शिमला/शैल। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में प्रतिवर्ष एक लाख रोजगार उपलब्ध करवाने का प्रदेश के युवाओं से वादा किया था। यह रोजगार प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध करवाया जाना था। प्रदेश में सरकार ही सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इसलिये सरकार में कितने पद विभिन्न विभागों में खाली है इसका पता लगाने के लिये एक मंत्री स्तरीय कमेटी बनायी गयी थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार में 70,000 पद खाली होने की सूचना आयी थी। सरकार में अराजपत्रित कर्मचारियों की भर्ती करने के लिये अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड गठित था। लेकिन इस बोर्ड पर भ्रष्टाचार और परीक्षाओं में पेपर लीक के आरोप लगने के कारण इसे भंग कर दिया गया। भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मामलों पर आपराधिक मामले दर्ज किये। इन मामलों की जांच अभी तक चल रही है। अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को भंग करने के बाद इसका काम भी प्रदेश लोक सेवा आयोग को सौंप दिया गया था। प्रदेश के रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या नौ लाख से बढ़ गयी है। बेरोजगारी के मामले में प्रदेश देश के पहले छः राज्यों में शामिल हो गया है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है। उद्योगों के प्रदेश से पलायन करके दूसरे प्रदेशों में जाने के समाचार बराबर आ रहे हैं। उद्योगों के पलायन को विपक्ष लगातार मुद्दा बना रहा है। नये उद्योग नहीं के बराबर आ रहे हैं। इस वस्तुस्थिति में युवाओं को रोजगार कैसे मिल पायेगा यह एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है।
दूसरी और सरकार मंत्रिमंडल की लगभग हर बैठक में किसी न किसी विभाग में भर्तियां करने की अनुशंसा करती आ रही है। पिछले दिनों सरकार के एक ब्यान में प्रदेश में तीस हजार लोगों को नौकरियां देने का दावा किया गया है। लेकिन प्रदेश के बेरोजगार सरकार के इस दावे से सहमत नहीं हैं। उन्होंने सरकार के आंकड़ों को एकदम गलत करार दिया है। बेरोजगार युवाओं ने शिमला में विधानसभा सत्र के दौरान एक प्रदर्शन में यहां तक कह दिया कि या तो उन्हें नौकरी दे दो या गोली मार दो। युवाओं की यह हताशा एक गंभीर चेतावनी है। आने वाले दिनों में युवाओं के आक्रोश और रोष का तंत्र को सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यह जांचना आवश्यक हो जाता है कि क्या सरकार के दावे और आंकड़े जमीनी हकीकत बन पाये हैं या नहीं। इसके लिये विधानसभा सत्र में सदन में विधायकों द्वारा इस संद्धर्भ में पूछे गये परोक्ष/अपरोक्ष सवालों पर सरकार द्वारा दिये गये उत्तरों पर नजर डालने से बेहतर और कोई साधन नहीं हो सकता।
सत्र के आखिरी दिन दस तारीख को कुछ विधायकों द्वारा पूछे गये प्रश्न और उनके उत्तर पाठकों के सामने रखना आवश्यक हो जाता है। विधायक भुवनेश्वर गॉड का तारांकित प्रश्न था गत तीन वर्षों में दिनांक 15 -01-24 तक विभिन्न विभागों/ निगमों/बोर्डों में कितने मल्टी पर्पज (एमपीडब्ल्यू) सरकार द्वारा किस-किस नीति के तहत नियुक्त किये गये ब्योरा विभाग वार दें। इसका जवाब आया सूचना एकत्रित की जा रही है। दूसरा प्रश्न भी भुवनेश्वर गॉड का ही था गत तीन वर्षों में विभिन्न विभागों/बोर्डों/ निगमों में किस-किस कंपनी को आउटसोर्स भर्ती हेतु नियुक्त/कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है और कितने कर्मचारी आउटसोर्स पर इन कंपनियों द्वारा रखे गये तथा इन भर्तियों हेतु क्या-क्या मापदण्ड रखे गये ब्योरा विभागवार/पदवार दें। इसका जवाब भी सूचना एकत्रित की जा रही है ही आया है।
इसी दिन विधायक दीप राज और जीतराम कटवाल का संयुक्त प्रश्न था गत डेढ़ वर्ष में दिनांक 31-7-24 तक सरकार द्वारा सरकारी तथा निजी स्तर पर कितने लोगों को रोजगार प्रदान किया गया तथा प्रदेश में बेरोजगारी दर क्या है? इसी दिन विधायक केवल सिंह पठानिया का अंतारंकित प्रश्न था प्रदेश में वर्तमान में समस्त श्रेणियां में कुल कितने पद रिक्त हैं, इनमें से कितने पद काफी समय से बैकलॉग में चल रहे हैं और सरकार द्वारा गत वर्ष में 15-1-24 तक कितने लोगों को रोजगार प्रदान किया गया ब्योरा विभागवार तथा पदवार दें- इसका जवाब भी सूचना एकत्रित की जा रही है -ही आया है। यह कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न ही पाठकों के सामने रखे गये हैं इस संद्धर्भ में पूछे गये सभी प्रश्नों का उत्तर इसी तरह टाल दिया गया है। सरकार को सत्ता में आये दो वर्ष होने जा रहे हैं। बेरोजगारी एक गंभीर समस्या होती जा रही है बेरोजगारी पर तो सरकार से ठोस जवाब चाहिये। यदि अब भी सरकार इस पर कुछ भी ठोस बताने को तैयार नहीं है तो सरकार को लेकर क्या आकलन बनता है इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।