शिमला/शैल। विधानसभा का मानसून सत्र किस तरह का रहेगा? क्या इसमें विधायी कार्य हो पायेंगे या फिर वाकआऊट और नारेबाजी की भेंट चढ़ जायेगा जैसा की एक बार 2015 में हुआ था। उस समय तो केवल मुख्यमन्त्री के प्रधान निजि सचिव सुभाष आहलूवालिया को ईडी के शिमला स्थित कार्यालय द्वारा बुलाये जाने पर प्रदेश सरकार द्वारा यहां तैनात सहायक निदेशक की प्रतिनियुक्ति रद्द करने को लेकर केन्द्र सरकार को भेजा पत्र ही चर्चा में आया था। जबकि आज तो स्वयं मुख्यमंत्री सीबीआई में और उनकी पत्नी पूर्व सांसद ईडी में पेश हो चुकी हैं उनका एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चैहान ईडी की गिरफ्तारी झेल रहा है जबकि आज तो पति-पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनीलाॅंडरिंग के मामले दर्ज हैं।
दूसरी ओर पूर्व मुख्यमन्त्री और नेता प्रतिपक्ष को उनके खिलाफ वीरभद्र की विजीलैन्स द्वारा चलाये जा रहे मामलों में लगातार अदालत से राहत मिलती जा रही है। वीरभद्र के सारे दावों के बावजूद विजिलैन्स द्वारा चलाये जा रहे मामलों में लगातार अदालत से राहत मिलती जा रही है। वीरभद्र के सारे दावों के वाबजूद विजिलैन्स चार वर्षों में धूमल के खिलाफ आय से अधिके संपति की शिकायत में मामला दर्ज करने लायक आधार नहीं जुटा पायी है। इससे यही सदेंश उभरता है कि वीरभद्र सरकार जबरदस्ती धूमल के खिलाफ कोई न कोई मामला खड़ा करना चाह रही है और उसमें भी उसे सफलता नही मिल रही है। इस वस्तुस्थिति से जनता का ध्यान हटाने के लिये वीरभद्र ने अलग रणनीति अपनाते हुए जनता में जाने का कार्यक्रम आरम्भ कर दिया। पूरे प्रदेश का तूफानी दौरा शुरू कर दिया। जंहा भी जा रहे हैं जनता में खुले हाथों वह सब कुछ बांट रहे हैं जिसके पूरा होने पर अब आम आदमी को भी सन्देह होने लग पडा है। क्योंकि अधिकांश घोषनाएं बिना बजट प्रावधानों के हो रही हंै। इन घोषनाओं पर अमल करने के लिये प्रशासन के भी हाथ खडे़ हो गये हैं। बहुत सारी ऐसी घोषनाएं हैं जिनकी अधिसूचनाएं अभी तक जारी नही हो सकी हैं। लेकिन मन्त्री मण्डल की हर बैठक में नौकरियों का पिटारा लगातार खुल रहा है। इससे अपने आप यह सदेंश जा रहा है कि अब तक नौकरियां देने के सारे दावे ओर आंकड़े केवल ब्यानबाजी तक ही सीमित रहे हैं। पूरा परिदृश्य हर कोण से मध्यावधि चुनावों के संकेत उभार रहा है।
लेकिन इन व्यवहारिक स्थितियों का आकलन करके जब नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल समय पूर्व चुनावों की संभावना जता रहे हैं तो उन्हे ज्योतिषी होने का तमगा दिया जा रहा है। सीबीआई और ईडी की जांच में जैसे जैसे गति बढ़ती जा रही है उसी अनुपात में कांग्रेस नेताओं ने वीरभद्र के सांतवी बार भी मुख्यमन्त्री बनने के दावे करने शुरू कर दिये हैं। ऐसे में इन दावों-प्रति दावों के बीच विपक्ष के पास सरकार पर हमलावर होने का पूरा मौका है। बल्कि हमलावर होकर पूरी वस्तु स्थिति प्रदेश की जनता के सामने लाना भी विपक्ष का दायित्व है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि इस परिदृश्य में जब सदन के पटल पर पक्ष और विपक्ष का आमना-सामना होगा तो जनता के सामने कई चैकाने वाले खुलासे आयेंगे।