Friday, 19 September 2025
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इन्वैस्टर मीट में उभरी राजनीति के अंजाम पर लगी निगाहें

शिमला/शैल। दो दिवसीय इन्वैस्टर मीट को जहां सत्तापक्ष बड़ी उपलब्धि मान रहा है वहीं पर विपक्ष ने इसे गैर जरूरी करार देते हुए आर्थिक कठिनाईयों के मध्य फिजूल खर्ची कहा है। विपक्ष यह आरोप इस कारण से लगा रहा है कि एक ओर तो सरकार हर माह कर्ज ले रही है और पेट्रोल, डीजल तथा रसोई गैस की कीमतें बढ़ाने को बाध्य हो गयी है। ऐसे में इस स्तर पर सरकारी संसाधनों की कीमत पर यह मैगा शो करना आम आदमी के साथ क्रूर मजा़क हो जाता है। विपक्ष के इन आरोपों को यदि राजनीति से प्रेरित भी मान लिया जाये तो प्रलोभनों के सहारे निवेश को आमन्त्रित करने को प्रधानमन्त्री ने भी जायज नहीं ठहराया है। लेकिन इस मीट के माध्यम से जयराम की सरकार और भाजपा के संगठन की जो अन्दरूनी खेमेबाजी आम आदमी के सामने आ गयी है उसके परिणाम कालान्तर सरकार की सेहत पर भारी पड़ने वाले हैं।
इस समय प्रदेश के दो नेता जगत प्रकाश नड्डा और अनुराग ठाकुर केन्द्र में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में बैठे हुए हैं नड्डा आज भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं तो इससे पहले वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। स्वास्थ्य मन्त्री के नाते नड्डा के देश -विदेश के फार्मा जगत में बहुत अच्छे रिश्ते रहे हैं इन रिश्तो का लाभ उनके माध्यम से जयराम सरकार फार्मा उद्योग में निवेश हालिस करने में उठा सकते थे। लेकिन इस पूरी मीट में नड्डा का जिक्र किसी भी स्थान पर नही आया। नड्डा एक तरह से इस आयोजन से दूर ही रहे हैं और राजनीतिक तथा प्रशासनिक हल्कों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी तरह अनुराग ठाकुर आज केन्द्र में वित्त राज्य मन्त्री हैं और महत्वपूर्ण भूमिका में हैं क्योंकि वही अकेले वित्त मन्त्रालय में राज्यमंत्री हैं। धर्मशाला का अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है। यह स्टेडियम दलाईलामा के बाद इस शहर का दूसरा आकर्षण है। लेकिन इस मीट के प्रबन्धकों ने महामहिम दलाईलामा और क्रिकेट स्टेडियम को इसमें जिस तरह की प्रौजेक्शन दी है उससे कई लोगों के माथे पर शिकन की लकीरें साफ पढ़ी जा सकती है।
यही नहीं विधानसभा का  चुनाव भाजपा ने धूमल को भावी मुख्यमंत्री घोषित करके लड़ा था लेकिन इस आयोजन से उनको ऐसे दूर रखा गया जिससे फिर राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में नयी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इस समय जयराम सरकार की परफारमैन्स का अन्दाजा दोनों विधानसभा उपचुनावों के परिणामों से लग जाता है। चार माह में ही जीत के अन्तराल में इस तरह की कमी आ जाना वोट की राजनीति में किसी को भी विचलित कर सकता है। ऊपर से सरकार की आर्थिक सेहत बहुत अच्छी नहीं है। अभी जो पैट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ें हैं उसने बैठे बिठाये कांग्रेस को महंगाई के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। सरकारी खर्चे पर इस मैगा शो के आयोजन ने विपक्ष को सरकार पर हिमाचल बेचने और लूटने के आरोप लगाने का खुला मौका दे दिया है। सरकार के पास इन आरोपों का कोई ठोस जवाब नहीं है। ऐसे में राजनीतिक हल्कों में अभी से यह चिन्ता व्यक्त की जाने लगी है कि यदि संभावित निवेश अमली जामा न ले पाया तो सरकार कर्ज लेकर घी पीने के आरोपों से नहीं बच पायेगी। क्योंकि इस निवेश के माध्यम से बड़े बाबू आने वाले दिनों में और कर्ज लेने की भूमिका तैयार कर रहे हैं जितना निवेश आयेगा उससे उतना ही जीडीपी बढ़ेगा और उसी अनुपात में कर्ज लेने का आधार बन जायेगा। अन्यथा भारत सरकार के वित्त मन्त्रालय ने मार्च 2017 में ही प्रदेश सरकार को उसके कर्ज लेने की सीमा से अवगत करवा रखा है। इस सीमा से कितना अधिक कर्ज सरकार ले चुकी है इसकी जानकारी तो 2017-18 की कैग रिपोर्ट से सामने आयेगी। यह रिपोर्ट 2019 के बजट सत्र में आ जानी चाहिये थी लेकिन अभी तक नहीं आ पायी है। यह एक बड़ी चिन्ता बनी हुई है और इससे बाहर निकलने के लिये ही इस मैगा मीट का जोखिम उठाया गया है।
यदि किन्ही कारणों से इस मीट के वांच्छित परिणाम नहीं आ पाते हैं तो आने वाले दिनों में सरकार को और कर्ज लेना कठिन हो जायेगा। कर्ज न मिलने पर हर तरह का संकट गहरा जायेगा और इसके लिये एकदम नेतृत्व के सिर पर सारी जिम्मेदारी डाल दी जायेगी। स्वभाविक है कि जब इस तरह के  हालात पैदा हो जाते हैं तो वोट की राजनीति पर आश्रित लोग अपने को असुरक्षित महसूस करने लग जाते हैं और फिर नया सहारा तलाशने लग जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का स्पष्ट मानना है कि जिस तरह के राजनीतिक ध्रुवीकरण के संकेत इस मीट में उभरे हैं उनकी अगली कड़ी नेतृत्व परिवर्तन की मांग तक आ सकती है। क्योंकि इस मीट में जिस तरह से प्रबन्धकों का प्रबन्धन सामने आया है उस पर अनुराग ठाकुर ने ईशारों -ईशारों में अपने भाषण में जयराम सरकार व उनके शीर्ष नौकरशाहों को अपनी नाराजगी का इजहार भी कर दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस मीट से दो महत्वपूर्ण चीजें गैर हाजिर है। धर्मशाला की पहचान बौद्ध धर्मगुरू दलाईलामा से है। उनसे आशीर्वाद लेने दुनिया भर से तमाम लोग आते हैं उनका कहीं कोई जिक्र नहीं है। इसके अलावा धर्मशाला का क्रिकेट स्टेडियम भी आयोजकों की ओर से जितनी भी प्रेजेंटेशन दिखाई गई उसमें से यह गायब है। जब वह यह भाषण दे रहे थे तो जयराम सरकार के सबसे ताकतवर अधिकारियों में दूसरे स्थान पर के अधिकारी संजय कुंडू मौजूद थे।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस स्टेडियम की वजह से धर्मशला से चार उड़ाने शुरू हुई। यहां पर बड़े होटल बनने शुरू हुए। सालाना स्टेडियम देखने सात लाख लोग पहुंचते है। उन्होंने यहां आए निवेशकों का आहवान किया कि वह स्टेडियम देखने जरूर जाएं। अनुराग ठाकुर विदेशी निवेशकों के एक समूह के साथ खुद स्टेडियम देखने गए। साफ है कि सत्ता केंद्रों में किस तरह की तलवारें खींची हुई है।

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