घातक होंगे करोना वैक्सीन पर उठते सवाल

Created on Sunday, 05 May 2024 18:56
Written by Shail Samachar

लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इन चुनावों में कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र पर जिस तरह की आक्रामकता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने दिखाई है उससे कांग्रेस के घोषणा पत्र का पाठक बढ़ा है क्योंकि जो सवाल इस घोषणा पत्र पर उठाये जा रहे हैं उन मुद्दों का इस घोषणा पत्र में कोई जिक्र तक नहीं है। प्रधानमंत्री की आक्रामकता ने भाजपा और मोदी द्वारा पिछले दो चुनावों में किये गये वायदों की ओर देश का ध्यान आकर्षित कर लिया है। पिछले दो चुनावों में किये गये वायदों के अलावा इस दौरान घटी दो मुख्य घटनाओं की ओर भी आकर्षित कर लिया है। इस दौरान के नोटबंदी और फिर लॉकडाउन दो ऐसे घटनाक्रम है जिनका प्रभाव लंबे अरसे तक देश पर रहेगा। 2014 में सत्ता परिवर्तन अन्ना आंदोलन का एक बड़ा प्रतिफल रहा है। इस आंदोलन में तब की मनमोहन सरकार को भ्रष्टाचार का पर्याय बताकर लोकपाल की नियुक्ति अपनी मुख्य मांग बना दिया था। इस मांग के परिणाम स्वरुप लोकपाल विधेयक डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में ही पारित हो गया था और उस पर अमल मोदी सरकार में हुआ। लेकिन उस समय 176000 करोड़ का जो 2जी स्कैन बड़ा मुद्दा बना था उस पर उसी विनोद राय ने जिसने यह स्कैम देश के सामने रखा था अदालत में इस कथित स्कैम पर यह कहां है कि यह स्कैम घटा ही नहीं था और इसमें आकलन की गलती लग गयी थी। विनोद एक सवैघानिक पद पर आसीन थें इसलिये उनके खिलाफ कोई करवाई नहीं हो सकी थी।
इसी तरह नोटबंदी के घोषित लाभों पर आज तक सवाल उठ रहे हैं। लेकिन इसी दौरान आयी करोना महामारी ने देश को दो वर्ष तक लॉकडाउन में रखा। इस महामारी में अस्पताल तक खाली हो गये थे क्योंकि लोगों से सर्जरी तक को टालने की राय दी गयी थी। यह राय एक तरह का निर्देश बन गयी थी। महामारी को टालने के लिये लोगों ने ताली और थाली तक बजाने का प्रयोग किया। इस महामारी से बचने के लिए करोना वैक्सीन के दो दो टीके लोगों ने लगवाये। इन टीकों पर उस समय उठे सवाल सर्वाेच्च न्यायालय तक पहुंचे थे। यह टीके लगवाना कितना आवश्यक कर दिया गया था यह आम आदमी जानता है। लेकिन सर्वाेच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने यह कहा कि उसने यह वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं किया है। यह ऐच्छिक था और लोगों ने अपनी इच्छा से इसे लगवाया है। अब ब्रिटेन की एक अदालत में टीका बनाने वाली कंपनी ने यह स्वीकार किया है कि इस टीके से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक होने के खतरे हैं। कंपनी द्वारा स्वयं यहां साइड इफेक्ट होना स्वीकारने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की उत्तराखंड इकाई ने राष्ट्रपति को मजिस्ट्रेट के माध्यम से एक ज्ञापन भेज कर इसकी निष्पक्ष जांच किये जाने की मांग की है। यह तथ्य सामने आने के बाद जिन लोगों ने यह टीका लगवाया उनमें एक डर का वातावरण फैल गया है। इस समय लोकसभा चुनावों के दौरान यह सामने आना एक नयी समस्या खड़ी करने का माध्यम बन सकता है। इस नयी आशंका पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई वक्तव्य जारी नहीं हुआ है।