आम आदमी पार्टी के निलंबित मन्त्री कपिल मिश्रा ने पार्टी आरोप लगाया है कि पार्टी को 2013-14 और 2014-15 में जो चन्दा मिला उसकी आयकर, चुनाव आयोग और पार्टी की बेवसाईट पर अलग-अलग जानकारी दी है। मिश्रा के मुताबिक पार्टी को चुनाव आयोग को 9.42 करोड़ बताया। आयकर ने जब नोटिस दिया तब वहां 30 करोड़ दिखा दिया। 2014-15 में 65.52 करोड़ मिला लेकिन साईट पर 27.48 करोड़ तथा चुनाव आयोग को 32.46 करोड़ दिखाया। मिश्रा ने 35-35 करोड़ के दो चैक बिना किसी तारीख के भी पार्टी के नाम आये होने का आरोप लगाया है मिश्रा का यह भी आरोप है कि पार्टी चन्दे के नाम पर कालेधन को सफेद करने का काम कर रही है और यह सब अरविंद केजीरवाल की जानकारी में हो रहा है। मिश्रा ने इन आरोपों पर सीबीआई में शिकायत दर्ज करवाकर केजरीवाल के खिलाफ कारवाई करने की मांग करने का भी दावा किया है। मिश्रा को जब बर्खास्त किया गया था उसके बाद उन्होने स्वास्थ्य मन्त्री सत्येन्द्र जैन द्वारा केजरीवाल को दो करोड़ देने का भी आरोप लगाया है । नील नाम के एक व्यक्ति ने मिश्रा को यह जानकारियां जुटाने में सहयोग देने का दावा किया है।
आम आदमी पार्टी ने आरोपों को निराधार बताते हुए पार्टीे नेता संजय सिंह ने मिश्रा की तर्ज पर ही भाजपा के नाम पर भी 70 करोड़ का एक चैक आया हुआ मीडिया को दिखाया है। मिश्रा ने 2013-14 और 2014-15 मंे चन्दे के नाम पर घपला होने का आरोप लगाया है। मिश्रा को अभी मई के प्रथम सप्ताह में मन्त्री पद से बर्खास्त किया गया है। अथार्त जब यह घपले बाजी हुई उस समय मिश्रा पार्टी के कमर्ठ कार्यकर्ता और मन्त्री थे। जिसका अर्थ है कि मिश्रा उस समय पार्टी हित में इस पर खामोश रहे यदि मिश्रा को अब नील के माध्यम से यह जानकारियां मिली हैं तो यह स्पष्ट हो चुका है कि नील के भाजपा नेताओं और कुछ अन्य केजरीवाल विरोधियों से नजद़ीकी रिश्ते हैं। नील के कुछ भाजपा नेताओं के साथ सामने आये फोटोग्राफ से यह प्रमाणित होे जाता है। इसका अर्थ यह है कि इस सबके पीछे कहीं न कहीं भाजपा का हाथ है। बहुत संभव है कि मिश्रा की शिकायत पर सीबीआई मामला दर्ज करके केजरीवाल के खिलाफ कारवाई करे। आयकर ने पहले ही चन्दे के मामले को लेकर ‘आप’ के दावे को अस्वीकार कर दिया है। चुनाव आयोग भी चन्दे की पूरी और सही जानकारी न देने को लेकर पार्टी की मान्यता रद्द करने तक की कारवाई कर सकता है। क्योंकि जबसे आप ने विधानसभा पटल पर ईवीएम को हैक करके दिखा दिया है तब से चूनाव आयोग का रूख भी पार्टी के प्रति और कड़ा हो गया है। यदि कल को सभी राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के सामने आप वोटिंग मशीन को हैक करके दिखा देता है तो उससे पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल जायेगा यह तय है।
ऐसे में जो महत्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं उन पर एक बड़ी चर्चा की आवश्यकता हो जाती है। इस समय केन्द्र में भाजपा की सरकार है और भाजपा ने देश को कांग्रेस मुक्त करने का संकल्प ले रखा है पिछले लोक सभा चुनावों में कांग्रेस को जो हार मिली है उससे अब तक बाहर नही निकल पायी है। उसके बाद हर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार ही मिली है लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस अभी तक सबसे बडे़ राजनीतिक दल के रूप में गिनी जाती है। कांग्रेस भाजपा के बाद कोई भी राष्ट्रीय स्तर का राजनीतिक दल नहीं है। आम आदमी पार्टी भले ही गोवा में बुरी तरह हारी है। लेकिन पंजाब में जितनी भी सफलता मिली है उससे अभी भी उसके राष्ट्रीय विकल्प बनने की संभवना खत्म नहीं हुई है। क्योंकि मोदी सरकार के सारे दावों और योजनाओं के बावजूद मंहगाई, बेरोजगारी और भष्ट्राचार के बडे मुद्दों पर आम आदमी को कोई राहत नही मिल पायी है अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य अभी भी उसकी पहुंच से दूर है। फिर भाजपा को जो प्रचण्ड बहुमत मिला है और उसके पीछे संघ की जो विचारधारा कार्यरत है। उसके चलते कब यही बहुमत पार्टी की सबसे बड़ी समस्या बन जाये कोई आश्चर्य नही होगा। क्योंकि जिन कार्यक्रमों पर पार्टी काम कर रही है उससे बुनियादी सवाल हल होना संभव नही है। डिजिटल होने पर प्रधानमन्त्री जितना बल दे रहे हैं उस पर अभी हुए साईवर अटैक ने एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
इस परिदृश्य में भाजपा के लिये आज राजनीतिक दृष्टि से आप ही एक बड़ी चुनौती है बल्कि एक तरह से अब के सारे स्थापित राजनीतिक दलों के लिये भी आप ही एक बड़ी चुनौती होगी। फिर यह तो स्वभाविक है कि कोई भी अपना सशक्त हिस्सेदार नहीं चाहेगा और इसके लिये आप को रोकने में सभी अपरोक्ष में इक्कठे हो जायेंगे आज कपिल मिश्रा ने जो आरोप लगाये हैं उनकी जानकारी केन्द्र सरकार और उसकी संवद्ध ऐजैन्सीयो के पास तो पहले से ही रही है। लेकिन वह इसके आधार पर अब तक कोई कारवाई नहीं कर पाये हैं । स्पष्ट है कि कारवाई के लिये सक्षम आधार नहीं है लेकिन इतने पर ही कोई भी जांच ऐजैन्सी जांच तो शुरू कर सकती है। इसमें पार्टी विधायकों को बडे़ स्तर पर दल-बदल भी आयोजित किया जा सकता है। क्योंकि जिस तरह से इसके पीछे भाजपा के कुछ नेताओं का हाथ होने की संभावना दिख रही है उससे कुछ संभव हो सकता है। दिल्ली से राज्य सभा के चुनावों से पहले सरकार को अस्थिर करने की योजना हो सकती है। इसके लिये आम आदमी पार्टी को सारी संभावनाओं के लिये तैयार रहना होगा। इसी के साथ हर राज्य में संगठन की ईकाईयां खड़ी करनी होगी ताकि सभी राज्यों से ऐसी साजिशों को नाकाम करने के लिये एक बराबर आवाज उठे। आज संगठन के सशक्त न होने के कारण ही इस तरह के हथकण्डों को अंजाम दिया जा रहा है। जबकि जहां-जहां कांग्रेस और भाजपा सत्ता में रह चुकी है वहां पर तो संगठन को इनके भ्रष्टाचार पर खुलकर हमला बोलना चाहिये। क्योंकि यदि इस तरह की साजिशों से आप को खत्म करने का खेल सफल हो जाता है तो यह एक राष्ट्रीय नुकसान होगा। इस समय एक कारगर राजनीतिक विकल्प की आवश्यकता है।