शिमला/शैल। प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिसम्बर में आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही भर्तीयों पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय में यह मामला स्वास्थ्य विभाग में नर्साें की प्रस्तावित भर्ती को लेकर आया था। नर्सों की कुछ भर्ती बैचवाइज और कुछ सीधी परीक्षा से होती रही है। लेकिन इस बार यह भर्ती आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही थी। उच्च न्यायालय ने आउटसोर्स भर्ती को संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करार दिया है। याचिकाकर्ता बाल कृष्ण ने अदालत को अवगत करवाया है कि सरकार पिछले 15 वर्षों से नियमित भर्तीयों को टालकर आउटसोर्स के माध्यम से भर्तीयां करती जा रही हैं। इससे सरकार में नियमित पद समाप्त होते जा रहे हैं। इसमें बेरोजगार युवाओं का शोषण भी हो रहा है। क्योंकि उनसे बहुत ही कम वेतन पर काम करवाया जाता है। केन्द्र सरकार में केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही आउटसोर्स के माध्यम से रखे जाते हैं। लेकिन प्रदेश में तृतीय श्रेणी के कर्मचारी भी आउटसोर्स के माध्यम से रखे जा रहे हैं और इसके लिये सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन को अधिकृत कर रखा है। उच्च न्यायालय के सामने यह सब आने के बाद अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन और नाईलेट पर भी आउटसोर्स भर्ती करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। स्वास्थ्य विभाग और पर्यटन विभाग पर आउटसोर्स नियुक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाते हुये सरकार से आउटसोर्स का सारा डाटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाने के निर्देश पारित किये हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन से इस संद्धर्भ में अपनी भूमिका स्पष्ट करने का भी आदेश दिया है। सरकार ने यह प्रतिबन्ध हटाने के लिये अभी जनवरी में अदालत से गुहार लगाई थी। अदालत ने सरकार के आग्रह को ठुकराते हुये आउटसोर्स पर प्रतिबन्ध को जारी रखा है। अदालत ने आउटसोर्स भर्ती में शामिल कंपनियों और चयनित उम्मीदवारों का विवरण सार्वजनिक करने के भी निर्देश दिये हैं। अदालत में यह भी सामने आया है कि प्रदेश में आउटसोर्स भर्ती में शामिल 104 कंपनियां फर्जी हैं। अदालत के इन निर्देशों के बाद भी सरकार ने मंत्रियों को सोशल काऑर्डिनेटर आउटसोर्स के माध्यम से लगाने की नीति बनाई है। अब यह देखना रोचक होगा कि उच्च न्यायालय द्वारा आउटसोर्स पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद भी सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या नहीं। सरकार की तर्ज पर कुछ कंपनियों ने आउटसोर्स के माध्यम से भर्तीयां करने के लिए आवेदन आमंत्रित कर रखे हैं। यह प्रस्तावित भर्तीयां आयुष और पर्यटन तथा शिक्षा विभाग में की जायेगी। इसके लिये प्रार्थीयों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गये हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरने वाले इसके लिये 300 रूपये तक की फीस ले रहे हैं। यही नहीं आवेदन करने के बाद प्रार्थी संबंधित मंत्रियों के कार्यालय तक शिमला में पहुंच रहे हैं। प्रार्थियों के पहुंचने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह सब कुछ मंत्रियों के भी संज्ञान में है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब प्रदेश उच्च न्यायालय ने आउटसोर्स भर्ती को संविधान के अनुच्छेद 16 की उल्लंघना करार देते हुये इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा रखा है तब युवाओं का इस तरह से शोषण क्यों किया जा रहा है? सरकार एक ब्यान जारी करके आम युवा को इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दे रही है? जो कंपनियां उच्च न्यायालय के प्रतिबन्ध के बावजूद युवाओं से आवेदन आमंत्रित कर रही हैं उनके खिलाफ कारवाई क्यों नहीं की जा रही है।