लोकतांत्रिक व्यवस्था में जब चुनाव आयोग और सरकार की विश्वसनीयता दोनों पर एक साथ सवाल उठने शुरू हो जायें तो यह स्थिति एक बड़े खतरे का संकेत मानी जाती है। आज देश में इन्हीं के साथ न्यायपालिका भी सवालों के घेरे में आती जा रही है। क्योंकि सत्ता न्यायपालिका को अपने अनुसार चलाना चाहती हैं। जब सत्ता अपने को श्रेष्ठतम मान लेती है और संविधान द्वारा स्थापित संस्थाएं उनके नियोजकों द्वारा सत्ता के आगे गिरवी रख दी जाती है तब शुद्ध रूप से अराजकता का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। एक समय ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता पर उठे सवाल आज चुनाव आयोग ही नहीं वरन् स्वयं मुख्य चुनाव आयुक्त तक पहुंच गये हैं। बिहार के पहले चरण के मतदान में जिस स्तर की गड़बड़ियां होने के वीडियो वायरल हुये हैं और इस आशय की शिकायतों पर जो चुप्पी मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपना रखी है उसके बाद कुछ भी कहने के लिये शेष नहीं रह जाता है। क्योंकि सवाल मुख्य चुनाव आयुक्त से किये जा रहे हैं और उनका जवाब आने की बजाये सत्ता सवाल उठाने वालों पर ही आक्रामक हो उठी है।
राहुल गांधी ने जिस दस्तावेजी प्रमाणिकता के साथ सवाल उठाये हैं उसके कारण देश का ‘‘जन जी’’ उसके साथ खड़ा होता जा रहा है। क्योंकि यह सवाल इस युवा पीढ़ी के भविष्य को प्रभावित करने वाले हैं। केन्द्र से लेकर राज्यों तक जब सरकार वोट चोरी से बनने लग जायेगी तो निश्चित रूप से उन सरकारों की विश्वसनीयता स्थायी नहीं रह पायेगी। ऐसी सरकारें अपने को सत्ता में बनाये रखने के लिये हर मर्यादा लांघने को तैयार हो जायेगी। पिछले ग्यारह वर्षों से जिस तरह की सरकार देश देख रहा है भोग रहा है उसमें महंगाई और बेरोजगारी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दावा करने वाली सरकार आज विश्व बैंक के कर्जदारों की सूची में पहले स्थान पर पहुंच चुकी है। रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिरता जा रहा है। विदेशी मुद्रा भण्डार हर सप्ताह कम होता जा रहा है। रिजर्व बैंक को सोने तक बेचना पड़ गया है। आने वाले समय में इस सब का देश पर क्या असर पड़ेगा। नयी पीढ़ी जो हर समय इन्टरनेट के माध्यम से हर जानकारी तक पहुंच रही है उसे लम्बे अरसे तक बहलाया नहीं जा सकेगा।
यह देश बहुभाषी और बहू धर्मी है इस देश में भाषायी और धार्मिक मतभेद खड़े करके बहुत देर तक सत्ता में बने रहना संभव नहीं होगा यह तय है। इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के प्रयास देश की एकता और अखण्डता के लिये कालान्तर में एक बड़ा खतरा प्रमाणित होंगे। इस सच्चाई को सत्ता में बैठे लोगों को जल्द से जल्द स्वीकार करना ही होगा। आज वोट चोरी के आरोपों ने देश में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है। हरियाणा में पच्चीस लाख फर्जी वोटों का आरोप है। एक ब्राजील की महिला का नाम एक बूथ में बाईस बार मतदाता सूचियों में आ जाता है। इस आरोप की जांच करवाने का ऐलान करने की बजाये जब आरोप लगाने वाले को ही गाली देना शुरू कर दोगे तो उससे समस्या का हल नहीं निकलेगा। राहुल गांधी ने जितने भी आरोप लगाये हैं उनकी जांच आदेशित करके उसके परिणाम के बाद तो राहुल पर सवाल उठाये जा सकते हैं परन्तु उससे पहले ही सवाल उठाकर सत्ता अपने आप को जनता में हास्य का पात्र बना रही है।
संभव है कि बिहार के परिणाम के बाद देश की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिले। क्योंकि वोट चोरी के आरोप यहीं रुकने वाले नहीं है यह एक जन आन्दोलन की शक्ल लेंगे क्योंकि आरोपों में घिरी सत्ता आसानी से सब स्वीकार नहीं करेगी। इसके लिये बड़े स्तर पर एक बार फिर राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ का दौड़ शुरू होगा। क्योंकि आरोप लगाने वालों को सत्ता के काबिज न होने को प्रमाणित करने के लिये कांग्रेस की सरकारों पर हाथ डाला जायेगा क्योंकि हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए पूरे देश में एक ही दल की सरकार लाने का प्रयास किया जायेगा।