शिमला/शैल। प्रदेश का अगला मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर चल रही अटकलों पर शीघ्र ही विराम लगने की स्थिति आ खड़ी हुई है। क्योंकि वर्तमान मुख्य सचिव विनित चौधरी 30 सितम्बर को हो रही उनकी सेवानिवृति से पूर्व छुट्टी लेकर विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा पर जाते समय चौधरी का कार्यभार किसको दिया जाता है इस पर अफरशाही की नज़रें लगी हुई हैं। सरकार ने इस नियुक्ति के लिये अभी तक कोई अधिकारिक प्रक्रिया भी शुरू नही कर रखी है। इस समय 1983 और 1984 बैच के जो अधिकारी भारत सरकार में सेवाएं दे रहे हैं उन्हे इस नियुक्ति हेतु वापिस बुलाने के आशय का कोई पत्रा भारत सरकार के कार्मिक विभाग को नही भेज रखा है। ऐसे में वरियता क्रम में चौधरी के बाद उनकी पत्नी उपमा चौधरी का स्थान आता है। वह भी केन्द्र सरकार में सेवारत हैं और उन्हे भी वापिस बुलाने को कोई पत्रा भारत सरकार को नही गया है। लेकिन यदि कोई अधिकारी केन्द्र से अपने प्रदेश में वापिस आना चाहता है तो वह ऐसा करने के लिये स्वतन्त्रा रहता है। उसके लिये राज्य सरकार से पत्रा भेजे जाने की भी अनिवार्यता नही रह जाती है।
ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि उपमा चौधरी स्वयं ही केन्द्र सरकार से वापिस आ सकती है। संभावना जताई जा रही है कि वह विनित के छुट्टी पर जाने से पहले वापिस आ सकती है। वापिस आने के बाद जब चौधरी छुट्टी पर जायेंगे तो स्वभाविक रूप से वरियता के आधार पर चौधरी का कार्यभार उन्हें ही दिया जायेगा। इस तरह जब एक बार कार्यभार मिल जायेगा तो उसे नियमित करने में तब तक कठिनाई नही आयेगी जब तक कि मुख्यमन्त्रा स्पष्ट रूप से इन्कार न कर दें और उसकी संभानाएं कम मानी जा रही है।
इन संभावनाओं को इससे भी बल मिलता है कि इन दिनों चौधरी के सरकारी आवास में रिपेयर का काम बड़े स्तर पर चला हुआ है। चौधरी 30 सितम्बर को तो सेवानिवृत हो रहे हैं। फिर सेवानिवृति से कुछ ही दिन पहले आवास पर इतने बड़े स्तर पर रिपेयर करवाने से भी यही संकेत मिलता है कि अभी उस आवास में लम्बे समय तक रहने की योजना है और योजना तभी संभव हो सकती है जब या तो उपमा चौधरी मुख्य सचिव बनकर वहां रहे या फिर स्वयं चौधरी को सेवानिवृति के बाद कोई और बड़ी जिम्मेदारी सरकार में मिल जाये। वैसे यह दोनां संभावनाएं भी एक साथ घट सकती है। माना जा रहा है कि चौधरी भी सेवानिवृति से पूर्व जो छुट्टी लेकर विदेश यात्रा पर जा रहे हैं उसके पीछे भी यही रणनीति काम कर रही है अन्यथा वह सेवा निवृति के बाद आराम से विदेश यात्रा पर जा सकते थे। फिर अगले मुख्य सचिव के चयन का दायरा भी 1983 बैच तक ही रहेगा। क्योंकि इस बैच के बाद के अधिकारी कैग की टिप्पणी और कैट में गयी चौधरी की याचिका के तर्क के आधार पर नियमित अतिरिक्त मुख्य सचिव नही माने जा सकते हैं। इस गणित से भी उपमा चौधरी का मुख्य सचिव बनना तय माना जा रहा है। लेकिन यह तभी संभव है यदि उपमा विनित चौधरी के छुट्टी पर जाने से पहले ही प्रदेश में वापिस आ जाती है।
दूसरी ओर यह सवाल भी अपनी जगह खड़ा है कि अभी तक सरकार ने उपमा को या अन्य किसी अधिकारी को मुख्य सचिव बनाये जाने के आग्रह का पत्रा क्यों नही भेजा। ऐसे में यदि उपमा किसी कारण से चौधरी के छुट्टी पर जाने से पहले प्रदेश में वापिस नही आ पाती है तो उस स्थिति मे मौजूदा अधिकारियों में से ही किसी को कार्यभार सौंपना होगा। इस स्थिति में फिर यह सवाल आयेगा कि क्या यह कार्यभार वरिष्ठतम अधिकारी को ही दिया जायेगा या नही। उपमा की अनुपस्थिति में वी.सी. फारखा ही अगले उपलब्ध वरिष्ठ अधिकारी हैं। ऐसे में यदि फारखा को नज़रअन्दाज़ करके किसी अन्य को यह कार्यभार सौंपा जाता है तब जयराम सरकार पर भी वही आरोप लगेगा जो वीरभद्र सरकार पर लगा था। इस स्थिति में यह जयराम सरकार के लिये एक कठिन परीक्षा का समय होगा। इस वस्तुस्थिति में यह भी संभावना हो सकती है। कि विनित चौधरी छुट्टी पर जाना ही स्थगित कर दें। वैसे भी उन्होने छुट्टी के आवेदन में यह स्पष्ट नही किया है कि वह कितने दिनां के लिये जायेंगे। कुछ प्रशासनिक हल्कां में चौधरी के इस कदम को सरकार की नीयत को भांपने की रणनीति भी माना जा रहा है।