क्या रैगुलेटरी कमीशन का अध्यक्ष पद जुलाई तक खाली रहेगा

Created on Wednesday, 01 June 2016 05:30
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश के शिक्षण संस्थानों पर नियामक की भूमिका निभाने वाले रैगुलटरी कमीशन का अध्यक्ष पद अप्रैल के पहले सप्ताह से खाली चला आ रहा है सरकार ने इस पद को विज्ञापित करने में भी काफी देर लगा दी है लेकिन विज्ञापित करते समय इसमें सदस्य का एक पद और सृजित कर दिया गया। आवेदको ने अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त स्थानों के लिये एक साथ आवेदन किया। परन्तु सरकार ने सदस्य का पद भरने के लिये एक तीन सदस्यों की कमेटी गठित करके इस पद को भर लिया। परन्तु अध्यक्ष का पद भरने के लिये कमेेटीे का गठन नही किया जा सका है।
कमीशन के नियमों के मुताबिक शिक्षा सचिव ही यह पद भरने के लिये पदेन सदस्य सचिव है। इस समय अतिरिक्त मुख्य पी सी धीमान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारीे है लेकिन पी सी धीमान भी इस कमीशन के अध्यक्ष पद के लिये स्वयं एक आवेदक है। ऐसे में जब तक पी सी धीमान के पास सचिव शिक्षा की जिम्मेदारी है तब तक वह स्वयं आवदेक होने के नाते इस पद को भरने की प्रक्रिया शुरू नही कर सकते। अब यह सवाल उठता जा रहा है कि जब कमीशन का अध्यक्ष पद ही खाली चल रहा है तब वहां बैठे सदस्य क्या काम कर पा रहे हांेगे और उनके काम का औचित्य क्या रह जायेगा। पी सी धीमान जुलाई में सेवा निवृत हो रहें है। इस लिये यदि सरकार इस पद को भरने की गंभीरता के प्रति ईमानदार तो उसे पी सी धीमान से शिक्षा की जिम्मेदारी लेकर किसी और को देनी होगी ताकि नया आदमी अध्यक्ष पद को भरने की प्रक्रिया को तो शुरू कर पाये। इस अध्यक्ष पद के आवेदकों में पी सी धीमान के साथ ही एक प्रमुख नाम आई पी एस अधिकारी वी एन एस नेगी का भी है। नेगी की सेवा निवृति इसी वर्ष नवम्बर में है। नेगी भी मुख्य मन्त्राी के विश्वास पात्रों में गिने जाते है ओर पी सी धीमान भी उसी विश्वस्तता की पंक्ति में खडे है लेकिन पीसी धीमान के खिलाफ एच पी सी ए के एक मामले में अभियोजन की स्वीकृति सरकार ने दे रखी है। इस परिदृष्य में अब यह सरकार के लिये एक परीक्षा की घडी मानी जा रही है कि वह धीमान और नेगी में से किसे चुनती है।
इस तरह सरकार के लिये मुख्य सूचना आयुक्त का पद भरना भी एक समस्या माना जा रहा हैं। क्योकि इस पद के विज्ञापित होने से पहले ही चार लोग इसके लिये आवदेन भेज चुके है जिनमें केन्द्र सरकार में उच्च शिक्षा सचिव रहें अशोक ठाकुर और सेवा निवृत हो रहे मुख्यसचिव पी मित्रा प्रमुख है। अब यह पद विज्ञापित हो चुका है और इसके आवेदन की अन्तिम तारीख 23 जून है ऐेसे मे 23 जून तक कितने और आवेदक आ जाते है तथा पुराने आवेदकों को नये सिरे से आवदेन की आवश्यकता पड़ती है या नही अभी यह स्पष्ट होना बाकि है। अशोक ठाकुर और पी मित्रा दोनों मुख्य मंत्री केे विश्वस्त माने जाते है। लेकिन इसी बीच यह भी चर्चा सामने आ गयी है कि प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के एस तोमर भी मुख्य सूचना आयुक्त के प्रबल दावेदारों में है। के एस तोमर को मुख्य मन्त्राी का बहुत ही विश्वसनीय माना जाता है। लेकिन तोमर के लिये संविधान में रोक है। संविधान के मुताबिक केन्द्र या राज्य सरकारों के लोक सेवा आयोगों के सदस्य/अध्यक्ष राज्य सरकार या केन्द्र सरकार में कोई पद स्वीकार नही कर सकते हैं। यह लोग किसी भी लोक सेवा आयोग में तो स्थान पा सकते हैं लेकिन सरकार में नही। लेकिन उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक मुख्यमन्त्री तोमर को ही सी आई सी बनाना चाहते है और इसके लिये वह संविधान की भी अनदेखी करने को तैयार है माना जा रहा है कि तोमर की संभावित उम्मीदवारी के कारण ही इस पद के आवेदनों के लिये 23 जून की तारीख पी मित्रा की सेवा निवृति के बाद की रखी गयी है इस समय मुख्य सविच रैगुलैटरी कमीशन का अध्यक्ष पद और मुख्य सूचना आयुक्त के पद भरना मुख्य मन्त्री के लिये काफी समस्या बन गये है।