मुख्यमंत्री और बागी आये आमने सामने
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Created on Tuesday, 09 April 2024 13:45
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Written by Shail Samachar
- नादौन में विलेज कामन लैंड की खरीद बेच पर बड़े धमाके की संभावना
- क्या नादौन में लैंड सीलिंग एक्ट की अनदेखी हो रही है?
शिमला/शैल। कांग्रेस के बागीयों द्वारा राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग करके पार्टी के उम्मीदवार को हराने से प्रदेश की राजनीति एक बहुत ही नायक मोड पर पहुंच गई है। क्योंकि इन बागीयों को कांग्रेस ने विधानसभा से निष्कासित करवाकर इनके किसी भी दूसरे दल में जाने का रास्ता आसान कर दिया। परिणामस्वरुप यह लोग निष्कासन के बाद भाजपा में शामिल भी हो गए और उपचुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार की नामित हो गए। उनके उम्मीदवार नामित होने से भाजपा में जो रोष के स्वर उभरे थे वह भी शांत होते जा रहे हैं। अब केवल भीतरघात की अटकलें ही शेष रह गई है और ऐसी आटकलों से कांग्रेस भी अछूती नहीं है । क्योंकि कांग्रेस भी भाजपा में सेंधमारी के प्रयासों में लग गई है और यह प्रयास भी सार्वजनिक हो गये जबकि इनका कोई परिणाम सामने नहीं आ पाया है। कांग्रेस अभी तक अपने उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पायी है ऐसे में उम्मीदवारों के घोषित हुए बिना ही मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार की शुरुआत करनी पड़ी है। यह शुरुआत कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से की गई क्योंकि यहां भी उपचुनाव होना है। यहां से देवेन्द्र भूटो बागी होकर भाजपा के उम्मीदवार नामित हो चुके हैं ।
मुख्यमंत्री ने यहां से चुनावी शंखनाद फुंकते हुए देवेंद्र भूटो को कुटो का आह्वान करके साथ ही बागीयों के पन्द्रह पन्द्रह करोड़ में का आरोप लगा दिया । "भूटो को कुटो " का असर मतदाताओं पर कोई अच्छा नहीं पड़ा है क्योंकि यह परिवार पिछले बीस वर्षों से क्षेत्र के सार्वजनिक जीवन में है । परिवार से तीन लोग पंचायत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं । देवेंद्र भूटो प्रदेश के सबसे कम आयु के बीडीसी अध्यक्ष रह चुके हैं और इसी पृष्ठभूमि के आधार पर कांग्रेस को बीस वर्ष बाद कुटलैहड़ की विधानसभा जीत कर दे पाये थे । इस पृष्ठभूमि के साथ इनके ऊपर लगाये जा रहे हैं आरोपों का क्षेत्र की जनता पर क्या असर पड़ेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है । लेकिन कुटलैहड़ के मंच से बागीयों पर पन्द्रह पन्द्रह करोड़ में बिकने का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री ने इन लोगों को आक्रामक होने का जो न्योता दिया है उसके परिणाम दूरगामी होंगे। क्योंकि संयोगवश मुख्यमंत्री का अपना विधानसभा क्षेत्र इन चारों से भूटो , लखनपाल, आशीष शर्मा और राजेंद्र राणा के चुनाव क्षेत्र से घिरा हुआ है। इस कारण नादौन की एक एक गतिविधि पर सब की नजर लगी हुई है।
इन्हीं नजरों का परिणाम है कि बागीयों ने मुख्यमंत्री के आरोप के जवाब में मानहानि का नोटिस देते हुए स्टोन क्रेशर और एडीबी के प्रोजेक्ट की ओर इशारा किया है । नादौन में एडीबी से वित्त पोषित करीब 1200 करोड़ का पर्यटन एवं अन्य गतिविधियों के परिसर का निर्माण किया जा रहा है । एक ओर इसके लिए एडीबी से कर्ज लिया जा रहा है दूसरी ओर इसके लिए निवेशक तलाशने के लिए चंडीगढ़ में इन्वेस्टर मीट आयोजित की जा रही है जिस पर सुधीर शर्मा ने एतराज उठाया है। चर्चा है कि जहां पर यह परिसर प्रस्तावित है उसके आसपास विलेज कामन लैंड है जिसे कुछ प्रभावशाली लोगों ने खरीद रखा है और यह खरीद बेच ही अपने में एक बड़ा मुद्दा है। स्मरणीय है कि नादौन विधानसभा क्षेत्र किसी समय राजा नादौन की रियासत था। यह रियासत क्षेत्र के 329 गांवों में फैली हुई थी और 1897 में राजा नादौन को जालंधर कमिश्नर की ओर से जागीर के रूप में मिली थी। लेकिन राजा की मलकियत बनने के बाद साथ ही इस पर स्थानीय लोगों के बर्तनदारी के अधिकार भी सुरक्षित रखे गए थे । इन अधिकारों के कारण ही यह राजस्व रिकॉर्ड में विलेज कामन लैंड बनी। जब हिमाचल में लैंड सीलिंग अधिनियम लागू हुआ तब यह जमीने सरप्लस घोषित होकर सरकार में विहित कर दी गयी । राजा नादौन को केवल 316 कनाल का एक यूनिट ही मिला। इस तरह इस जागीर की करीब 1,59,486 कनाल सीलिंग में सरकार के पास आ गयी। 22-11_75 को इस संबंध में अदालत का अंतिम फैसला भी आ गया। इस पर लोगों के बर्तनदारी हक भी सुरक्षित रहे लेकिन बर्तनदार इन जमीनों के मालिक नहीं बने ।
लेकिन लैंड सीलिंग अधिनियम लागू होने और 22-11-75 को अदालत का फैसला आने के बाद भी आज तक राजा नादौन के नाम से ऐसी जमीनों की खरीद बेच चालू है। कुछ लोगों ने तो लैंड सीलिंग सीमा से अधिक खरीददारी कर रखी है । अब जब हिमाचल सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन किया तब यह नादौन का मामला कुछ लोगों के संज्ञान में आया है। इस पर यह सवाल उठने लगे हैं कि जब प्रदेश में कोई व्यक्ति 316 कनाल या 161 बीघा से अधिक का मालिक ही नहीं हो सकता तो वह इस सीमा से अधिक जमीन खरीद कैसे हो गया। राजस्व अधिकारी ऐसे मामलों में क्यों खामोश बैठे हुए थे । फिर जब यह जमीन विलेज कामन लैंड की श्रेणी में आती थी तब इनकी खरीद बेच कैसे हो गयी। राजनीतिक नेतृत्व को इसका पता क्यों नहीं चला। क्या यह सब प्रशासन के सहयोग से हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक यह कांग्रेस के बागी इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं और शीघ्र कोई बड़ा धमाका करने वाले हैं ।