शिमला/शैल।
प्रदेश में ड्रग्स अपराध हर साल बढ़ते जा रहे है लेकिन इनमें पकडे गये अपराधियों में से केवल 35% को ही सजा मिल पा रही है और शेष 65% अदालत में जाकर छुट जा रहे है। यह खुलासा मुख्य सचिव वीसी फारखा ओर डीजीपी संजय कुमार द्वारा बुलायी गयी सांझी पत्रकार वार्ता में रखे गये आंकड़ो से सामने आया है। इन आंकड़ो के मुताबिक 2016 में 929 मामले दर्ज किये गये हैं जबकि 2015 में यह संख्या 622 और 2014 में 644 थी। ड्रग्स माफिया ने प्रदेश के काॅलिज़ों से लेकर स्कूलों तक पांव पसार लिये है। कुल्लु, चम्बा, कांगडा, ऊना और शिमला में यह अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है। शिमला के तो हर थाने में ड्रग्स के मामले दर्ज है। कई विदेशी ड्रग्स के साथ पकड़े गये हैं। 2016 में 377 किलो चरस, 27 किलो अफीम और 90 किलो गांजा बरामद किया गया है। कुल्लु पुलिस ने अभी पिछले दिनों एक नाईजीरिया के नागरिक से डेढ़ किलो हेरोईन और अमेरिका के नागरिक से 126 किलो गांजा, 10 किलो हशीश तेल बरामद किया है।
प्रदेश में इन अपराधोें में विदेशीयों का पकड़ा जाना यह प्रमाणित करता है कि यह विदेशी अपनेे स्थानीय संपर्को के माध्यम से ही इन अपराधों को अंजाम दे रहें है क्योंकि किसी विदेशी के लिये अपने स्थानीय संपर्क के बिना इस तरह के अपराध को अंजाम दे पाना संभव ही नही है। प्रदेश की पुलिस एक लम्बे अरसे से भांग और अफीम के पौधों को उजाड़ने की मुहिम चलाती आ रही है लेकिन इसका कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिल रहा है। बल्कि हर साल यह मुहिम एक रस्म अदायगी बनकर रह रही है। चरस, गांजा और अफीम के अतिरिक्त अब नशे के कैपस्यूल और कई तरह की गोलीयां भी दवा विक्रेताओं के पास मिल रही है। मीठे जहर का यह कारोबार लगातर फैलता जा रहा है। इस अपराध के बढ़ते आंकड़ो से इस धारणा को बल मिल रहा है कि जिस अपराध और अपराधी को परोक्ष/अपरोक्ष में सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता है वही नही पकड़ा जाता है। इस अपराध में पकडे जाने वाले 65% अपराधीयों को अदालत में सजा न मिल पाना भी इसी धारणा को पुख्ता करता है क्योंकि अपराधी को अदालत में सजा़ दिलाना और उसके लिये पुख्ता साक्ष्य जुटाना पुलिस की जिम्मेदारी है। जब मामले में कुछ कमियां रहेगी तभी अदालत में अपराधी को इसका लाभ मिलेगा और वह छूट जायेगा।
लेकिन अब तक पुलिस इस अपराध से परोक्ष/अपरोक्ष में जुड़े बड़े आकाओं तक नही पहुंच पा रही है। पुलिस को इस तरह का सुराग अब तक नही मिल पाया है। जबकि 2011 में एक पुलिस कर्मी कमल देव ठाकुर ने अपने स्थानान्तरण को लेकर प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी उसमें यह लिखा गया था । As per the record of the police it is revealed that the petitioner had detected about 54 (fifty four cases) of unmasking illegal smuggling of drugs, Liquor, and mafias who were actively involed in this illegal business with the blessing of big bosses at higher echelons.कमल देव को सरकार अपराधिक अन्वेषण में साहसिक भूिमका निभाने के लिये 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस के अवसर पर सम्मानित भी कर चुकी है। उसने हमीरपुर में इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है जिससे कई बड़े लोग उससे अप्रसन्न हो गये थे उसने हमीरपुर के राजनेता पर गंभीर आरोप लगाये है। लेकिन शीर्ष पुलिस प्रशासन ने इस पुलिस कर्मी के माध्यम से उस राजनेता तक पहुंचने का प्रयास करने की बजाये उसे ही प्रताड़ित किया। इसी तरह जुलाई 2014 में ऊना के हरोली थाना क्षेत्रा के तहत एक दवा विक्रेता पर तीन दिन तक पंजाब पुलिस ने छापामारी करके बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ पकड़े। हरोली थाना की भूमिका इस मामले में काफी विवादित रही है जिसके कारण पूरा थाना ट्रांसफर किया गया था। इस क्षेत्र के एक युवक की मादक पदार्थो के सेवन के कारण मौत हो गयी थी। स्थानीय लोगों ने इस पर दो दिन भारी प्रदर्शन किया था। लेकिन पुलिस यहां भी स्थानीय संपर्को तक नही पहुंच पायी। शिमला के ठियोग थाना में दर्ज एक एनडीपीएस मामले में एक नेता के साथ जुडे लोगों पर शिकायतकर्ता ने आरोप लगाये हैं। ऐसे बहुत सारे प्रकरण है जिनके माध्यम में एक पुलिस बड़े लोगों तक पहुंच सकती थी लेकिन ऐसा हो नही पा रहा है।
इस परिदृश्य में मुख्यसचिव और डीजीपी ने इस अपराध को लेकर जो चिन्ता ओर गंभीरता दिखाई है उसके तहत सरकार ने भांग व अफीम की खेती को उखाड़ने के लिए एनजीओ, पंचायती राज संस्थाओं और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूूूूरो को शामिल कर बड़ा अभियान चलाने जा रही हैं। नारको सेल में अलग अलग रेंज में तीन डीएसपी तैनात कर दिए हैं इसके अलावा आईजी व डीआईजी के साथ भी डीएसपी तैनात किए जा रहे हैैं। अगर जरूरत पड़ी तो अलग से सेल खोलने का भी इरादा हैं। चुनावी साल में चीफ सेक्रेटरी फारका ने सरकार का इरादा साफ कर दिया हैं। चूंकि इस साल चुनाव होने हैं व विपक्षी पार्टी ड्रग्स के संवेदनशील मसले पर सरकार को न घेर दे इसलिए सरकार ने पहले ही अपने टाॅप बाबू आगे कर दिए हैं। लेकिन इन टाॅप बाबूओं का ज्यादा फोकस भांग व अफीम की खेती तबाह करने में है जबकि प्रदेश में बाकी ड्रग्स पांव फैला चुकी हैं।