मुकेश अग्निहोत्री और जगत सिंह नेगी का प्रदेश भाजपा पर बड़ा आरोप
भाजपा के इशारे पर केंद्र ने रोके 4950 करोड़
आरटीआई के माध्यम से बिन्दल का सरकार पर दस माह में 11300 कर्ज लेने का खुलासा
सुक्खू की गैर हाजिरी सरकार और विपक्ष का सामना सरकार के लिए हो सकता है घातक
शिमला/शैल। सुक्खू सरकार दस माह में 11300 करोड़ का कर्ज ले चुकी है और यदि कर्ज लेने की यही गति जारी रही तो पांच साल में इस सरकार के नाम 60,000 करोड़ के कर्ज का रिकॉर्ड बन जायेगा। यह आरोप प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने आर.टी.आई. के माध्यम से मिली जानकारी के आधार पर लगाया है। दूसरी और सुक्खू सरकार में उपमुख्यमन्त्री मुकेश अग्निहोत्री और राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक संयुक्त ब्यान में आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने प्रदेश भाजपा नेताओं के इशारे पर 4950 करोड़ की आपदा सहायता राशि रोक रखी है। इन मंत्रियों ने खुलासा किया है कि केंद्र सरकार की ओर से टीमें प्रदेश में आपदा का आकलन करने आयी थी और प्रदेश सरकार ने 10 अगस्त को 6746 करोड़ का पहले प्रस्ताव सहायता के लिए भेजा था। इसके बाद 10 अक्तूबर को 9900 करोड़ की सहायता का दूसरा प्रस्ताव भेजा था। इस तरह 4950 करोड़ प्रस्ताव का 50% प्रदेश का हक बनता था जो जारी नहीं किया गया है और इसके लिये प्रदेश भाजपा नेतृत्व जिम्मेदार है। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के नेता सुक्खू सरकार की गारंटीयों को पांच राज्यों के चुनाव में मुद्दा बनाकर उठा रहे हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तेलंगाना में एक चुनावी जनसभा में इन गारंटीयों की सूची दिखाते हुए आरोप लगाया है कि हिमाचल में एक वर्ष में इस पर अमल करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है न ही किसी किसान से 100 रूपये लीटर दूध खरीद गया है और न ही 2 रूपये किलो गोबर। गारंटीयों के नाम पर प्रदेश सरकार का पक्ष बहुत कमजोर है और शायद इसीलिये इस सरकार का कोई भी मंत्री इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए नहीं जा पाया है। यह बढ़ता कर्ज और गारंटीयों पर अमल की दिशा में कोई कदम न उठा पाना सुक्खू सरकार के लिए आने वाले दिनों में कई बड़े मुद्दे होंगे। क्योंकि इस समय भाजपा और कांग्रेस के लिए यह विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव अस्तित्व का सवाल बनने जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन बनने से पहले टूटने के संकेत देने लग गया है और इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। आज कांग्रेस ही मोदी-भाजपा के लिये सबसे बड़ी चुनौती है।
ऐसे में इस चुनौती को और कमजोर करने के लिए कांग्रेस की किसी सरकार को अस्थिर करने तक की रणनीति पर मोदी सरकार जा सकती है। भाजपा की इस संभावित रणनीति का आसान शिकार सुक्खू सरकार को माना जा रहा है। क्योंकि हिमाचल में जयराम सरकार पर सबसे बड़ा आप प्रदेश को कर्ज के गर्त में धकेलना लगा था। लेकिन आज भाजपा बाकायदा आर.टी.आई. के सहारे सुक्खू सरकार पर अपने से भी कई गुना बड़ा कर्ज का ही आरोप लगा रही है। इस आरोप के अतिरिक्त मुख्य संसदीय सचिवों के मामले में किसी न किसी बहाने टाइम निकालने के मुकाम पर सरकार को पहुंचा दिया गया है। इस समय अपनी बीमारी के कारण मुख्यमंत्री स्वयं फ्रन्ट पर आकर मोर्चा संभालने की स्थिति में नहीं हैं संगठन और सरकार में तालमेल का अभाव आम आदमी की जानकारी में आ चुका है। शीर्ष प्रशासन जितना शुभचिंतक इस सरकार का है उससे ज्यादा पूर्व सरकार का है। इसलिए व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर पूर्व सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सलाहकारों ने कोई कदम नहीं उठाने दिया है। इस समय मुख्यमंत्री की गैर हाजिरी में पूरा प्रशासन अराजक हो गया है। सरकार का वित्तीय संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। कर्ज लेने पर रोक लगने के हालात बनते जा रहे हैं। पूरी भाजपा शान्ता से लेकर बिन्दल तक सरकार पर आक्रामक हो चुकी है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले हिमाचल सरकार को अपने ही भार से दम घुटने के मुकाम पर पहुंचा देगी। मुख्य संसदीय सचिवों के प्रकरण पर यदि लोस चुनाव से पहले कोई अदालती फैसला नहीं आता है तो गारंटीयों पर अमल न होना और कर्ज का बढ़ना बजट सत्र के मुख्य मुद्दे हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में सरकार के लिये बजट पारित करवाने तक का संकट खड़ा हो सकता है। यदि मुख्यमंत्री तुरंत प्रभाव से स्थितियों के सक्रिय नियंत्रण में नहीं आ जाते हैं तो कांग्रेस के लिए कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। क्योंकि आरटीआई के माध्यम से कर्ज के आंकड़े बाहर आना एक ऐसा हथियार सिद्ध होगा जिसकी काट किसी के पास नहीं होगी। क्योंकि आने वाले समय में प्रमुखता के यह सवाल पूछा जायेगा कि यह कर्ज कहां खर्च किया जा रहा है। कर्ज के इस आंकड़े के सामने आपदा के आंकड़े भी छोटे पड़ जाएंगे। जबकि पहले यह कहा गया था कि केन्द्र ने प्रदेश के कर्ज लेने पर ही कटौती लगा दी है।