शिमला/शैल। प्रदेश के राज्य सहकारी बैंक में इन दिनों अन्जाम दी जा रही कंप्यूटर खरीद पर गम्भीर सवाल उठ खड़े हुये हैं। राज्य सहकारी कृषि एंव ग्रामीण विकास बैंक तथा जिला शिमला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शेर सिंह चैहान नेे प्रैस को जारी एक ब्यान में इस कंप्यूटर खरीद को एक बड़ा घोटाला करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बैंक में 1998-99 में कंप्यूटराइजेशन शुरू हुई थी और उसके बाद से बैंक का सारा काम कंप्यूटर के माध्यम से हो रहा है। जब कभी कोई कंप्यूटर खराब होता था उसे रिपेयर करवा लिया जाता था। कभी कभार ही किसी कंप्यूटर को रिपलेस करवाने की नौबत आती थी।लेकिन अब प्रबन्धन ने सारे कंप्यूटर एक मुश्त नये खरीदने का फैंसला लिया है। नया कंप्यूटर 53,550 रूपये में खरीदा जा रहा है लेकिन इसी कंपनी को पूराना कंप्यूटर जो कि ठीक चालू हालत में है महज़ 1200 रूपये में दिया जाता है। जबकि इसी पुराने कंप्यूटर को यह कंपनी 7000 से 9000 के बीच बेच रही है इसी तरह के पुराने पिं्रटरज़ जो कि 13120, 24805 और 28665 रूपये मंे खरीदे गये थे अब 300 और 200 रूपये मे इसी कंपनी को दिये जा रहे हैं। पुराना स्कैनर 50 रूपये में दिया जा रहा है। सवाल उठाया जा रहा है कि जब कंपनी पुराने कंप्यूटरों को बैंक से महज़ 1200 रूपये में लेकर सात से नौ हजार के बेच रही है तो इस काम को बैंक ने अलग से स्वतन्त्रा में क्यों नही किया। पुराने कंप्यूटरों में ही कई लाख का गोल माल होने का आरोप है। नये कंप्यूटरों की खरीद करोड़ों की है। इसकी निविदाओं को लेकर भी कई सवाल खडे़ हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब पुरानेे कंप्यूटर ठीक काम कर रहे थे तो फिर उन्हे एक मुश्त ही बदलने का फैंसला क्यों लिया गया। आरोप यह भी है कि बैंक की खरीद शाखा में तैनात कर्मचारी लम्बे अरसे से उसी जगह पर तैनात है। प्रबन्धन उन्हे बदलने का साहस ही नहीं कर पाता है। बैंक में हर वर्ष कई करोड़ों की खरीद को यही लोग अंजाम देते आ रहे हैं। खरीद के लिये अपनाई जा रही प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में हैं। खरीद शाखा के स्टाफ को छोड़कर बाकी सभी शाखाओं का स्टाफ बदलता रहता है। बैंक में भी आम चर्चा है कि इन लोगों को यहां से बदलना आसान नहीं है। यदि इस शाखा के स्टाफ को बदलकर इसके माध्यम से की गई खरीद की गहन जांच की जाये तो कई चैंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं। कुछ लोगों के बारे में तो यहां तक चर्चा है कि उन्होने इतनी संपत्ति इकट्ठी कर ली है जो उनकी आय के स्त्रोत से कहीं अधिक है।
पिछले दिनों बैंक मे हुई भर्तीयों को लेकर भी शेर सिंह चैहान ने गंभीर आरोप लगाये हैं। इन आरोपों का प्रबन्धन की ओर से कोई सार्वजनिक जवाब नहीं आया है। बल्कि चैहान के खिलाफ ही किसी बहुत पुराने मुद्दे को कुरेद कर कुछ निकालने के लिये विजिलैंस को सक्रिय किया गया है। दूसरी ओर माना जा रहा है कि बैंक में खरीद के नाम पर, भर्तीयों के नाम पर और रिपेयर के नाम पर जो करोड़ो के गोल-माल होने की आशंका बैंक में आम चर्चित है उसको लेकर विधिवत शिकायत कभी भी होने की संभावना है। चर्चा है कि शीर्ष प्रबन्धन में बैैठे कुछ बड़े लोगों ने कुछ होटलों और विद्युत परियोजना के लिये दिये गये ट्टणों की वसूली में बैंक को भारी नुकसान पंहुचाया है। इन लोगों ने जो संपत्तियां अर्जित कर रखी है उनको लेकर भी बड़े खुलासे सामने आने की संभावना है।