गांधी जयन्ती पर मिला 1844 कर्मियों को बर्खास्तगी का तोहफा

Created on Monday, 02 October 2023 16:44
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। सुक्खु सरकार में कोरोना काल में आऊटसोर्स के माध्यम से स्वस्थ विभाग में रखे गये 1844 कर्मचारियों को सेवा से निकाल दिया है। इनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश ई मेल के माध्यम से भेजने के साथ ही इनके घर पर भी भेजे गये हैं। इन कर्मीयों की सेवाएं समाप्त किये जाने पर भाजपा ने सरकार की गारंटीयों को लेकर हमला बोल दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने सत्ता प्राप्ति के लिये बेरोजगार युवाओं को झूठी गारंटीयां दी और घर-घर जाकर घोषणा की कांग्रेस की सरकार को बनते ही एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां देंगे। इसकी व्याख्या करते हुए बताया कि प्रदेश में 67000 पद रिक्त चल रहे हैं और 33000 पद यह सरकार सृजित करेगी। इस तरह मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में एक लाख को नौकरी देंगे। यह गारंटी देने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ही थे। लेकिन एक भी नौकरी देना तो दूर उल्टे 1844 लोगों को घर बैठा दिया है। राजीव बिंदल ने इस बर्खास्तगी को की कड़ी निन्दा करते हुए तुरन्त प्रभाव से इनकी सेवाएं बहाल करने की मांग की है।
आऊटसोर्स के माध्यम से रखे गये कर्मचारीयों की ऐसी बर्खास्तगी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि जब ऐसे कर्मियों के लिए कोई स्थाई नीति ही नहीं है तो फिर ऐसी योजना को लाया ही क्यों गया है ? क्या इस तरह से सरकार स्वयं ही इनकी बेरोजगारी पर इनका उत्पीड़न नहीं कर रही है। आऊटसोर्स कंपनियों से लेकर जब सरकार तक सब उत्पीड़न के कारक बन जाये तो कोई शिकायत कहां और किसके पास करेगा। आऊटसोर्स कंपनियों पर उत्पीड़न करने के आरोप लम्बे अरसे से लगते आ रहे हैं। विधानसभा के बजट सत्र में आऊटसोर्स कंपनी क्लीन वेज पर सदन में गंभीर आरोप लग चुके हैं। सरकार ने जांच का आश्वासन दिया था परन्तु अभी तक इस जांच का कोई परिणाम सामने नहीं आया है।
आऊटसोर्स कर्मियों कर्मचारी एक स्थाई नीति बनाये जाने के लिये कई बार आन्दोलन कर चुके हैं। इन आन्दोलनों के बाद यह तय किया गया था कि जब प्रशासनिक और वित्त विभाग पोस्ट खाली होने और वित्त उपलब्ध होने की पुष्टि नहीं कर देंगे तब तक आऊटसोर्स के माध्यम से कोई भी भर्ती नहीं की जायेगी। आज जो लोग आऊटसोर्स के माध्यम से रखे गये हैं क्या उनके लिये विभागों की पूर्व स्वीकृतियां नहीं ली गयी हैं? यदि बिना पूर्व स्वीकृति के लोगों को रखा गया है तो उसके लिए संबंधित विभागों के खिलाफ कारवाई की जानी चाहिये। क्या पूर्व में बनी पॉलिसी को रद्द कर दिया गया है और इसकी जानकारी सार्वजनिक की गयी है ? इस समय हिमाचल बेरोजगारी में देश में पांचवें स्थान पर पहुंच चुका है ऐसे में इस तरह के फैसले समस्या को और गंभीर बना देंगे।