शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना दूसरा बजट सदन में रखा है। वर्ष 2024-25 के इस बजट का आकार 58444 करोड़ है। इसमें मुख्यमंत्री ने सात नयी योजनाएं और तीन नयी नीतियां लाने की घोषणा की है। 58444 करोड़ के इस बजट में 42153 करोड़ की राजस्व प्राप्तियां और 46667 करोड़ राजस्व व्यय होने का अनुमान है। वर्ष के अन्त में राजकोषीय घाटा 10784 करोड़ रहने का अनुमान है। इसके खर्च का ब्योरा इस प्रकार रहने वाला है। 100 रूपये के कुल खर्च में 25 रूपये वेतन पर 17 रूपये पैन्शन, ब्याज अदायीगी पर 11 रूपये, ऋण की वापसी पर 9 रूपये, स्वायत्त संस्थानों की ग्रांट पर 10 रूपये, 28 रूपये पूंजीगत कार्यों पर खर्च होंगे। 42153 करोड़ की राजस्व प्राप्तियां में राज्य से 18739.39 करोड़, केंद्रीय प्राप्तियां से 18141.47 करोड़, केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के अंतर्गत अनुदान से 5272.22 करोड़ प्राप्त होंगे। पूंजीगत प्राप्तियां 12786.66 करोड़ होंगी। जिसमें 12759.11 करोड़ ब्याज मुक्त ऋण होगा। राज्य का कुल राजस्व 15100.69 करोड़ और गैर राजस्व 3638.70 करोड़ रहेगा। पिछले वर्ष का राजस्व 13025.97 करोड़ और गैर कर राजस्व 3447.01 करोड़ था। इस तरह पिछले वर्ष के मुकाबले 2266.61 करोड़ का कर और गैर कर राजस्व इस वर्ष बढ़ा है। यह बढ़ौतरी वर्ष में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के दामों में की गयी वृद्धि का परिणाम है।
वर्ष 2023-24 के लिये जो 10307.59 करोड़ की अनुपूरक मांगे लायी गयी है उसके बाद वर्ष का राजस्व घाटा 5480 करोड़ रहने का अनुमान है। जबकि 2023-24 के बजट अनुमान सदन में रखते हुये यह घाटा 4704.1 2 करोड़ रहने का अनुमान था और राजकोषीय घाटा 9900.14 करोड़ आंका गया था। इस वर्ष का विकासात्मक बजट 9989.49 करोड़ रखा गया है। बजट दस्तावेजों के मुताबिक 2022-23 का सकल ऋण 76650.70 करोड़ दिखाया गया है। वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण भी सदन में रख दिया गया है। जिसके मुताबिक प्रति व्यक्ति आय 2,35,199 आंकी गयी है। इसी तरह प्रति व्यक्ति कर्ज का आंकड़ा 1,18,000 रूपये हैं। पिछले वर्ष वेतन पर खर्च 26.40 खर्च रखा गया था जो इस बार 25 रह गया। मुख्यमंत्री के बजट भाषण के अनुसार 28 पैसे पूंजीगतकार्यों पर खर्च होंगे। पूंजीगत खर्च विकासात्मक खर्च माना जाता है। 28 पैसे विकास पर खर्च होने का अर्थ है की 58444 करोड़ में से 16,364.32 करोड़ विकास पर खर्च होने चाहिये जबकि विकासात्मक बजट केवल 9989.49 करोड़ है। यह अन्तर क्यों है इसकी कोई व्याख्या दस्तावेजों में नहीं है।
बजट के इन आंकड़ों के परिदृश्य में यदि मुख्यमंत्री द्वारा की गयी घोषणाओं को देखा जाये तो यह लगता है कि बजट तैयार करने वालों ने घोषणाएं तो करवा दी हैं लेकिन उनका पूरा करने के सक्षम बजट प्रावधान नहीं रखे गये हैं। सरकार पर यह आरोप लगता रहा है कि उसे हर माह एक हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज लेना पड़ रहा है। और इसके लिये वाकायदा आरटीआई के माध्यम से आंकड़े जारी करके इसको प्रमाणित भी किया गया है लेकिन बजट में इसका कोई उल्लेख या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। पिछले वर्ष के मुकाबले जब इस वर्ष वेतन अदायगी के लिये कम प्रावधान किया गया है तो क्या इससे यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि इस वर्ष में सरकार नयी नौकरियां नहीं दे पायेगी। बजट दस्तावेजों के मुताबिक 72 पैसे प्रतिबद्ध खर्चों के लिये हैं और 28 पैसे विकास के लिये के अनुसार 16364.32 करोड़ होनी चाहिये थे लेकिन विकास के लिये तो बजट में केवल 9989.49 करोड़ का ही प्रावधान है। क्या इस अंतर को कर्ज लेकर पूरा किया जायेगा? इसी तरह बजट दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि इससे कर्ज का भार और बढ़ेगा।