किसके पक्ष में जाएंगे यह चुनाव परिणाम

Created on Wednesday, 15 November 2023 12:37
Written by Shail Samachar

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम क्या रहेंगे यह तो परिणाम आने के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट हो पायेगा। लेकिन जिस तरह राजनीतिक व्यवहार राजनीतिक दलों का सामने आता जा रहा है उससे यह संकेत उभर रहे हैं कि इन चुनावों में भाजपा को बड़ा नुकसान होने जा रहा है। भाजपा का यह नुकसान कांग्रेस का ही लाभ रहेगा यह पूरी स्पष्टता से नहीं कहा जा सकता क्योंकि दूसरे दल भी चुनाव में हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह परिणाम देश की राजनीति पर एक गहरा और दुर्गामी प्रभाव डालेंगे। क्योंकि इस समय देश 1975 के आपातकाल जैसी स्थितियों से गुजर रहा है। उस समय का आपातकाल घोषित था और आज का अघोषित है। वह आपातकाल 1975 में शुरू होकर 1977 के आम चुनाव में समाप्त हो गया था। परन्तु आज का आपात 2014 के सत्ता परिवर्तन से शुरू होकर आज तक चला आ रहा है। उस समय के आपातकाल में देश की आर्थिकी मजबूत हुई थी और आज के अघोषित आपात में आर्थिकी ही सबसे ज्यादा कमजोर हुई है। क्योंकि योजनाबद्ध तरीके से सारे अदारे निजी क्षेत्र के हवाले कर दिये गये हैं। इसमें आम आदमी के हिस्से में केवल कर्ज आया है। 2014 के सत्ता परिवर्तन के समय केंद्र सरकार का कुल कर्ज 55000 करोड़ था जो 2023 में बढ़कर 1.5 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो गया है। राज्य सरकारों का ही कर्ज 70 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। जिस अनुपात में कर्ज बड़ा है उसी अनुपात में महंगाई और बेरोजगारी भी बड़ी है। सत्ता परिवर्तन से लेकर अब तक जो कुछ घटा है वह सब आज चर्चा का विषय बना हुआ है। केंद्र सरकार को अपनी अब तक की सारी उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने के लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रशासन के सहयोग से आयोजित करनी पड़ रही है। कुल मिलाकर देश के सामने एक ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है जहां प्रत्येक नागरिक को भविष्य के हित में एक सुविचारित फैसला लेने की घड़ी आ गई है। इस फैसले के लिए यह ध्यान में रखना होगा कि यदि आर्थिकी बची रहेगी तो दूसरी चीजें देर सवेर संभल जायेंगी। इस समय सत्ता जिस तरह से आर्थिकी के सवाल को मन्दिर-मस्जिद और हिन्दू-मुस्लिम के आवरणों से ढकने का प्रयास कर रही है क्या वह किसी भी गणित से एक लाभकारी प्रयोग हो सकता है। आज जिस देश की आधी से अधिक आबादी को सरकार के मुफ्त राशन पर जीने के कगार पर पहुंचा दिया गया हो उस देश का भविष्य क्या होगा यह सोचने का विषय है। जिन नीतियों और योजनाओं के कारण महंगाई बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा हो क्या उसका समर्थन किया जा सकता है। इस समय हर राज्य सरकार का आकलन कर्ज और मुफ्ती के बिन्दुओं पर करना होगा चाहे वह किसी भी दल की सरकार हो। क्योंकि मुफ्ती के वायदे केवल कर्ज के सहारे ही पूरे किये जा सकते हैं और बढ़ता कर्ज किसी भी विकास का कोई मानदण्ड नहीं होता है। इसलिए इन चुनावों में मतदाताओं को इन बिन्दुओं का आकलन करके ही मतदाता का फैसला लेना होगा।