आरटीआई आवेदन पर नगर निगम शिमला सवालों में

Created on Tuesday, 02 January 2024 12:25
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला परिक्षेत्र में हो रहे निर्माणों की वैधता के लिये नगर निगम प्रशासन ही पूरी तरह जिम्मेदार है। क्योंकि निर्माण संबंधी कोई भी नक्शा निगम प्रशासन के अनुमोदन के बिना व्यवहारिक रूप नहीं ले सकता। यहां तक की सरकारी निर्माण को भी टीसीपी अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। धर्मशाला के मकलोड़गंज प्रकरण में सर्वाेच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया हुआ है ऐसे में किसी भी निर्माण के लिए आये नगरों की सारी औपचारिकताओं की जानकारी नगर निगम या दूसरे संबंधित निकाय के पास होना अनिवार्य है। ऐसी जानकारी को कोई भी व्यक्ति आरटीआई के तहत हासिल कर सकता है। जब से एनजीटी ने शिमला में निर्माण को लेकर कुछ प्रतिबंध और कुछ शर्ते लगायी हैं तब से यहां के निर्माण पर आम आदमी का ध्यान भी केंद्रित होना शुरू हो गया है। ऐसे में अगर निगम किसी आरटीआई आवेदन का तय समय पर जवाब न दे और अपील अधिकारी को इसके लिये संबंधित सूचना अधिकारी को कड़ा पत्र लिखना पड़ जाये तो स्वभाविक रूप से संद्धर्भित निर्माण और संबंधित निगम प्रशासन को लेकर शंकाएं उभरेगी ही। स्मरणीय है कि एक आरटीआई एक्टीविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य ने शिमला के मैहली क्षेत्र में बने एक निर्माण की फोटो के साथ नगर निगम से उसके संबंध में कुछ जानकारियां मांगी। यह जानकारियां 18-10-2023 को मांगी गयी थी। जब इनका जवाब तय समय के भीतर नहीं आया तो देवाशीष ने इसकी अपील दायर कर दी। इस अपील पर 12-12-2023 को संबंधित अपील अधिकारी का फैसला आया। जिसमें अपील अधिकारी ने आवेदक को निशुल्क जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जब आरटीआई आवेदनों पर तय समय के भीतर सूचना न दिये जाने पर आवेदक अपील में जाने के लिये बाध्य कर दिया जाता है तो उस आरटीआई की अवधारणा को ही आघात पहुंचता है। इस संबंध में डाली गयी आरटीआई और उस पर अपील अधिकारी के निर्देश पाठकों के सामने यथास्थिति रखे जा रहे हैं।