क्या पर्यवेक्षक संगठन के नाम पर सरकार की रिपोर्ट तैयार करेंगे?

Created on Wednesday, 27 November 2024 03:55
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस की पिछले दिनों प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर की सारी इकाइयां भंग कर दी गई थी। अब इसकी जगह नई इकाइयां गठित होनी है। प्रदेश अध्यक्षा अभी इस पुनर्गठन की दिशा में बढ़ने ही लगी थी कि हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस पुनर्गठन के लिए कुछ पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये। संयोगवश यह सब पर्यवेक्षक हिमाचल से बाहर के हैं। यह लोग अपने-अपने क्षेत्र का दौरा करने वहां लोगों से फीडबैक लेने में कितना समय लगाते हैं और कब अपनी रिपोर्ट सौंपते हैं इस सब को ध्यान में रखते हुये यह तय है कि इस पुनर्गठन में समय लगेगा। संगठन के पुनर्गठन के लिये इस तरह से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पहली बार हिमाचल में देखने को मिल रही है। लेकिन इस कदम के साथ ही कांग्रेस के अन्दर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आयी हैं। कुछ हलकों में इस कदम को प्रदेश अध्यक्षा पर अंकुश लगाने का प्रयास माना जा रहा है। इसी के साथ कुछ हलकों में इसे मंत्रिमण्डल में फेर बदल के संकेतों के रूप में भी देखा जा रहा है। यह तय है कि इन पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट का परिणाम बहुत दूरगामी होगा। इसलिये इस पूरी प्रक्रिया का निष्पक्ष आकलन करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि कांग्रेस सत्ता में है।
प्रदेश संगठन की इकाई प्रदेश अध्यक्षता की सिफारिश पर भंग की गयी है। स्मरणीय है कि प्रदेश अध्यक्षा काफी समय से निष्क्रिय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी को हटाने की बात करती रही है। यह भी शिकायतें रही हैं कि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सरकार में उचित मान सम्मान नहीं दिया जा रहा है। हाईकमान तक यह शिकायतें पहुंची और एक समन्वय समिति गठित की गयी जो व्यवहार में प्रभावी नहीं हो पायी। विपक्ष लगातार सरकार को गारंटीयों के मुद्दे पर घेरता रहा है। इसी सब का परिणाम हुआ कि प्रदेश के चारों लोकसभा सीटें कांग्रेस हार गयी। राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के छः विधायक पार्टी छोड़कर चले गये। प्रदेश का सह प्रभारी तक पार्टी छोड़ गया था। लेकिन हाईकमान इस सब को समझ नहीं पायी। परन्तु अब जिस तरह से सरकार के कुछ फैसले विवादित हुये और स्पष्टीकरण जारी करने की नौबत आयी। प्रधानमंत्री ने हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों जगह हिमाचल को चुनावी मुद्दा बनाया। समोसा जांच राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय समाचार बन गया। पहली बार इस तरह की विवादित छवि प्रदेश की देश भर में प्रचारित हुई।
यह एक स्थापित सच है की सरकार बनने के बाद उसकी कार्य प्रणाली और परफॉरमैन्स से ही पार्टी और सरकार का आदमी आकलन करता है। कांग्रेस चुनाव में दस गारंटीयां देकर सत्ता में आयी थी। यह गारंटीयां देते हुये इन पर कोई ‘‘किन्तु परन्तु’’ नहीं लगाये गये थे। इन गारंटीयों की व्यवहारिक स्थिति क्या है उसको आम आदमी नेताओं के भाषणों से हटकर जानता है। प्रदेश से बाहर नेता क्या बोल रहे हैं और प्रदेश के अन्दर की स्थिति क्या है उसे प्रदेश का आम आदमी बेहतर जानता है। प्रदेश के संगठन और सरकार में कैसे रिश्ते हैं इसकी जानकारी प्रदेश के लोगों को ज्यादा पता है। अभी सरकार दो वर्ष पूरे करने के अवसर पर आयोजन करने जा रही है। मुख्यमंत्री इस आयोजन का निमंत्रण केंद्रीय नेताओं को दे रहे हैं। लेकिन उन्ही का एक सहयोगी मंत्री यह कहे कि उसे ऐसे प्रस्तावित आयोजन की जानकारी मीडिया से मिल रही है तो फिर सरकार के बारे में ज्यादा कुछ बोलने को नहीं रह जाता है।
अभी जब पर्यवेक्षक संगठन के बारे में फीडबैक लेने के लिये जनता में जाएंगे तब उन्हें सरकार की परफॉरमैन्स की व्यवहारिक जानकारी मिलेगी। यह देखने को मिलेगा की कितनी महिलाओं को पन्द्रह सौ रूपये मिल रहे हैं। कितने युवाओं को व्यवहारिक तौर पर सरकार रोजगार दे पायी है। महंगाई को कितना कम कर पायी है। यह सामने आयेगा कि सरकार ने खर्च कम करने के लिये क्या-क्या किया है। जिन फैसलों के सरकार को स्पष्टीकरण जारी करने पड़े हैं उनका असली सच क्या है। प्रदेश से बाहर के पर्यवेक्षक लगाकर हाईकमान ने संगठन के नाम पर सरकार के बारे में सही जानकारी जुटाने के लिए पर्यवेक्षकों को फीडबैक लेने के लिए भेजा है। क्योंकि कोई भी संगठन केवल सरकार की परफॉरमैन्स का ही सबसे बड़ा सूत्रा होता है। ऐसे में हाईकमान ने संगठन के नाम पर सरकार की असली जानकारी जुटाने के लिये प्रदेश से बाहर के पर्यवेक्षक भेजे हैं। इसकी रिपोर्ट के बाद हाईकमान प्रदेश सरकार के बारे में ठीक व्यवहारिक और सटीक जानकारी जुटा पायेगी।