प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा हुआ चौदह लाख से पार

Created on Friday, 19 April 2024 06:53
Written by Shail Samachar
  • करीब बारह लाख युवा इस बार मतदान में भाग लेंगे
  • सरकार के विभिन्न विभागों में 70,000 पद खाली
  • लेकिन 2023 में 4751 हीविज्ञापित हुये और भरे केवल 257
  • निजी क्षेत्र में 11681 नौकरियां घोषित हुई और भरी केवल 6933
शिमला/शैल।  हिमाचल में इस बार करीब बारह लाख युवा जो तीस वर्ष के आयु वर्ग में आते है। चुनाव में मतदान करने जा रहे है। बारह लाख का यह आंकड़ा चुनाव परिणामों को कोई भी दिशा दशा दे सकता है क्योंकि प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा भी 1 जनवरी 2023 को चौदह लाख के पार हो चुका है। यह जानकारी विधानसभा में विधायक केवल सिंह पठानिया के एक प्रश्न के उत्तर में आयी है। यह भी जानकारी दी गई है कि वर्ष 2021-22 और 22-23 में केवल 39779 को ही रोजगार मिल पाया है। वर्ष 2023 में सरकारी क्षेत्र में 4751 नौकरियां विज्ञापित की गयी जिसमें से केवल 257 को ही दिसम्बर 2023 तक सरकारी नौकरी मिल पायी है इसमें किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में एक भी युवा को सरकारी नौकरी नहीं मिल पायी है। इसी अवधि में प्राइवेट सेक्टर में 11681 नौकरियां घोषित हुई लेकिन केवल 6933 को ही नौकरी मिल पायी है। वर्ष 2023 में 1,09083 प्रदेश के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण करवाया लेकिन नौकरी केवल 257 को ही मिल पायी है। वर्ष 2024 के बजट सत्र में रोजगार को लेकर जितने भी प्रश्न पूछे गये उनमें हरेक में यही जवाब दिया गया है कि अभी सूचना एकत्रित की जा रही है। रोजगार को लेकर यह आंकड़े विधानसभा में दी गई जानकारी और आर्थिक सर्वेक्षणों में दर्ज आंकड़ों पर आधारित है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर में 4 ़4प्रतिशत की दर से प्रति वर्ष बढ़ोतरी हो रही है। हिमाचल में सरकार ही रोजगार का सबसे बड़ा साधन है यदि एक लाख के पंजीकरण पर केवल 257 को नहीं सरकार नौकरी दे पाये तो चौदह लाख को नौकरी मिलने में कितना समय लगेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आंकड़ों के इस आईने को सामने रखकर यह सवाल उठना स्वभाविक है कि पांॅच लाख लोगों को नौकरी देने की गारंटी पूरी करने में कितने दशक लगेंगे। इस सरकार ने जब सत्ता संभाली थी तब प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में खाली पदों का आंकड़ा लेने के लिये मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार सरकार में कर्मचारी के 70000 पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि 70000 पद खाली होते हुये 4751 ही क्यों विज्ञापित किये गये और फिर केवल 257 ही गये। इसमें सरकार की नियत और नीति दोनों पर सवाल उठ जाते हैं। सरकार विकास के नाम पर करीब हर माह कर्ज ले रही है यदि यह कर्ज लेकर किया गया विकास बेरोजगार युवाओं को न तो सरकार में और न ही प्राइवेट सेक्टर में रोजगार दे पाये तो उसे क्या लाभ । सरकार बेरोजगार युवाओं को एक हजार प्रति माह और विकलांगों को1500 रुपये बेरोजगारी भता दे रही है। लेकिन यह भता केवल 2 वर्ष के लिये दिया जा रहा है। लेकिन क्या 2 वर्ष तक बेरोजगारी भत्ता लेने वालों को इसी अवधि में रोजगार भी मिल पा रहा है। इसी तरह कौशल विकास भत्ते की स्थिति है। सरकार भताा दे रही है लेकिन उसके परिणामों की कोई जानकारी है। इस परिदृश्य में यह सवाल पूछा जाना आवश्यक हो जाता है कि जब सरकार में इतने पद खाली है और उनके भरने की गति 257 1 वर्ष में है तो क्या सरकार अपरोक्ष में सरकारी सेवा को आउटसोर्स में बदलने जा रही है। क्योंकि सरकार ने जिस तरह से अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को भंग किया है और उसके स्थान पर पहले लोक सेवा आयोग को ही यह जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया और बाद में अलग से एक और अदारा बनाने का निर्णय लिया जिस काम करने की स्थिति तक पहुंचने में अभी समय लगेगा। हिमाचल में बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है और सरकारों की सोच की गति से ऐसा नहीं लगता है कि उसके प्रति गंभीर भी है। ऐसे में यह बारह लाख युवा मतदान इस चुनाव में बेरोजगारी को कितना बड़ा मुद्दा बना पाते हैं क्या देखना रोचक होगा।