आप फिर संकट में

Created on Monday, 05 September 2016 05:54
Written by Baldev Sharma


शिमला। आम आदमी पार्टी की दिल्ली प्रदेश सरकार के माध्यम से ही पार्टी की छवि देश में बनेगी इसमें किसी को भी कोई सन्देह नहीं होना चाहिये। पार्टी और उसकी सरकार का जो आचरण दिल्ली में रहेगा उसी का सन्देश पूरे देश में जायेगा। इसी का प्रभाव हर प्रदेश मेे संगठन की ईकाईयां गठित करने में पडे़गा।आम आदमी पार्टी अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का ही प्रतिफल है इसमें भी कोई राय नहीं हो सकती। अन्ना आन्दोलन के दो ही बड़े मानक थे भ्रष्टाचार के खिलाफ पूर्ण प्रतिबद्धता और व्यक्तिगत आचरण की शुचिता।

इन मानकों पर यदि पार्टी और सरकार का आकलन किया जाये तो जो परिदृश्य उभरता है उसमें संकट के संकेत स्पष्ट उभरते दिख रहे हैं। अभी तक सरकार के पांच मन्त्रियों के खिलाफ कारवाई करने की नौबत आ चुकी है। जब तोमर की डिग्री को लेकर आरोप लगे थे तो काफी समय तक उसका बचाव किया गया। लेकिन अन्त में केजरीवाल को स्वीकारना पड़ा कि तोमर ने उन्हे गुमराह किया। अब संदीप कुमार के खिलाफ एक आपत्ति जनक सी.डी. सामने आने पर उसे पद से हटाया गया है। इस पर संदीप कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया मंे कहा है कि उसे दलित होने के नाते फसाया गया है। संदीप की यह प्रतिक्रिया एकदम हल्की और रस्मी है। क्योंकि जब भी किसी दलित राजनेता के खिलाफ गंभीर आरोप आते हैं तो सबसे सुलभ प्रतिक्रिया दलित होने की ही आती है। बंगारूलक्ष्मण ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी थी। लेकिन इसमंे केजरीवाल की यह प्रतिक्रिया की संदीप के आचरण से पूरे आन्दोलन के साथ धोखा हुआ है एक महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति है। अभी तक जितने भी मंन्त्रियों और विधायकों के खिलाफ आरोप आये हैं उनके खिलाफ कारवाई करने में संकोच नहीं किया गया है यही एक सरकार की कार्यशैली का सबसे प्रभावी प्रमाण रहा है। लेकिन संगठन के स्तर पर अभी तक कोई ऐसी ही कारवाई सामने नहीं आ पायी है। यह आने वाले समय में चिन्ता और चर्चा का विषय बनेगा। इस पर यह तर्क ग्राहय नहीं होगा कि भाजपा और काग्रेंस में ऐसे ही मामलों पर क्या कारवाई हुई है। केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेन्द्र कुमार को लेकर भी कारवाई करने में देरी हुई है और आज यह सारे प्रसंग एक बड़ा सवाल बनकर सामने आ खड़े हुए हैं।
पंजाब में प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष छोटेपुर के खिलाफ जिस तरह का आरोप लगा है उससे एक बड़ा विवाद खड़ा होता नज़र आ रहा है। क्योंकि मान का बचाव जिस तर्क पर किया जा रहा है वह भी अपने में कोई बड़ा पुख्ता नहीं है। क्योंकि सांसद होने के नाते जो विडियो मान ने बनाये हैं क्या यदि कोई साधारण नागरिक उसी तरह का विडियो बनाता तो क्या उसके खिलाफ कारवाई की जाती? मान ने एक स्थापित संहिता का उल्लंघन किया है भले ही इसके पीछे उनकी कोई मंशा अन्यथा नहीं रही होगी। लेकिन इस आचरण पर सार्वजनिक खेद व्यक्त करने के बजाये उसे सही ठहराने का प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि किसी भी स्थापित नियम/परम्परा का विरोध करके उसमें परिवर्तन लाने के लिये पहले वैचारिक धरातल तैयार करना आवश्यक है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा भी प्राप्त नहीं है इस नाते उसके अधिकारों की अपनी एक सीमा है। उसी सीमा को लाघंने के लिये दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिये। दिल्ली की जिस जनता ने आपको 70 में से 67 सीटों पर चुनावी विजय दिलायी है वह ऐसे आन्दोलन के लिये पूरा साथ देती। दिल्ली सरकार को पूर्ण अधिकार दिलाने के लिये जनान्दोलन का रास्ता अपनाया जाना चाहिये था। ऐसी मांग का विरोध कोई ना कर पाता। लेकिन आज अदालती लड़ाई में सारा परिदृश्य ही बदल गया है।
आज पूरे देश में संगठन खड़ा किया जाना है। देश कांग्रेस और भाजपा का विकल्प चाहता है। क्योंकि इन दलों के भीतर जिस तरह से धनबल और बाहुबल के प्रभाव के कारण विधान सभाओं से लेकर संसद तक अपराधिक मामले झेल रहे लोग माननीयों की पंक्ति में आ बैठें हैं उनसे छुटकारा पाना इनके लिये कठिन है। आम आदमी पार्टी को इस संस्कृति से बचने के लिये अभी से सावधान रहने की आवश्यकता है। पार्टी अभी संगठन के गठन की प्रक्रिया मंे चल रही है इसलिये संगठन में किसी को कोई भी जिम्मेदारी देने के लिये कुछ मानक तय करने होंगे और उनका कड़ाई से पालन करना होगा। आज संगठन के लिये राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष /संयोजक चाहिये। इस समय केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमन्त्राी और संगठन के राष्ट्रीय संयोजक दोनों की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। लेकिन संगठन को खड़ा करने के लिये उन्हें बड़ी भूमिका में आना होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष/ संयोजक के नाते भी सरकार पर पूरी नज़र रख सकते हैं। इस समय भी उन्होंने किसी भी विभाग की जिम्मेदारी अपने पास नहीं रखी है। ऐसे में वह दिल्ली की पूरी जिम्मेदारी सिसोदिया को सौंप सकते हैं और स्वयं राष्ट्रीय जिम्मेदारी के लिये मुक्त हो जाते हैं। इस समय संगठन में यदि तोमर और संदीप कुमार जैसे लोग अन्दर आ गये तो उन्हे आगे चलकर बाहर करना कठिन हो जायेगा।