प्रशंसा और सहयोग के हकदार है मोदी

Created on Friday, 11 November 2016 05:12
Written by Baldev Sharma

प्रधानमन्त्री मोदी ने एक साहसिक फैंसला लेकर एक हजार और पांच सौ के नोटों की कानूनी वैधता समाप्त किया जाने की घोषणा करके काले धन के खिलाफ एक एक प्रभावी कदम उठाया है। इसके लिये मोदी और उनकी टीम बधाई की पात्र है। इस फैंसले के लिये देश की जनता उन्हे लम्बे समय तक याद रखेगी इसमें कोई दो राय नही हो सकती क्योंकि देश के अन्दर एक लम्बे वक्त से काले धन को लेकर बहस चली आ रही थी। कई बार काले धन के आंकडे उछाले जाते रहे हैं। स्वामी रामदेव ने काले धन को लेकर आन्दोलन तक छेड़ने का प्रयास किया था। 2014 के लोक सभा चुनावों से पूर्व मोदी ने वायदा किया था कि यदि वह सत्ता में आते है तो सौ दिन के भीतर देश के बाहर रखे गये धन को वापिस लाया जायेगा। इस धन के वापिस आने से प्रत्येक भारतीय के खाते में पन्द्रह लाख आने का दावा किया था। लेकिन इस वायदे को पूरा करना आसान नहीं था। विदेशों से काला धन वापिस लाने के लिये एक लम्बी और जटिल कानूनी प्रक्रिया वांछित थी। इस पक्रिया पर यू पी ए सरकार के समय में भी कदम उठाये गये थे अब वित्त मन्त्री अरूण जेटली ने इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया है और कई देशों से इस संबंध में समझौते भी हस्ताक्षरित हो चुके हैं। लेकिन इस प्रक्रिया के तहत वांछित परिणाम आने में समय लगना स्वभाविक है। इस समय लगने की सच्चाई को जानने समझने के बावजूद प्रत्येक भारतीय के खाते में 15 लाख आने के दावे वायदे को मोदी सरकार की आलोचना और असफलता का हथियार बनाया गया।
जहां एक और काला धन समस्या थी वहीं दूसरी और बढ़ती आंतकवादी घटनाएं चिंता का विषय बनती जा रही थी इस पर भी मोदी की आलोचना होनी शुरू हो गयी थी। सवाल किये जाने लगे थे कि 56 इंच का सीना अब कहां है इसका जवाब भी मोदी ने आतंकी बेस कैंपो पर सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से दिया। भले ही वन रैंक वन पैंशन का मुद्दा अभी पूरी तरह हल नहीं हो पाया है और पूर्व सैनिक रामकिशन की आत्महत्या के बाद इस पर राजनैतिक बवाल भी खड़ा हो गया है। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक और वन रैंक वन पैंशन को अलग - अलग करके देखना होगा। इसलिए हजार और पांच सौ के नोटों की कानूनी वैधता समाप्त करना तथा सर्जिकल स्ट्राइक पर मोदी प्रशंसा और सहयोग के हकदार हैं।
काला धन जितना देश के बाहर है उससे कहीं अधिक देश के भीतर हैं आज रियल इस्टेट और गोल्ड मार्किट में काला धन स्पष्ट देखा जा सकता है। क्योंकि कोई भी बिल्डर प्लैट/मकान /प्लाट की घोषित कीमत की सारी अदायगी चैक से नहीें लेता है और जो अदायगी चैक से नही होती है वह काला धन है। सारी घूसखोरी कालाधन है। सारा चुनाव काले धन के सिर पर लड़ा जाता है। ठेकेदारी में काले धन की बड़ी भूमिका है। कुल मिलाकर आज कालाधन दैनिक क्रिया का एक अभिन्न अंग बन गया है। आंतकवाद काले धन के बिना एक दिन नहीं टिक सकता। नशे का सारा कारोबार कालेधन का ही पर्याय है। कोई भी गैर कानूनी काम काले धन के बिना नहीं चल सकता। बेरोजगारी, मंहगाई और आंतकवाद तथा भ्रष्टाचार का आधार यह काला धन ही है। इस काले धन से निपटने के लिये करंसी में इस तरह का फैंसला लिये जाने के अतिरिक्त और कोई कारगार विकल्प ही नही। क्योंकि कोई भी धन तभी काला धन बनता है जब उसका स्त्रोत वैध न हो। ऐसे धन का सबसे ज्यादा बेनामी संपत्तियों में होता है। मोदी सरकार ने इसी वर्ष कालेधन और बेनामी संपत्तियों को वैध करने के लिये आयकर विभाग के माध्यम से मुहिम चलाई। अब इस योजना के समाप्त होते ही हजार और पांच सौ के नोटों का चलन रोक दिया। सरकार के इन दोनो कदमों के एक साथ आने से सरकार की नीयत पर सन्देह करने का कोई कारण नहीं रह जाता है। हर आदमी सरकार के इस कदम की सराहना कर रहा है। भले ही उसे पहले दिनों व्यवहारिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। इस कदम के बाद चुनावों को भी कालेधन से मुक्त किये जाने की योजना आनी चाहिए। यदि चुनाव कालेधन से मुक्त हो जाये तो लगभग सारी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी यह तय है।