जब शिवधाम परियोजना के लिये बजट प्रावधान ही नहीं था तो फिर इस पर करोड़ों का खर्च कैसे हो गया

Created on Monday, 20 February 2023 17:51
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मण्डी में शिवरात्रि आयोजन के अवसर पर परिधिगृह में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेते हुये यह कहा है कि पूर्व सरकार ने शिवधाम और मण्डी हवाई अड्डे के लिये बजट का कोई प्रावधान नही किया था। लेकिन वर्तमान सरकार पूर्व सरकार की सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करेगी। जनकल्याण से जुड़ी हर परियोजना को पूरा करना हर सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है। लेकिन यह जिम्मेदारी निभाने के लिये धन का प्रावधान और आवश्यकता की प्राथमिकता देखना भी सरकार का ही दायित्व होता है। मण्डी को छोटी काशी भी कहा जाता है। मण्डी में भूतनाथ मन्दिर से लेकर पंचवक्र महादेव तक कई शिव मन्दिर स्थापित है। माता के भी कई मन्दिर विद्यमान है। इन सारे मन्दिरों की एक जैसी देखभाल भी शायद प्रशासन के लिये कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में जिस नगर को छोटी काशी की उपमा हासिल हो वहां पर नगर से कुछ दूर एक पहाड़ी पर भगवान शिव के द्वादिश लिंगों की स्थापना करके एक शिवधाम बसाना और वह भी तब जब प्रदेश कर्ज के सहारे चल रहा हो तो उसके औचित्य तथा सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठेंगे ही।
मण्डी की सांसद और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा प्रतिभा वीरभद्र सिंह ने भी शिवधाम की आवश्यकता और औचित्य पर एक साक्षात्कार में सवाल उठाये हैं। अब जब मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच से यह खुलासा कर रहे हैं कि शिवधाम परियोजना बिना बजट के ही शुरू कर दी गई थी तो क्या इस पर अब तक हुआ करोड़ों का खर्च भ्रष्टाचार की संज्ञा में नहीं आ जाता है? इसी परियोजना के टैन्डर में यह सामने आ चुका है कि चालीस करोड़ के टैन्डर में केवल बीस हजार रूपये ही ई.एम.डी. के रूप में लिये गये हैं। जबकि सरकार के वित्तीय नियमों के अनुसार यह ई.एम.डी. कम से कम दो प्रतिशत होनी चाहिये थी। चालीस करोड़ की टैन्डर वैल्यू पर यह राशि 80 लाख बनती है। शैल ने जब यह खबर उठाई थी तो जयराम का पूरा प्रशासन शैल की आवाज दबाने के प्रयासों में लग गया था। शैल ने इस ई.एम.डी. को लेकर विजिलैन्स को भी रिकार्ड पर शिकायत की है। विजिलैन्स ने सारे दस्तावेजी प्रमाण देखने के बाद यह मामला पर्यटन निगम को कारवाई के लिये भेज दिया था। लेकिन आज तक इस पर कोई कारवाई न होना कई सवाल खड़े कर देता है।
ऐसे में जब यह परियोजना बिना बजट प्रावधान के शुरू कर दी गयी है और इस पर करोड़ों खर्च हो गये हैं तो निश्चित रूप से यह सीधे भ्रष्टाचार का मामला बनता है। जब प्रदेश के हालात श्रीलंका जैसे होने की संभावना बनी हुई है तब तो ऐसे मामलों की जांच किया जाना और भी आवश्यक हो जाता है। क्योंकि शिवधाम और मण्डी हवाई अड्डे में से हवाई अड्डे को प्राथमिकता देना तो जनहित के दायरे में आ जाता है लेकिन शिवधाम नहीं आता है। बिना बजट के करोड़ों का खर्च कर दिये जाने के लिये क्या संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कारवाई नहीं की जानी चाहिये। क्योंकि अब तो शिवधाम का काम कर रहे ठेकेदार द्वारा भी काम छोड़ दिये जाने की चर्चा है।