शिमला/शैल। धर्मशाला के योल बाजार निवासी एक अनूप दत्ता ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ईमेल भेजकर भू-सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत अवैध तरीके से दी गयी एक जमीन खरीद की अनुमति को रद्द किये जाने और संबद्ध अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने का आग्रह किया है। आरोप लगाया गया है कि एक गैर हिमाचली गैर कृषि को 105 एकड़ चाय बागान कृषि उद्देश्य के लिये खरीदने की अनुमति दी गयी है। जबकि नियमों के अनुसार चार एकड़ से अधिक की अनुमति के लिये आवेदन ही नहीं किया जा सकता है। अनुप दत्ता ने इस आश्य की शिकायत 17-06-23 और 29-06-23 मुख्य सचिव, प्रधान सचिव राजस्व, प्रधान सचिव विजिलैन्स और सचिव लॉ मंत्री को भेजी थी। लेकिन इसकी प्राप्ति की कोई सूचना न मिलने पर मुख्यमंत्री को यह शिकायत भेजी है। आठ पन्नों की इस शिकायत में प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं। दत्ता के मुताबिक यह मामला 2002 में घटा था और तब से लेकर वह इसकी शिकायत करता रहा है और यह शिकायत करने की वजह से वह स्वयं भी उत्पीड़न का शिकार हुआ है। लेकिन वह इस लड़ाई से पीछे नहीं हटा है। स्मरणीय है कि लैण्ड सिलिंग अधिनियम में चाय बागानों को अधिकतम भूमि सीमा से बाहर रखा गया था। ऐसे बागानों को बेचने के लिये पहले उन्हें लैण्ड सिलिंग के दायरे में लाना होगा और उसके बाद ही उसे बेचने की अनुमति मिल सकती है। गैर कृषक और गैर हिमाचली को चार एकड़ से अधिक की अनुमति मिल ही नही सकती। इसलिये अनूप दत्ता की शिकायत में दम है। फिर हिमाचल सरकार में तो 31 अक्तूबर 1997 को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक रिवार्ड स्कीम तक अधिसूचित कर रखी है और यह आज भी लागू है क्योंकि इसे वापस नहीं लिया गया है। ऐसे में जब इस तरह की कोई शिकायत आये और शिकायतकर्ता बीस वर्षों से लगातार उसको उठाता आया हो तब ऐसी शिकायत को जनता के सामने रखना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि भ्रष्टाचार को लेकर सरकारों की कथनी और करनी का सच सामने आना ही चाहिये। सुक्खू सरकार ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरैन्स घोषित कर रखी है लेकिन करनी अलग है। भ्रष्टाचार की कई शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही लंबित चल रही है। इसलिए अनूप दत्ता की शिकायत को जनता के सामने यथास्थिति रखा जा रहा है।