प्रदेश को हरित राज्य बनाने के लिये जमीन पर क्या किया गया-जय राम

Created on Sunday, 10 September 2023 18:24
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एक ब्यान में सरकार से पूछा है कि बजट में घोषित हरित प्रदेश बनाने से जुड़ी योजनाओं पर कितना काम हुआ है और कितने लोगों को लाभ मिला है। स्मरणीय है कि सुक्खु को सरकार ने सत्ता संभालते ही प्रदेश को हरित राज्य बनाने की घोषणा की थी। प्रदेश में डेढ़ हजार इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा एचआरटीसी शामिल करने और निजी बसों के संचालकों को इलेक्ट्रॉनिक वाहन लेने पर सब्सिडी देने की घोषणा की थी। 2025 तक प्रदेश को हरित ऊर्जा प्रदेश बनाने की बात की थी। कांगड़ा और हमीरपुर में पेट्रोल डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल की बात की थी। पहले चरण में 150 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने और 50 अलग-अलग जगहों पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की बात की थी। 200 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था। 2024 के अन्त तक 500 मैगावाट के सौर ऊर्जा संयन्त्र और हर जिले की दो पंचायतों को ग्रीन पंचायत विकसित करने की घोषणा की थी। इसके लिये 250 किलोवाट से लेकर दो मैगावाट के सोलर प्लांट लगाने के लिये 40% सब्सिडी और उत्पादित बिजली को खरीदने की बात की थी। यह सारी घोषणाएं और वायदे बजट सत्र में किये गये थे।
सरकार बने नौ मो हो गये हैं और बजट सत्र को भी हुये छः माह का समय हो गया है। स्वभाविक है कि इस अवधि में इन घोषणाओं पर कुछ तो अमल हुआ होगा। अब विधानसभा सत्र आ रहा है। इस सत्र में विपक्ष सरकार को उसी की घोषणाओं पर घेरेगा। क्योंकि जमीन पर इस दिशा में संतोषजनक कुछ भी नहीं हुआ है। जबकि यह सरकार भी विकास के नाम पर हजारों करोड़ का कर्ज ले चुकी है। पूर्व सरकार पर प्रदेश को कर्ज में डूबने के जो आरोप लगाये जाते थे आज यह सरकार स्वयं भी उसी कर्ज के सूत्र पर आगे बढ़ रही है। यही कारण है कि पिछली सरकार को लेकर जो वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र लाने का वायदा किया गया था अब वह चर्चा से भी बाहर हो गया है। बल्कि सत्ता में आने पर हर उपभोक्ता वस्तु के दामों में वृद्धि ही हुई है। सेवाओं और वस्तुओं के दाम बढ़ाकर ही संसाधन बढ़ाने का प्रयास किया गया है। अभी बिजली के शुल्क डेढ़ गुना बढ़ा दिये गये हैं। इसका असर प्रदेश के उद्योगों पर पड़ेगा। इस आपदा के समय में सीमेन्ट के दाम भी बढ़ जायेंगे जिसका सीधा प्रभाव राहत कार्यों पर पड़ेगा।
बिजली की दरें बढा़ने से नयी दरों के तहत एच.टी. के अधीन आने वाले उद्योगों का शुल्क 11% से बढ़कर 19% ई.एच.टी. का 13% से 19% और छोटे तथा मध्यम उद्योगों को 11% से 17% सीमेन्ट सयंत्रों पर 17% से 25% तक कर दिया है। यही नहीं डीजल जेनरेटर द्वारा बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया गया है। जयराम के मुताबिक उनकी सरकार ने उद्योगों को जो रियायतें दी थी उन्हें भी इस सरकार ने वापस ले लिया है। इन बढ़ी दरों का असर सीमेन्ट और लोहे पर पड़ेगा और यही असर इस आपदा में अपना घर तक खो चुके लोगों पर पड़ेगा। निश्चित है यह सारे मुद्दे आने वाले सत्र में उठेंगे। सुक्खु सरकार अभी तक अपने वायदों की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठा पायी है। आने वाले लोकसभा चुनावों पर इन मुद्दों का सीधा असर पड़ेगा।