प्रदेश को चार वर्षाे में आत्मनिर्भर और दस में सबसे अमीर बनाएंगे-सुक्खू

Created on Monday, 13 November 2023 17:53
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। देवी देवताओं के आशीर्वाद और जनता की दुआओं से स्वस्थ होकर लौटे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का शिमला पहुंचने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों और जनता ने जोरदार स्वागत किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें कुछ समय आराम करने और समय पर खाना खाने की सलाह दी है। लेकिन मुख्यमन्त्री ने स्पष्ट किया कि वह अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करते रहेंगे क्योंकि चार वर्षों में प्रदेश को आत्मनिर्भर और दस वर्षों में देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है। मुख्यमंत्री का यह संकल्प प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी के लिये एक बड़ी चुनौती होगा क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव से पहले जो दस गारंटीयां प्रदेश की जनता को दी थी उन पर अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये जा सके हैं। बल्कि इन गारंटीयों के बाद सरकार के सौ दिन पूरे होने पर कुछ और वायदे भी प्रदेश की जनता से मार्च माह में किये गये हैं। इस समय भाजपा इन गारंटीयों को लेकर सुक्खू सरकार के खिलाफ पूरी तरह आक्रामक हुई पड़ी है। भाजपा का हर नेता इसे मुद्दा बना कर हर दिन उछाल रहा है। चुनावी राज्यों में भी यह गारंटीयां मुद्दा बनी हुई है।
दूसरी और सुक्खू सरकार को पूर्व भाजपा सरकार से 9200 करोड़ की देनदारियां विरासत में मिली है। केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार के कर्ज लेने की सीमा में भी काफी कटौती की है। यह आरोप राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर लाये गये श्वेत पत्र में दर्ज है। ऐसी कठिन वित्तीय स्थिति से गुजरती हुई सरकार अब तक 11000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है और 800 करोड़ लेने की प्रक्रिया में है। ऐसी हालत में भी मुख्यमंत्री का यह दावा करना की शेष बचे चार वर्षों में प्रदेश को आत्मनिर्भर और दस वर्षों में देश का सबसे समृद्ध राज्य बना देने का वायदा कितनी व्यवहारिक शक्ल ले पायेगा इसको लेकर साथ ही सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि सरकार की कार्यशैली और उसकी अब तक की घोषित योजनाओं पर नजर रख रहे विश्लेष्कांे का मानना है कि मुख्यमंत्री का यह वायदा पूरा हो पाना संभव नहीं है। क्योंकि इस समय प्रदेश में रोजगार की उपलब्धता सबसे बड़ा सवाल है। प्रदेश का युवा वर्ग रोजगार न मिल पाने से पूरी तरह आक्रोषित और हतोत्साहित है। सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। सरकार में सौ दिन पूरा होने पर सरकारी और प्राइवेट सैक्टर में जो रोजगार की उपलब्धता का आंकड़ा जारी किया था वह वायदा कागजी आश्वासन से आगे नहीं बढ़ पाया है।
इस वस्तुस्थिति में स्वास्थ्य लाभ लेकर लौटे मुख्यमंत्री से इतना बड़ा और वायदा करवा देना विपक्ष को एक और मुद्दा देना बन जायेगा। स्वभाविक है कि सलाहकारों द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा ऐसा ब्यान जारी करवा देना अपने में ही कई सवाल खड़े कर देता है। क्योंकि अब तक की कार्यप्रणाली से यह स्पष्ट हो गया है की सरकार को हर माह एक हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में कर्ज लेकर वायदों को पूरा करना किसी भी गणित में से प्रदेश हित में नहीं कहा जा सकता। आने वाले दिनों में लोकसभा चुनावों का सामना करना पड़ेगा। उस समय यह कर्ज और वायदे जनता के सबसे बड़े सवाल होंगे। विपक्ष इनको लेकर पूरी तरह हमलावर होगा। क्या कांग्रेस का आम कार्यकर्ता इन सवालों का जवाब दे पायेगा? विश्लेष्कों का मानना है कि जो जनता मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थनाएं कर रही थी उसके सामने फिर ऐसे वायदे परोसने का कोई औचित्य नहीं था। इन वायदों पर प्रदेश संगठन और हाईकमान तक को जवाबदेह होना पड़ेगा यह तय है।