स्वास्थ्य विभाग दो वर्षों में फाइनल नहीं कर पाया टैण्डर

Created on Tuesday, 07 November 2023 18:50
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के कार्य प्रणाली पर अब सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि जो प्राइवेट कंपनियां सरकार के लिए विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही थी उन्होंने अपनी सेवाओं को बन्द करना शुरू कर दिया है। क्योंकि सरकार उनके बिलों का भुगतान नहीं कर पा रही है। कई कंपनियां सेवाएं बन्द कर चुकी हैं और कई ने काम बन्द करने का अल्टीमेटम दे रखा है। यह आरोप है नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर जय राम का। जयराम के मुताबिक कल्लू के क्षेत्रीय अस्पताल में चल रही डायलिसिस सेवाएं सेवा प्रदाता कंपनी ने बंद कर दी है। लोगों को निजी अस्पताल में सेवाएं लेनी पड़ रही है क्योंकि सरकार कंपनी को भुगतान नहीं कर पायी है। इससे जिन लोगों को अब तक निःशुल्क इलाज मिल रहा था उन्हें अब हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि हिम केयर के तहत ईम्पैनल्ड अस्पतालों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। हिम केयर के तहत विभिन्न चिकित्सा सामान उपलब्ध करवाने वाली कंपनियों ने सप्लाई रोक दी है क्योंकि उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है। इससे आप्रेशन प्रभावित हो रहे हैं। ऑक्सीजन प्लांट बन्द पड़े हैं। इस तरह प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गयी है।
नेता प्रतिपक्ष की इसी चिन्ता के बीच यह भी सामने आया है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने 17-1-2022 के लिए एक टैण्डर जारी किया था। इस पर कोई फैसला न हो पाने के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इसके 28-4-2022 के लिये पुनः जारी किया गया और फिर रद्द हो गया। तीसरी बार 8-7-2022 को जारी किया गया। 19-10-2022 और 9-11-2022 को सैंपल और डैमोन्सट्रेशन भी हो गया परन्तु इसके बाद रद्द कर दिया गया। चौथी बार 18-5-2023 को फिर आमंत्रित हुआ और निविदायें आयी परन्तु फिर रद्द हो गया। पांचवीं बार 14-9-2023 को आमंत्रित हुआ। इस बार पांच निविदायें आयी। इसमें भी कई निविदा दाताओं के दस्तावेजों पर प्रश्न चिन्ह लग चुके हैं। इस बार यह टैण्डर फाईनल हो पाता है या नहीं यह रोचक बना हुआ है।
ऐसे में स्वभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि जो विभाग करीब दो वर्ष में एक टैण्डर को फाइनल न कर पा रहा हो वह प्रदेश की जनता को क्या और कैसी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। क्या इस तरह की स्थिति स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में नहीं आयी होगी? उनके स्तर पर क्या संज्ञान लिया गया होगा? क्योंकि स्वास्थ्य विभाग यदि कोई खरीद कर रहा होगा तो निश्चित रूप से उसका ताल्लुक आम आदमी के स्वास्थ्य से रहा होगा। यदि ऐसे टैण्डर भी दो वर्ष में फाइनल न हो पाये तो संबंधित विभाग ही नहीं पूरी सरकार सवालों के घेरे में आ जाती है।