शिमला/शैल। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में महिलाओं को पन्द्रह पन्द्रह सौ रुपए प्रतिमाह देने की गारन्टी दी थी। यह गारंटी देते हुये यह नहीं बताया गया था कि वह पन्द्रह सौ कब से देने शुरू किये जाएंगे। जब इस गारन्टी पर सवाल उठने शुरू हुये तो इसे लाहौल-स्पीति से लागू कर दिये जाने की घोषणा कर दी गयी। इसी के साथ यह भी कहा गया कि बाकी प्रदेश में भी इसे शीघ्र लागू कर दिया जायेगा। इसी दौरान इस आश्य की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी। अधिसूचना के साथ वह फॉर्म जारी किया गया जो पन्द्रह सौ पाने के लिए भरा जाना है। इस फॉर्म में पात्रता के लिये कई सारे राइटर जोड़ दिये गये हैं। इन चुनावों की घोषणा के बाद जब यह फॉर्म भरे जाने लगे तो इसकी चुनाव आयोग में शिकायत हो गयी और यह फॉर्म भरने का काम रुक गया। अब यह चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है कि भाजपा महिलाओं को यह सहायता दिये जाने का विरोध कर रही है। सरकार के पास यह सहायता दिये जाने के लिये संसाधन कहां से आयेंगे? क्या कर्ज लेकर यह सहायता दी जायेगी या आम आदमी पर करांे का बोझ डालकर यह सवाल भी चर्चा में आने लगा है। इन चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या करीब 28 लाख है। इसलिए पन्द्रह सौ रूपये को चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कारण से सरकार की विभिन्न जनकल्याण योजनाओं को समझने की आवश्यकता है।
इस समय जनकल्याण के नाम पर आठ पैन्शन योजनाएं चल रही हैं। यह योजनाएं हैं वृद्धावस्था पैन्शन योजना, दिव्यांग राहत भत्ता, विधवा/परित्यक्ता/एकल नारी पैन्शन, कुष्ठ रोगी पुनर्वास योजना, ट्रांसजैण्डर पैन्शन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था (बी.पी.एल.) त्रैमासिक वित्तीय सहायता, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पैन्शन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांगता पैन्शन योजना। इन सारी पैन्शन योजनाओं के लाभार्थीयों की संख्या 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 7,83,917 है। इसी सर्वेक्षण के मुताबिक 15-5-23 से लाहौल-स्पीति में दिये जा रहे 1500 रुपए के लाभार्थियों की संख्या 803 है। इन योजनाओं के तहत एक हजार, ग्यारह सौ पचास और सत्रह सौ रूपये दिये जा रहे हैं। सरकार की इन योजनाओं पर नजर डालने से यह सवाल उभरता है कि इन योजनाओं से कौन सी पात्र महिला छूट गयी होगी जिसे अब पन्द्रह सौ के दायरे में लाया जायेगा। फिर यह भी कहा गया कि सभी की पैन्शन राशि पन्द्रह सौ कर दी जायेगी। इसमें एक हजार या ग्यारह सौ पचास पाने वाले को तो पन्द्रह सौ मिलने से कुछ सहायता बढ़ जायेगी। लेकिन क्या 1700 पाने वाले के दो सौ कम कर दिये जाएंगे यह स्पष्ट नहीं है।
इस समय सरकार पन्द्रह माह के कार्यकाल में 25000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है और 6200 करोड़ और लेने जा रहे हैं। यह आरोप भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने लगाया है। डॉ. राजीव बिंदल पहले भी आर.टी.आई. के माध्यम से ली गयी सूचना के आधार पर कर्ज के आंकड़े जारी कर चुके हैं। डॉ. बिंदल द्वारा जारी कर्ज के इन आंकड़ों पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि क्या कर्ज लेकर इस तरह की राहत पहुंचाना जायज है? क्योंकि जब कर्ज लेकर राहत बांटी जाती है तब कर्ज के कारण बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी में यह राहत अर्थहीन होकर रह जाती है। इस समय इतना कर्ज लेकर भी सरकार कर्मचारियों के बकाये की ही अदायगी नहीं कर पायी है। इसलिए कर्ज लेकर राहत बांटने के सिद्धांत पर एक सार्वजनिक बहस में फैसला लिया जाना चाहिए। क्योंकि पन्द्रह माह में 25000 करोड़ का कर्ज एक बड़ा आरोप है। सरकार की खामोशी से यह और गंभीर हो जाता है।