यह वित्तीय संकट कहीं राजनीतिक संकट न बन जाये उभरने लगी आशंकाएं

Created on Wednesday, 04 September 2024 13:37
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। हिमाचल का वित्तीय संकट कहीं कांग्रेस के अन्दर एक और विद्रोह का कारण न बन जाये इसकी आशंका लगातार बढ़ती जा रही है। इसका संकेत उस समय स्पष्ट हो गया था जब पिछले दिनों महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा अलका लांबा को भाजपा विधायक पूर्व अध्यक्ष हंसराज के खिलाफ एक महिला द्वारा एफ.आई.आर. करवाने के बाद भी प्रदेश पुलिस द्वारा आगे की कारवाई नहीं की गयी। इससे यह सन्देश गया था कि शायद राज्य सरकार इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती। महिला कांग्रेस ने विधानसभा के बाहर ही इस मामले में प्रदर्शन किया था। महिला कांग्रेस का यह प्रदर्शन भाजपा विधायक से ज्यादा अपनी ही सुक्खु सरकार के खिलाफ था। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस कार्यकर्ता कहीं न कहीं अपनी ही सरकार की कार्य प्रणाली से खुश नहीं हैं। अब सरकार का वित्तीय संकट खुलकर सामने आ गया है जब मुख्यमंत्री स्वयं इस संकट पर विधानसभा में अपना ब्यान रख चुके हैं तब उसके बाद यह कहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है कि कोई संकट नहीं है। यह फैसला तो वित्तीय अनुशासन लाने के लिये लिया गया था। संकट का सच उस समय स्वयं खुलकर सामने आ गया जब कर्मचारी और पैन्शनरों को समय पर भुगतान नहीं हो सका। इस संकट के लिये कौन जिम्मेदार है यह सुनिश्चित करने से ज्यादा यह महत्वपूर्ण हो गया है कि इस संकट का असर कहां-कहां पड़ेगा। यह स्पष्ट है कि संकट के चलते चुनाव के दौरान जनता को दी गयी एक भी गारंटी पर सरकार व्यवहारिक रूप से अमल नहीं कर पायेगी। बल्कि पहले से मिल रही सुविधाओं पर कटौती की जाने लगी है। यह स्थिति किसी भी राजनीतिक कार्यकर्ता के लिये सुखद नहीं हो सकती क्योंकि उसे जनता के बीच जाना होता है और उसके सवालों का जवाब देना होता है। कांग्रेस का कार्यकर्ता इसी दुविधा से गुजर रहा है। अभी चार राज्यों के चुनाव होने जा रहे हैं। भाजपा प्रदेश की स्थिति को इन राज्यों में उछालेगी। विश्लेषकों के मुताबिक राज्य की वित्तीय स्थिति पर सदन में मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा ब्यान नहीं रखा जाना चाहिए था। यह ब्यान रखना अपने में आत्मघाती कदम बन जाता है। माना जा रहा है कि सुक्खू के सलाहकार इस मामले में भारी गलती कर गये हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल तो यह उभर रहा है कि जब चालू वित्त वर्ष के लिये फरवरी में सदन में बजट पारित किया गया था तब उसमें वर्ष के अन्त में सिर्फ 10783.87 करोड़ का घाटा दिखाया गया था। जिसका अर्थ यह है कि वर्ष के राजस्व और पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिये यदि सरकार को कोई कर्ज भी लेना पड़ता है तो वह इससे अधिक का नहीं हो सकता था। क्योंकि बजट में तो हर चीज का सही आकलन और हिसाब रखा जाता है। सदन में पारित बजट के बाद प्रदेश की वित्तीय स्थिति का इस मुकाम तक पहुंच जाना अपने में कई गंभीर स्वर खड़े कर देता है। बजट दस्तावेज के आईने में वर्तमान स्थिति का उभरना सामान्य समझ के बाहर की बात है। फिर अभी सरकार को तीन वर्ष का और कार्यकाल पूरा करना है। यह स्थिति प्रदेश के कार्यकर्ताओं से ज्यादा कांग्रेस हाई कमान के लिए चिंताजनक है। क्योंकि आज यदि किन्हीं कारणों से प्रदेश में चुनाव की स्थिति खड़ी हो जाये तो कांग्रेस का पुनः सत्ता में आना संभव नहीं होगा। यह है सदन में पारित 2024-25 का दस्तावेज। इस बजट के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं के दाम बढ़ाये गये हैं। इस बढ़ौतरी के बाद भी वेतन भत्ते निलंबित करने की स्थिति आना अपने में चिंताजनक है।