शिमला/शैल। इन्वैस्टर मीट के प्रयासो से प्रदेश में 93000 करोड़ का निवेश आने का दावा करने वाली जयराम सरकार के समय में 15.11.2019 तक केवल 168 उद्योग ईकाईयों को र्सैंद्धान्तिक रूप से स्वीकृत प्रदान की गयी है। यह ईकाईयां सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, ऊना, शिमला, बिलासपुर तथा मण्डी जिलों में स्थापित होगी। इनमें 5435.87 करोड़ का निवेश होने की संभावना हैं। इनमें से 30 ईकाईयां उत्पादन में आ गयी है और इनमें 1689 लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है। पहले से ही स्थापित 77 ईकाईयों ने विस्तार करने के लिये एमओयू हस्ताक्षरित किये हैं
सरकार इन्वैस्टर के प्रयासों में पिछले एक वर्ष से लगी हुई है। इसके लिये देश से लेकर विदेश तक इन्वैस्टर मीट करने के बाद अभी धर्मशाला में एक बड़ा आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन करने स्वयं प्रधानमंत्री आये थे। इन्वैस्टर मीट के लिये सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर चुकी है। बल्कि 12 करोड़ तो इसके लिये केन्द्र सरकार ने दिये हैं। इन साल भर के सारे आयोजनों पर सरकारी सूत्रों के मुताबिक करोड़ो रूपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन अब तक केवल 168 ईकाईयों को ही सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृति दी गयी है। जिनमें 5435.87 करोड़ के निवेश की संभावना है। ऐसे में यह स्वभाविक है कि 93000 करोड़ के निवेश का दावा पूरा होने में दशकों लग जायेंगे और जीडीपी की जो इस समय स्थिति है उसे देखते हुए यह सारे दावे हवा-हवाई ही साबित न हो यह आशंका अभी से उभरने लग पड़ी है।
सरकार द्वारा इन आयोजनों पर जिस साही तरीके से खर्च किया गया है और उसके बाद पैट्रोल डीजल का वैट और रसोई गैस की कीमते बढ़ाई गई है उससे इस सब के औचित्य पर सवाल उठने भी स्वभाविक हैं। विधानसभा का शीतकालीन सत्र इन सवालों के लिये सबसे उपयोगी मंच सिद्ध हुआ है। इस सत्र के पहले ही दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने जिस तरह से यह सवाल सदन में रखा है और उसका विधानसभा अध्यक्ष सहित पूरे सता पक्ष ने इसका विरोध किया है उससे जन आशंकाओं को बल मिल जाता है।
कांग्रेस विधायकों ने तपोवन में शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही इंवेस्टर मीट को लेकर जयराम सरकार पर संगीन लांछनों की झड़ी लगा दी। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने शोकोदगार के बाद इंवेस्टर मीट का पर चर्चा की मांग करते हुए संगीन इल्जाम लगाया कि इंवेस्टर मीट पर कुछ नौकरशाहों की मिलीभगत से जयराम सरकार ने हिमाचल के अब तक इतिहास का संभवतः सबसे बड़ा घोटाला कर डाला है।
उन्होंने कहा कि ये 16 करोड़ का घोटाला है। कांग्रेस भी चाहती है कि प्रदेश में निवेश हो लेकिन सरकार ने जिस तरह का तौर-तरीका अपनाया है उससे लगता है कि ये हिमाचल के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हो जाएगा।
मुकेश ने अपने इल्जामों में कुछ नौकरशाहों को भी लपेट लिया व कहा कि नौकरशाहों ने साजिश रच कर ये घोटाला किया है। जिस समय नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सदन में ये इल्जाम लगा रहे थे, उस समय अधिकारी दीर्घ में इंवेस्टर मीट आयोजित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नौकरशाहों में मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग मनोज कुमार व प्रधान सचिव आबकारी व कराधान और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आइपीएस अधिकारी संजय कुंडू मौजूद थे। इस बीच सतापक्ष व विपक्ष दोनों की ओर से नारेबाजी व शोरगुल शुरू हो गया।
मुकेश का कहना था कि तमाम काम छोड़कर इस मसले पर चर्चा की जाए। सदन का माहौल शांत करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल कुछ कहने के लिए अपनी सीट पर खड़े हो गए लेकिन नेता प्रतिपक्ष नहीं रुके और सरकार पर एक के बाद एक करके संगीन इल्जामों की झड़ी लगा दी।
दोनों ओर से हो रही नारेबाजी और शोरगुल के बीच बिंदल कई देर तक नजारा देखते रहे व बाद में उन्होंने शोरगुल के बीच विधानसभा की कार्यवाही को आगे बढ़ा दिया व कांग्रेस विधायकों ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट कर दिया।
वाकआउट के बाद में बिंदल ने नेता प्रतिपक्ष व अन्य कांग्रेस विधायकों की ओर से नियम 67 के तहत नोटिस को नामंजूर कर दिया।
विपक्ष की ओर से वाकआउट करने के बाद जयराम ठाकुर ने इसे प्रदेश में निवेश रोकने के लिए कांग्रेस विधायकों की साजिश करार दिया व आगाह किया कि सरकार ईमानदारी से इस दिशा में आगे बढ़ रही है, इस तरह का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में क्या किया है वह सब सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री खुद उद्योग मंत्री रह चुके है। इन्होंने बंगलोर, मुबंई, अहमदाबाद और दिल्ली में इंवेस्टर मीट के नाम पर चार धाम किए व एक भी पैसे का निवेश नहीं आया। जयराम ने कहा कि इंवेस्टर मीट के लिए 12 करोड़ रुपए तो केंद्र सरकार ने ही दिए है। उन्होंने मुकेश अग्निहोत्री की ओर से सदन में इस्तेमाल भाषा पर भी तल्खी में नाराजगी जताई व कहा कि विकास के मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ईंट का जवाब पत्थर से देगी।