एफ डी आई कुछ सवाल

Created on Wednesday, 29 June 2016 06:19
Written by Shail Samachar

एफ डी आई कुछ सवाल !
शिमला:-  केन्द्र सरकार ने पन्द्रह क्षेत्रों में एफ डी आई निवेष के मानदण्डो में संशोधन किया है। इस संशोधन से कई क्षेत्रों में सौ फीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खोल दिया गया है। जिन क्षेत्रों में सौ फीसदी विदेशी निवेश को हरी झण्डी दी गई हैं उनमें टाऊनशिप, शापिंग काम्पलैक्स, व्यापारिक केन्द्रो का निर्माण, काफी रबर और कुक तेल, मैडिकल उपकरण रेवले, तथा एटीएम आप्रेशनज आदि शामिल है। गैर प्रवासी भारतीयों को फेेमा के शडूयल चार में संशोधन चार में संशोधन करके खुले निवेश की सुविधा देे दी गयी हैं विकासात्मक निर्माण के क्षेत्रा में एफ डी आई के तहत होने वाले निवेश में एरिया की न्यूतम और अधिकतम
सीमाओं की बंदिश से भी छुट दे दी गई है। इसमें केवल 30% हाऊसिंग गरीब तबकांे के लिये होनी चाहिये की ही शर्त रखी गई है। प्राईवेट सैक्टर के बैंको में 74% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सुविधा कर दी गई हैं एफडी आई के तहत होने वाले उत्पादन को निर्माता सीधे सरकार की अनुमति के बिना ही थोक और खुदरा तथा ई-कार्मस के माध्यम से बेचने के लिये स्वतन्त्रा रहेंगे । इस तरह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कृषि पशुपानल आदि क्षेत्रों के लिये खोल दिया गया है। सौ फीसदी निवेश वाले क्षेत्रों में सरकार की स्वीकृति की भी आवश्यकता नही है। निवेशक के मानदण्डों में सशोंधन का प्रभाव आम आदमी पर क्या पडेगा इसका खुलासा तो आने दिनो में ही सामने आयेगा। लेकिन यह तय है कि जब निर्माताओं को थोक और खुदरा बिक्री ई कामर्स के माध्यम से दे दी गयी है तो इसकी सीधा प्रभाव हर क्षेत्रा के छोटे और मध्यम स्तर के दुकानदार पर पेड़गा। क्योंकि इस क्षेत्रा में कार्यरत दुकानदार और छोटा कारखानेदार विदेशी वस्तुओं की बराबरी नहीं कर पायेगा। एमजान और स्नैपडील को ई कामर्स को लेकर मध्यम स्तर का दुकानदार पहले ही चिन्ता जता चुका है। सरकार इस विदेशी निवेश के माध्यम से देश को निर्माण का केन्द्र बनाना चाहती है। सरकार का दावा है कि इससे रोजगार के अवसर बढेगें ।
लेकिन इसी विदेशी निवेश को लेकर जब यूपीए सरकार ने पहल की थी तब भाजपा के वरिष्ठ नेता डाक्टर मुरली मनोहर जोशी और आज केन्द्रिय मन्त्री राजीव प्रताप रूडी इसके प्रखर आलोचकों के रूप में सामने आये थे। आज संघ से जुडा स्वदेशी जागरण मंच इस निवेश का विरोध कर रहा हैं यह विरोध अगर यूपीए के समय में जायज था तो आज भी यह उतना ही जायज और प्रासंगिक है। इस संद्धर्भ में कुछ बुनियादी सवाल खड़े होते है क्योंकि जब से विदेशी निवेश के दारवाजे खूले है तब से मंहगाई और बेरोजगारी के आंकडे बढे़ हैं ऐसा क्यों हुआ है इसके कई अध्ययन सामने आ चुके है। मूल प्रश्न है कि हमें विदेशी निवेश आवश्यकता क्यों है? क्या देश के काले धन के विदेशों में पड़े होने के बडे़ बड़े आंकडे आये थे। इस काले धन को वापिस लाकर प्रत्येक के बैंक खाते में पन्द्रह लाख आने के दावे किये गये थे जो पूरे नहीं हुए है और न ही हो सकेगें।
एफडीआई को लेकर यह भी आशंका जताई जा रही है कि इसके माध्यम से अपने ही कालेधन को निवेश के रूप में सामने लाया जायेगा।
यह आशंका कितनी सही हैं इसका खुलासा भी आने वाले दिनों में ही सामने आयेगा। लेकिन आज हाऊसिग निमार्ण के सारे क्षेत्रों में शतप्रतिशत विदेशी निवेश की स्वीकृति दे दी गयी है। जबकि देश के अन्दर बिल्डर अब माफिया की शक्ल ले चुका है। इस बिल्डर माफिया को नियन्त्रित करने की सरकारों से मांग की जा रही है। लेकिन एफ डीआई के नाम पर आने वाले इन बिल्डरों को हर तरह की छूट का प्रावधान कर दिया गया है क्यों? सरकार निवेश के लिए पूंजी आमन्त्रित करना चाह रही है जो क्या इसका यह सरलतम तरीका नहीं हो सकता कि इस कथित काले धन को देश के अन्दर निवेश के रास्ते खोल दिये जाये। आज देश का लाखों करोड़ का काला धन विदेशों में पडा हेै उससे देश में किसी को कोई लाभ नही मिल रहा है। यदि इस काले धन पर से सारी बंदिशे हटाकर भयमुक्त करके सीधे निवेश के लिये आमन्त्रित कर लिया जाये तो पूंजी की सारी समस्या ही हल हो जाती है।