल के पक्ष में स्टोरी चलाने पर ही सहमति नहीं जताई, बल्कि विरोधी दलों के खिलाफ बाकायदा एक जाल बुनकर अपनी टीम से उनकी तहकीकात कराने और उनके खिलाफ स्टोरी चलाने पर भी रजामंदी जाहिर की।
कई संस्थान इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बाकायदा विज्ञापन बनाने पर भी सहमत हुए। वे अपनी क्रिएटिव टीम तक को इस अभियान के उद्देश्य को पूरा करने में झोंकने के लिए तैयार थे।
शर्त के अनुसार, सभी ने यह अभियान उनके पास उपलब्ध तमाम प्लेटफाॅर्म जैसे प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक, एफएम रेडियो, न्यूज पोर्टल, वेबसाइट और सोशल मीडिया पर चलाने की हामी भरी।
कोबरापोस्ट के मुताबिक कुछ ने तो केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, मनोज सिन्हा, जयंत सिन्हा, मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी के खिलाफ खबरें चलाने पर भी सहमति दी।
यहां तक कि ये संस्थान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में भाजपा के सहयोगी दलों के बड़े नेताओं जैसे अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर और उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भी खबरें चलाने के लिए तैयार थे।
साथ ही, कुछ संस्थानों को आंदोलन करने वाले किसानों को माओवादियों के तौर पर प्रस्तुत करने से भी परहेज नहीं था। वे राहुल गांधी जैसे नेताओं की ‘चरित्र हत्या’ करने के लिए खास सामग्री तैयार करने और उसे बढ़ावा देने को भी राजी हो गए।
चलाई जाने वाली सामग्री को इस तरह पेश किया जाए कि वह पेड न्यूज न दिखे, इसकी भी रूपरेखा उनके पास थी।
लगभग सभी एफएम रेडियो स्टेशन अपने खाली एयर टाइम पर किसी खास ग्राहक को एकाधिकार देने के लिए भी तैयार हुए।
कोबरापोस्ट ने कहा है कि स्टिंग आॅपरेशन में उसके पत्रकार को उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर का भी सहयोग मिला। राजभर की सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी ने पुष्प शर्मा को स्टिंग के दौरान पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई का प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के तौर पर पेश होने में मदद की।
वहीं, आॅपरेशन 136 की दूसरी कड़ी कोबरापोस्ट द्वारा जारी करने से पहले ही दैनिक भास्कर दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया। इसलिए कोबरापोस्ट द्वारा खुलासे से अखबार का नाम दूर रखा गया है।
कोबरापोस्ट ने कहा है, ‘24 मई 2018 को मिले माननीय दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशानुसार हम अपनी तहकीकात में दैनिक भास्कर समूह को फिलहाल शामिल नहीं कर रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने हमारा पक्ष सुने बिना ही दैनिक भास्कर के पक्ष में आदेश पारित किया है और हम इस आदेश को चुनौती देंगे।’
आॅपरेशन 136 की दूसरी कड़ी में कोबरापोस्ट का दावा है कि तकनीक के इस दौर में किसी भी खास एजेंडे को मोबाइल ऐप के जरिए जनता तक पहुंचाने में एक प्रभावी माध्यम ढूंढा जा सकता है। जिसके संबंध में उन्होंने पेटीएम का उदाहरण पेश किया है और कहा है कि किसी खास एजेंडे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पारंपरिक मीडिया जैसे टीवी चैनलों या अखबारों की जरूरत नहीं है। एक साधारण से मोबाइल ऐप के जरिए भी पलक झपकते ही वो कर सकते हैं जो पारंपरिक मीडिया की मदद से नहीं किया जा सकता है।
स्टिंग के अनुसार पेटीएम के बड़े अधिकारियों से हुई बातचीत में न केवल इनकी भाजपा विचारधारा का खुलासा हुआ बल्कि संघ के साथ कंपनी के संबंधों की भी बात सामने आई है और यह भी साबित हुआ है कि पेटीएम पर उपभोक्ताओं का डाटा सुरक्षित नहीं है, जैसा कि कंपनी का दावा है।
इस पूरी तहकीकात को ‘आॅपरेशन 136’ नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वर्ष 2017 के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत विश्व में 136वें पायदान पर है।
वहीं, खुलासे में यह भी सामने आया कि अधिकांश मीडिया घराने, खासकर क्षेत्रीय मीडिया घराने या तो राजनेताओं के स्वामित्व में हैं या राजनेताओं द्वारा संरक्षित हैं। जैसे कि ‘एबीएन आंध्र ज्योति’ एक तेलुगू टीवी समाचार चैनल है, जो तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू द्वारा संरक्षित है।
इसी चैनल के चीफ मार्केटिंग मैनेजर ईवी शशिधर कैमरे पर कहते सुने जा सकते हैं कि उनका चैनल उस बड़े पैमाने पर स्थापित है कि वह कर्नाटक के चुनावी नतीजों को भी प्रभावित कर सकता है।
तो, यह भी सामने आया है कि चेन्नई से प्रकाशित 70 साल पुराने ‘तमिल दैनिक’ के मालिक लक्ष्मीपति आदिमूलम और उनका परिवार भी संघ को लेकर गहरी निष्ठा रखता है।
साथ ही आॅपरेशन के दौरान सामने आया कि मोदी के प्रचार में मदद करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए साफ्टवेयर को भी आयात किया गया है।
इस तहकीकात के दौरान कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की निष्ठा पर भी सवाल उठे जिनमें पुरुषोत्तम वैष्णव जो जी मीडिया के रीजनल न्यूज चैनलों में सीईओ हैं, अपनी खोजी टीम से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ स्टोरी कराने और उनके जरिए उन्हें झुकाने पर हामी भरते नजर आए।
स्टिंग के दौरान पुरुषोत्तम ने कहा, ‘कंटेंट में जो आपकी तरफ से इनपुट आएगा वो शामिल हो जाएगा। हमारी तरफ से जो कंटेंट जनरेट होगा तो खोजी पत्रकारिता हम करते हैं, करवा देंगे, जितना हम लोगों ने की है उतना किसी ने नहीं की होगी। वो हम लोग करेंगे।’
कोबरापोस्ट का दावा है कि उनकी जांच यह स्थापित करती है कि आरएसएस न केवल न्यूजरूम में बल्कि भारतीय मीडिया घरों के बोर्ड रूम में भी गहराई से घुसपैठ कर चुका है। वे सत्तारूढ़ दल के प्रति अपनी निष्ठा को स्वीकार करते हैं।
इस संबंध में उदाहरण देते हुए कोबरापोस्ट की ओर से कहा गया है कि बिग एफएम के सीनियर बिजनेस पार्टनर अमित चैधरी अपनी कंपनी और सत्तारूढ़ दल के बीच रिश्ते को स्वीकार करते हैं और कहते हैं, ‘वैसे भी रिलांयस बीजेपी का सपोर्टर ही है।’
वहीं, ओपन मैग्जीन के जिन अधिकारियों से बात की गई, वे कहते देखे जा सकते हैं, ‘आचार्य जी शायद आप भी बिजी रहते हैं आप शायद ‘ओपन’ देखते नहीं हैं रेगुलर। मैं आपको एक बात बताता हूं ‘ओपन’ जितना सपोर्ट करते हैं संगठन का शायद ही कोई करता होगा।’
वहीं, टाइम्स ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन और उनके सहयोगी कार्यकारी अध्यक्ष संजीव शाह के साथ भुगतान नकद में करने से संबंधित बातचीत का जिक्र है जहां दोनों अधिकारी नकद में भुगतान लेने से आनाकानी के बाद स्वयं ही नकद रकम को अलग-अलग तरीकों से रूट करने की सलाह देते है। विनीत जैन कहते नजर आते हैं, ‘और भी व्यापारी होंगे जो हमें चेक देंगे, आप उन्हें नकद दे दो।

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