शिमला/शैल। देवभूमि कहलाये जाने वाले प्रदेश में रेप, महिला अत्याचार और मादक द्रव्यों के मामलों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। जनवरी 2018 से 31-7-2019 तक अपराध के 30814 मामले दर्ज हुए हैं। जिनमें रेप 544, एनडीपीएस 2080, अपहरण के 732, महिला अत्याचार 317, अभद्रता 789 और आबकारी के 4351 मामले शामिल हैं। इन अपराधों का इस गति से बढना जहां प्रदेश की कानून और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है वहीं पर आने वाले समय में सामाजिक संरचना के लिये भी एक चिन्ताजनक संकेत हैं।
इसमें चिन्ताजनक यह भी है कि जांच ऐजैन्सीयों की कार्यशैली भी ऐसे मामलों में सवालों के घेरे में आ जाती है क्योंकि अदालतों में इनकी सफलता अभी तक 43.48% तक ही पहुंच पायी है। अपराध को लेकर जो मामलें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज हैं उसकी सफलता का रेट तो केवल 10.71% ही रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली सबसे बड़ी ऐजैन्सी है। यदि उसके पास आये मामलों की अदालत में सफलता 10% तक ही पहुंच पायी है तो यह सरकार के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टाॅलरैन्स के दावों पर न केवल सवाल ही खड़े करती है बल्कि उसकी प्रतिबद्धता पर भी अविश्वास पैदा करती है।
आबकारी में तो अपराध का बढ़ना सीधे सरकार के राजस्व को चोट पहुंचाता है। इसमें मामलों का बढ़ना संवद्ध प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। अपराध के इन 30814 मामलों का जो जिलावार रिकार्ड सामने आया है उसमें कांगड़ा, मण्डी, कुल्लु और शिमला का ग्राफ अन्य जिलों के जनसंख्या अनुपात में ज्यादा बढ़ना अपने में ही गंभीर सवाल खड़े करता है। विभागीय सूत्रों की माने तो शायद बहुत सारे मामलों का तो रिकार्ड पर संज्ञान ही नही लिया जाता है। यह आम चर्चा है कि नशे के बढ़ते कारोबार को कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसके लिये सोलन में एक बड़े राजेनता की गाड़ी से चिट्टा बरामद करके नेता की गाड़ी को रिकार्ड से हटा देना और केवल ड्राईवर के खिलाफ मामला बनाना। बीबीएन से पिछले दिनों एसपी की ट्रांसफर और मण्डी में उस इन्सपैक्ट का दूसरे ही दिन तबादला कर देना जिसने नशे के कारोबारियों के खिलाफ हाथ डाला था संरक्षण के बड़े संकेतक माने जा रहे हैं।