शिमला/शैल। प्रदेश कर्मचारी परिसंघ के अध्यक्ष एवं बागवानी विभाग में अधीक्षक के पद पर कार्यरत विनोद कुमार को आर्थिक और मानसिक तौर पर प्रताडित करने का आरोप लगाते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि पिछले तीन महीनों से अनुचित तरीके से परिसंघ अध्यक्ष की सेवाओं को निलंबित किए जाने और उन के वेतन और गुजारा भत्ता रोके जाने वाली कार्रवाई प्रदेश सरकार और उसके भ्रष्ट अधिकारियों की प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। परिसंघ नेताओं संजय मोगू, कैलाश चौहान, एस.एस. टैगोर ने जारी ब्यान में कहा है कि वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचारियों का संरक्षण और भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाने वालों को इस तरह से प्रताड़ित किया जाना वर्तमान सरकार की राजनीतिक और प्रशासनिक असफलता का खुला सबूत है। जहां वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्त भ्रष्ट कृत्य करने वाले नियमानुसार दण्डित होने चाहिए वहां इसके विरूद्ध आवाज उठाने वाले अनुचित और गैर-कानूनी तरीके से अपमानित और प्रताड़ित किए जा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने परिसंघ अध्यक्ष को तबादलों और निलंबन जैसी कार्रवाईयों से प्रताड़ित किया वहीं सरकार ने अब उनके वेतन और गुजारा भत्ता भी बन्द कर दिया है ।
परिसंघ नेताओं ने विभाग के अधिकारियों पर मै. चेल्सी फूडस, प्लाॅट न.46, इन्डस्ट्रीयल एरिया, संसारपुर कांगड़ा से 5.00 लाख की घूस लेने का आरोप लगाते हुए कहा है कि विभाग के अधिकारियों ने इस कम्पनी को नवम्बर 2015 में पहले 1,94,00,000/- रूपये की अनुदान राशि की जगह 1,99,00,000/- की राशि जारी की, उसमें से 5.00 लाख रू. बडे़ अधिकारियों ने वापिस अपनी जेबों मे डाले। दूसरा घोटाला इन अधिकारियों के कार्यकाल में 41.00 लाख रू. का हुआ जिसमें बागवानी मन्त्राी और प्रधान सचिव (उद्यान) ने अधिकारियों को बचाया तथा यह 41.00 लाख रू. का पूरा घोटाला एक छोटे कर्मचारी के सिर पर डाल दिया । यह दोनों मामलें परिसंघ अध्यक्ष ने बतौर अपनी सरकारी सेवा में शाखा अधीक्षक के समय उजागर करवायें हैं। इसके अतिरिक्त परिसंघ अध्यक्ष की सेवाओं को निलम्बन करने के बाद उन पर विभाग द्वारा तय आरोपों में वर्ष 2016 में एक कम्पनी को अनुदान राशि जारी करने की एवज़ में 2.00 करोड़ रू. कम्पनी से डील का जिक्र किया है जबकि एक कम्पनी को 14.00 करोड़ की सबसिडी जारी करने के एवज़ में 2.00 करोड़ की डील का मामला तत्कालिन निदेशक उद्यान विभाग वर्तमान निदेशक जो उस समय एम.आई.डी.एच के परियोजना निदेशक एवं कार्यकारी निदेशक और प्रधान सचिव इन तीनों के बीच लेन-देन के बंटवारे का विवाद है, जिसकी सी.बी.आई. जांच होनी चाहिए। चूंकि यह मामला पूर्व में प्रदेश मीडिया की सुर्खियों में रहा है और परिसंघ इन अधिकारियों की सूची सहित इन सभी मामलों को आने वाली सरकार के समक्ष रखेगा। परिसंघ के नेताओं ने कहा है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों पर पर्दा डालने के लिए और लोगों का ध्यान इन मुद्दों से हटाने के लिए वर्तमान भ्रष्ट तन्त्र ने परिसंघ अध्यक्ष के वेतन और गुजारा भत्तों को भी रोक दिया है, जिसके विरोध में आचार-संहिता उठने के बाद प्रदेश के कर्मचारी नेता बागवानी निदेशक और प्रधान सचिव (उद्यान) का घेराव किया जायेगा।
वैसे कानून के मुताबिक निलम्बन की सूरत में गुजारा भत्ता संबधित कर्मचारी/अधिकारी को दिया जाना उसका अधिकार है। उद्यान विभाग द्वारा कर्मचारी नेता विनोद कुमार का गुजारा भत्ता भी बन्द कर दिया जाना यह प्रमाणित करता है कि इस कर्मचारी द्वारा लगाये जा रहेआरोपों में कहीं कोई गंभीरता अवश्य है क्योंकि गुजारा भत्ता बन्द करना कानूनन अपराध है।