क्या बजट में घोषित योजनाएं जमीनी हकीकत बन पायेगी?
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Created on Monday, 24 March 2025 11:29
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Written by Shail Samachar
- बजट का आकार केवल 70 करोड़ बढ़ने से उठा सवाल।
- पूंजीगत कार्यों के लिये इस बार 4% कम है प्रावधान
- क्या सारे स्कूलों में इंग्लिश मीडियम लागू है?
- क्या करीब पांच लाख किसान प्राकृतिक खेती और खुशहाल किसान योजना में कवर हो गये हैं?
शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वर्ष 2025-26 के लिये 58,514 करोड़ का कुल बजट प्रस्तावित किया है। बजट का यह आकार पिछले वर्ष के 58,444 करोड़ से केवल 70 करोड रुपये अधिक है। बजट का बड़ा भाग राजस्व व्यय पर खर्च होता है क्योंकि उसमें प्रतिबद्ध खर्चें आते हैं जिन्हें कम नहीं किया जा सकता। सरकार के इन प्रतिबद्ध खर्चों में वेतन पर 25, पैन्शन पर 20, ब्याज अदायगी पर 12, कर्ज़ अदायगी पर 10, स्वायत संस्थाओं को ग्रांट पर 9 और शेष 24 पूंजीगत मद में खर्च किये जायेंगे। वर्ष 2024-25 में वेतन पर 25, पैन्शन पर 17, ब्याज अदायगी पर 11, कर्ज़ अदायगी पर 9, स्वायत संस्थाओं को ग्रांट पर 10, और शेष 28 पूंजीगत कार्यों के लिये थे। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि इस वर्ष विकास कार्यों पर पिछले वर्ष की तुलना में चार प्रतिशत कम खर्च किये जायेंगे। स्वायत संस्थाओं की ग्रांट में भी एक प्रतिशत की कमी आयेगी। इस वर्ष ब्याज और कर्ज अदायगी पर ज्यादा खर्च होगा। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस वर्ष की वितीय स्थिति पिछले वर्ष के मुकाबले काफी कठिन रहेगी। इस कठिनाई से विकास कार्य प्रभावित होंगे और रोजगार भी कम होगा। इन आंकड़ों से यह शंका होना स्वभाविक है कि इस वर्ष के लिये घोषित योजनाओं पर पूरा अमल नहीं हो पायेगा। सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर तब सवाल खड़े हो जाते हैं जब 2024-25 के लिए 17053 करोड़ की अनुपूरक मांगे लाने के बाद भी 2025-26 के लिये बजट का आकार केवल 70 करोड़ ही बढ़ता है। इससे यह सामने आता है कि सरकार ने करीब 17000 करोड़ की अनुपूरक मांगे 58,444 करोड़ के बजट में ही काट छांट करके पूरी की हैं। इसके लिये प्रतिबद्ध खर्चों में तो कमी कि नहीं जा सकती। केवल विकासात्मक खर्चों पर ही कैंची चलाई जा सकती है। लेकिन इसी के साथ यह सवाल आता है कि सरकार ने वर्ष के दौरान जो कर्ज लिया वह कहां खर्च हुआ? क्योंकि जब 17000 करोड़ की अनुपूरक मांगे और 10000 करोड़ से अधिक का घाटा पूरा करने के बाद भी बजट का आकार न बढ़े तो यह सवाल तो पूछा ही जायेगा की कर्ज का निवेश कहां हुआ? क्योंकि कर्मचारियों के डी.ए. और संशोधित वेतनमानों का एरियर अब भी अदायगी के लिये पड़ा हुआ है। इस बजट से जहां सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं पर राज्यपाल के अभिभाषण में दर्ज उपलब्धियों पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है। राज्यपाल के अभिभाषण में यह कहा गया है कि सरकार ने विधानसभा चुनाव में घोषित दस गारंटीयों में से छः पूरी कर दी है। उन छः गारंटीयों में से एक है कि सारे सरकारी स्कूलों में इंग्लिश माध्यम कर दिया गया है। दूसरी गारंटी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 3577 ग्राम पंचायतों में 2,87,000 प्रशिक्षित और 2 लाख 8 हजार अभ्यास शील किसानों को कवर कर दिया गया है। आज प्रदेश की हर पंचायत में दो-तीन स्कूल हैं जहां पर आसानी से इस दावे की पड़ताल हो जायेगी कि हर स्कूल में इंग्लिश मीडियम हुआ है या नहीं। 2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश में 20690 गांव है सरकार का दावा है कि उसकी योजना के तहत करीब 5 लाख किसान कवर हो चुके हैं। इस दावे का अर्थ है कि प्रदेश के हर गांव से कम से कम एक दर्जन किसान योजना के लाभार्थी है परन्तु क्या व्यवहार में ऐसा है? क्या कांग्रेस का कोई नेता या कार्यकर्ता अपने गांव के लाभार्थीयों की कोई सूची जारी कर पायेगा शायद नहीं। क्योंकि यह सब दावे फाइलों तक ही सीमित हैं उससे आगे कहीं नहीं। इस बार जब पूंजीगत कार्य के लिये धन का प्रावधान ही पिछले वर्ष की तुलना में 4% कम है तब यह स्वभाविक है कि प्रदेश में विकास कार्य प्रभावित होंगे ही। इस बजट के आंकड़ों से यह इंगित होता है कि यह दस्तावेज इन अफसरशाहों ने तैयार किया है जिनका प्रदेश की जनता से कोई सीधा सरोकार नहीं है। विश्लेषकों के मुताबिक यह बजट कांग्रेस के विधायकों और कार्यकर्ताओं को जनता के सामने रखकर उपलब्धि का कोई दावा नहीं करने देगा।
मुख्यमंत्री के बजट भाषण 2024-25 के अंश
मुख्यमंत्री के बजट भाषण 2025-26 के अंश