जिला परिषद शिमला की बैठक के बाद प्रदेश का खुला शौच मुक्त होने का दावा सवालों में

Created on Tuesday, 01 November 2016 13:59
Written by Shail Samachar

शिमला/ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश ने खुला शौच मुक्त राज्य होने का लक्ष्य तय समय सीमा से पांच माह पहले ही पूरा कर लिया है। इसमें देश के बड़े राज्यों में यह मुकाम हासिल करने वाला हिमाचल पहला राज्य बन गया हैै। यह दावा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने होटल पीटर हाफ में इस उपल्क्ष में आयोजित एक समारोह में केन्द्रिय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा की मौजूदगी में किया है। सरकार के इस दावे से हिमाचल विश्व बैंक से स्वच्छता प्रौजैक्ट के लिये स्वीकुत नौ हजार करोड़ की सहायता पाने में भी भागीदारी बन गया है यह एलान ग्रामीण विकास मन्त्री तोमर ने किया है।
सरकार की इस तरह की उपलब्धियां प्रशासन द्वारा जुटाये आंकड़ों पर आधारित रहती हैं। खुला शौच मुक्त होने का दावा भी ऐसे ही आंकड़ों के आधार पर किया गया है। लेकिन यह दावा कितना सही है इसका खुलासा जिला परिषद शिमला की हुई बैठक से हो जाता है। इस बैठक में जिला के कोटखाई वार्ड की सदस्य नीलम सरेक ने आरोप लगाया कि उनके वार्ड के एक भी स्कूल मे शौचालयों का निर्माण नही हुआ है और ऐसे में सम्मपूर्ण खुला शौच मुक्त्त का दावा कैसे किया जा सकता है। नीलम के इस आरोप से बैठक में हड़कंप मच गया। तुरन्त जिलाधीश और दूसरे संवद्ध अधिकारियों ने उतेजित सदस्य को शांत करने के लिये यकीन दिलाया कि इन स्कूलों के लिये आज ही धन का आवंटन कर दिया गया है। जिला परिषद की बैठक में जिस तरह से महिला सदस्य ने अपने वार्ड की व्यवाहरिक स्थिति रखी उससे यह सवाल उठता है कि जिला प्रशासन के पास जव यह जानकारी थी कि उस वार्ड के स्कूलों मे अभी शौचालय का निर्माण नही हो पाया है तो उन्होने इसकी जानकारी सरकार को क्यों नही दी। सदस्य के शोर मचाने पर इसके लिये धन आवंटन किया जाता है। यक निर्दलीय सदस्य इस समय भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिये चुनावी चुनौती बनती जा रही है। संभवतः इसी कारण से इसके वार्ड में ऐसा हुआ है। लेकिन इससे पूरे प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी अभी तक ऐसी स्थितियां होने की संभावना से इन्कार नही किया जा सकता है।