आउटसोर्स के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती घातक होगी
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Created on Tuesday, 16 July 2024 11:31
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Written by Shail Samachar
हिमाचल सरकार छः हजार प्री प्राईमरी शिक्षक आउटसोर्स के माध्यम से भर्ती करने जा रही है। इसकी अधिसूचना जारी हो गयी है। इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन को यह भर्तीयां करने का काम सौपा गया है। दो वर्ष का एन.टी.टी. डिप्लोमा धारक इन भर्तीयों के लिये पात्र होंगे। इन लोगों को दस हजार का मानदेय देना तय हुआ है। लेकिन इस मानदेय में से एजैन्सी चार्जेस जी.एस.टी. और ई.पी.एफ. की कटौती के बाद इन अध्यापकों को करीब सात हजार नकद प्रतिमाह मिलेंगे। प्रदेश के 6297 प्री प्राईमरी स्कूलों में करीब साठ हजार बच्चे पंजीकृत हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की अवधारण लागू की गयी है। यह माना गया है कि बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास छः वर्ष की अवस्था से पूर्व ही हो जाता है। बच्चों के मस्तिष्क के उचित विकास और शारीरिक वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए उसके आरम्भिक छः वर्षों को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विकास के लिए एनसीईआरटी द्वारा आठ वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए दो भागों में प्रारम्भिक बाल्यावस्था के शिक्षा के लिए 0-3 वर्ष और 3-8 वर्ष के लिए दो अलग-अलग सबफ्रेमवर्क विकसित किये गये हैं। नई शिक्षा नीति में यहां बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा एक मूल आधार है। इस आधार पर ही अगली ईमारत खड़ी होगी। नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए पिछले दो वर्षों से तैयारी की जा रही है लेकिन इस तैयारी के बाद जो सामने आया है वह यह है कि इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने के लिए आउटसोर्स के माध्यम से प्री प्राईमरी शिक्षक नियुक्त किये जा रहे हैं जिनकी पगार एक मनरेगा मजदूर से भी कम होगी। आउटसोर्स के माध्यम से रखे जा रहे इन शिक्षकों को कभी भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिल पायेगा। इस समय सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 45000 कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त हैं जो अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं है।
जब एक सरकार शिक्षा जैसे क्षेत्र में आउटसोर्स के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती करने पर आ जाये तो उसकी भविष्य के प्रति संवेदनशीलता का पता चल जाता है। निश्चित है कि आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त किये जा रहे इन प्री प्राईमरी शिक्षकों का अपना ही भविष्य सुरक्षित और सुनिश्चित नहीं होगा तो वह उन बच्चों के साथ कितना न्याय कर पायेंगे।
जिनकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जायेगी। यह प्री प्राईमरी शिक्षक अवधारणा नयी शिक्षा नीति का बुनियादी आधार है और इस आधार के प्रति ही इस तरह की धारणा होना कितना हितकर होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। सरकार एक ओर अटल आदर्श विद्यालय और राजीव गांधी र्डे-बोर्डिंग स्कूल हर विधानसभा क्षेत्र में खोलने की घोषणा कर रही है। स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण की योजनाएं जनता में परोस रही है। जबकि दूसरी ओर आज भी स्कूलों में शिक्षकों के सैकड़ो पद खाली चल रहे हैं। दर्जनों स्कूलों का बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम शून्य रहा है। इसके लिये अध्यापकों के खिलाफ सख्ती बरतने का फैसला लिया जा रहा है। लेकिन इसका कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है कि कब तक शिक्षकों के खाली पद भर दिये जायेंगे।
इस समय प्रदेश में पांच इंजीनियरिंग कॉलेज कार्यरत है इसमें प्लस टू के बाद जेईई परीक्षा के बाद दाखिला लेते हैं। लेकिन इन सभी कॉलेजों में सभी विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इन संस्थानों में शिक्षकों के खाली पद कब भरे जायेंगे इस ओर भी सरकार की कोई गंभीरता सामने नहीं आयी है। इस तरह शिक्षा के हर स्तर पर सरकार के पास कोई ठोस कार्य योजना नहीं है। इससे यही स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र के प्रति सरकार की गंभीरता केवल भाषणों तक ही सीमित है। व्यवहार में शिक्षा सरकार के प्राइमरी ऐजेण्डा के बाहर है। शिक्षा जैसे क्षेत्र में आउटसोर्स के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती होना अपने में ही हास्यपद लगता है। इस तरह के प्रयोगों से नयी शिक्षा नीति कितनी सफल हो पायेगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।