शिमला/शैल। प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त का पद 24 मार्च के बाद से खाली चला आ रहा है। जब यह पद खाली हुआ तब सरकार ने इसको भरने के लिये कोई आवदेन आमन्त्रिात नही किये। बिना खुले आमन्त्रण के ही चार आवेदन आ गये। चर्चाएं उठी की मुख्य सचिव पी मित्रा को इस पद पर बिठा कर उनके स्थान पर वीसी फारखा के मुख्य सचिव बना दिया जायगा। लेकिन 31 मई को मित्रा का सेवानिवृति तक इस चर्चा पर अमल नही हो सका और इसी बीच पद को भरने के लिये विज्ञापित जारी करके आवेदन मांग लिये गये। मित्रा की सेवानिवृति के दिन ही उन्हे राज्य चुनाव के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल गयी और फारखा मुख्य सचिव भी बन गये लेकिन सीआईसी का पद आज तक खाली चला आ रहा है।
अब इस पद के लिये डेढ सौ के करीब आवेदन आ गये है। जिनमें राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के एस तोमर के अतिरिक्त पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा भारत सरकार से सेवानिवृति सचिव उच्च शिक्षा अशोक ठाकुर, अतिरिक्त मुख्य सचिव नरेन्द्र चैहान, पीसी धीमान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वी एन एस नेगी , वर्तमान सूचना आयुक्त के डी वातिश और आर टी आई एक्टिविस्ट देवाशीष भटाचार्य । सीआईसी का चयन मुख्य मन्त्री नेता प्रतिपक्ष और मुख्यन्त्री द्वारा मनोनीत एक कैबिनेट मन्त्री सहित यह तीन सदस्यों की कमेटी अपने बहुमत से करेगी। इसमें वीटो का अधिकार किसी को नही है। यह कमेटी अपने चयन की सिफारिश राज्यपाल को भेजेगी । राज्यपाल इस चनय पर यदि चाहे तो कुछ और स्पष्टीकरण भी मांग सकते हैं। अभी तक चयन कमेटी का गठन नही किया गया है। आवदेकांे की सूची बहुत लंबी है। ऐसे में चयन केमटी चयन से पूर्व एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर सकती है यह स्क्रीनिंग केमटी आवदेकों के वायोडाटा को खंगालने के बाद शीर्ष के आठ-दस लोगों को शार्ट लिस्ट करके चयन कमेटी के सामने अन्तिम चयन के लिये रख सकती है।
लेकिन इस समय आवेदकों के रूप में सामने आये उपरोक्त नामों पर उठी चर्चाओं के अनुसार के एस तोमर, नरेन्द्र चैहान और वी एन एस नेगी को सबसे बड़े दावेदारों में माना जा रहा है। तोमर वर्तमान में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष हंै और उन्हें मुख्यमन्त्री की पहली पसन्द माना जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल भी उनके नाम पर सहमति दे सकती है। यदि तोमर सीआईसी हो जाते हैं तो उनके स्थान पर वी एन एस नेगी और नरेन्द्र चैहान में से किसी एक का चयन तय है।
लेकिन इस चयन से पूर्व ही तोमर की दावेदारी पर देवाशीष भटाचार्य ने प्रदेश के राज्यपाल, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य मन्त्री को शिकायत भेज दी है। भटाचार्य ने एतराज उठाया है कि लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष का पद एक संवैधानिक पद है। जिसमें पूरी तरह निष्पक्षता अपेक्षित है। परन्तु सीअीईसी के पद के लिये अपनी दावेदारी जतारक तोमर की निष्पक्षता पर स्वतः ही सवाल उठ जाते हैं क्योंकि सीआईसी का चयन मुख्यमन्त्राी पर आधारित कमेटी करेगी। भटाचार्य ने अपने एतराज में सर्वोच्च न्यायालय के 15.2.13 को पंजाब बनाम सलिल सबलोक मामले में आये फैसले को आधार बनाया है। इसी एतराज के साथ संविधान की धारा 319(b) में लोकसेवा आयोग के सदस्यों पर राज्य या केन्द्र सरकार में कोई भी स्वीकारने पर लगी बार का भी उल्लेख किया है। भटाचार्य ने लोक सेवा आयोग की कुछ सिफारिशों पर प्रदेश उच्च न्यायालय में आये मामलों का भी जिक्र करते हुए तोमर की निष्पक्षता पर बुनियादी सवाल उठायें है। भटाचार्य का तर्क है कि सीआईसी के लिए आवदेन करने के साथ ही तोमर को लोकसेवा आयेाग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए था और उन्होने ऐसा नही किया है इसलिये राज्यपाल को उन्हे पद से हटा देना चाहिये । सवोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है।