प्रशासनिक और राजनीतिक हल्को में जीआईसी का टैण्डर बना चर्चा का विषय
शिमला/शैल। हिमाचल सरकार ने पांच लाख से अधिक के कार्यों के निष्पादन और अन्य विक्रय में पारदर्शिता लाने के लिये सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर रखी है। इसके लिये हिमाचल टैण्डर के नाम से एक साइट बनायी गयी है। पांच लाख से अधिक का काम इस साइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। ऑनलाइन प्रक्रिया में संबंधित विभाग इस साइट पर अपनी डिमाण्ड अपलोड कर देता है और उसके बाद सारी प्रक्रिया ऑनलाइन स्वतः चालू हो जाती है। इस प्रक्रिया में संबंधित विभाग का दखल नहीं के बराबर रहता है। क्योंकि बोलीदाता/सप्लायर से कोई सीधा वास्ता ही नहीं रह जाता है। इसमें भ्रष्टाचार होने की कोई गुंजाइश ही नहीं रह जाती है।
लेकिन क्या सरकारी अदारे इस नीति पर अमल कर रहे हैं। यह सवाल पिछले दिनों प्रदेश की जनरल इण्डस्ट्रीज उद्योग निगम द्वारा करीब 20 करोड़ की खरीद करने के लिये जारी किये गये ऑफलाइन टैण्डर के सामने आने से उठा है। जीआईसी ने शिक्षा विभाग के लिये चालीस हजार डैस्क खरीदने के लिये 13-3-2024 को टैण्डर जारी किया। इसमें 5-4-2024 को 2ः30 बजे तक निविदायें आमंत्रित की गयी। 19 -3-2024 को प्री बिड मीटिंग रखी गयी। इसमें हायर एजुकेशन के लिए अशोका इंटरप्राईसज के रेट मिडल रो 2685 रूपये, फ्रन्ट रो 3985 रूपये, लास्ट रो 2385 रूपये और एलिमेंट्री एजुकेशन के लिये आनन्द इंटरप्राईजस के रेट मिडल रो 2584 रूपये, फ्रन्ट रो 3884 रूपये , लास्ट रो 2384 रूपये स्वीकृत हुये हैं।
इन दिनों चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सप्लायरों को व्यवहारिक रूप से आर्डर जारी नहीं किये गये हैं। यह टैण्डर 13-3-2024 को जारी हुआ था और 16-3-2024 को चुनावों की घोषणा के साथ ही चुनाव आचार संहिता लग गयी थी। इस टैण्डर में यह सवाल उठ रहा है कि जब पांच लाख से अधिक की हर खरीद के लिये ऑनलाइन टैण्डर अनिवार्य है तो इसमें उस नियम की अनुपालना क्यों नहीं हुई? क्या सरकार की ऑनलाइन प्रक्रिया में कोई कमी आयी है। क्या जीआईसी ने ऑफलाईन प्रक्रिया अपनाने के लिये कोई पूर्व अनुमति ले रखी है। इन दिनों क्योंकि चुनाव चल रहा है इसलिये यह प्रश्न प्रसांगिक हो जाते हैं। प्रशासनिक और राजनीतिक हल्को में यह टैण्डर गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है।