विपक्ष के विरोध का जवाब उपलब्धियों के विज्ञापन

Created on Tuesday, 10 December 2024 17:20
Written by Shail Samachar
हिमाचल सरकार सत्ता में दो वर्ष होने पर बिलासपुर में एक राज्य स्तरीय आयोजन करने जा रही है। परन्तु विपक्षी दल भाजपा इस आयोजन को लेकर आक्रोश दिवस मनाने जा रही है। भाजपा ने पूरे प्रदेश में जगह-जगह रैलियां करके अपने रोष को जनआक्रोश की संज्ञा दे दी है। भाजपा जिस अनुपात में इन रैलिया का आयोजन कर रही है सुक्खू सरकार उसी अनुपात में अपनी दो वर्ष की उपलब्धियों को लगातार विज्ञापन जारी करके भाजपा को जवाब दे रही है। विज्ञापनों के माध्यम से आधिकारिक रूप से सरकार की उपलब्धियां जनता के सामने आ रही है। अब जनता इन उपलब्धियां को अपने आसपास जमीन पर देखने का प्रयास करेगी और फिर सरकार को लेकर अपनी राय बनाएगी। सरकार लगातार अपने व्यवस्था परिवर्तन के सूत्र का महिमा मण्डन कर रही है। सरकार ने पहले दिन विज्ञापन जारी करके अपनी एक बड़ी उपलब्धि लैंड सीलिंग एक्ट में पिछले वर्ष संशोधन करके बेटियों को उनका हक देने की बात की है। 1971 से लागू हुये लैंड सीलिंग एक्ट में 2023 में संशोधन किया गया है। विधानसभा से पारित होकर यह संशोधन राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए गया है। अभी तक राष्ट्रपति की इस संशोधन को स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है। जब तक यह संशोधन राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद राजपत्र में अधिसूचित नहीं हो जाता है तब तक यह कानून नहीं बनता है। इस संशोधन की स्वीकृति के बाद कितना क्या कुछ खुलेगा यह अगली बात है। लेकिन अभी इस संशोधन को कानून का आकार लेने से पहले ही इस तरह से उपलब्धि गिनाना अपने में कई सवाल खड़े करता है। और भी जो-जो उपलब्धियां दर्ज की गई है उनके आंकड़े बहुत ज्यादा सरकार के 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं।
उपलब्धियां के विज्ञापनों से हाईकमान को प्रभावित किया जा सकता है लेकिन आम आदमी को नहीं जो जमीन पर भुक्तभोगी है। गांव में पता है कि किसके बच्चों को सरकार में नौकरी मिली है और किसके बच्चे की नौकरी चली गई। स्कूलों में अध्यापकों के कितने पद खाली है और कितने अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है। इस समय आवश्यकता सौ बीघा में खोले जा रहे राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूलों की नहीं है बल्कि जो स्कूल चल रहे हैं उन्हें सुचारू रूप से चलाने की आवश्यकता है। जो अटल आदर्श विद्यालय खोले गये थे उनकी परफॉरमैन्स जनता के सामने रखने की आवश्यकता है। क्या वह सारे विधानसभा क्षेत्र में खोले जा चुके हैं? एक राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोलने पर कितना खर्च आयेगा? सभी विधानसभा क्षेत्र में यह स्कूल खोलने में कितने वर्ष लगेंगे? क्या अटल आदर्श विद्यालय और राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल में जाने की इच्छा हर बच्चे और उनके मां-बाप की नहीं होगी? क्या हम इस तरह के प्रयोग शिक्षा जैसे क्षेत्र में सरकारी स्तर पर करके समाज में भेदभाव की नीव नहीं डाल रहे हैं? शिक्षा स्वास्थ्य और न्याय तो सबको मुफ्त मिलना चाहिए क्या हम उसके लिये ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।
इस समय सरकार को हर माह कर्ज लेना पड़ रहा है। यदि कर्ज की यही गति रही तो पांच वर्ष पूरे होने तक इतना कर्ज हो जायेगा कि आगे प्रदेश को चलाना कठिन हो जायेगा। इसलिए इस अवसर पर ऐसा बड़ा आयोजन करने की बजाये इस पर मंथन होना चाहिये था की आम आदमी को राहत कैसे उपलब्ध हो पायेगी। क्योंकि सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन के और वित्तीय संसाधन जुटाने के नाम पर केवल आम आदमी पर करों और कर्ज का बोझ ही बढ़ाया है। इस आयोजन के बाद सरकार के यह दावे सरकार के सामने सवाल बनकर खड़े हो जायेंगे यह तय है। विपक्ष के विरोध का जवाब दावों के विज्ञापन एक अच्छी राजनीति हो सकती है लेकिन जब यह दावे जमीन पर नजर नहीं आयेंगे तब स्थिति कुछ और ही हो जायेगी।