बिना बजट प्रावधानों के हुये फैसलों पर लगी रोक

Created on Wednesday, 14 December 2022 09:09
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने जनता से वायदा किया था कि यदि वह सत्ता में आये तो जयराम सरकार द्वारा पिछले छःमाह में लिये गये फैसलों के समीक्षा की जायेगी। यह वायदा इसलिये किया गया था कि एक ओर तो सरकार करीब हर माह भारी कर्ज लेकर अपना काम चला रही थी तो दूसरी ओर हर विधानसभा क्षेत्र में लोगों को लुभाने के लिये सैंकड़ों करोड़ों की नई घोषणाएं कर रही थी। पिछले छः माह में की गयी हर तरह की घोषणा को पूरा करने पर होने वाले कुल खर्च का यदि जोड किया जाये तो यह विधानसभा द्वारा पारित वार्षिक बजट के आंकड़े से भी ज्यादा बढ़ जायेगा। शैल ने उस दौरान भी इस पर विस्तार से चर्चा की हुई है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक था कि या तो सरकार सत्ता में वापसी के लिये जनता को जुमलों का झुनझुना थमा रही है या बिना सोचे समझे प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल रही है। अब सरकार में आने पर कांग्रेस की यह आवश्यकता हो जाती है कि वह वायदे के अनुसार इन फैसलों की पड़ताल करती। इस पड़ताल के लिये मुख्यमंत्री सुक्खू ने विधायकांे की एक टीम बनाकर इन फैसलों की समीक्षा की। सबंधित विभागों और वित्त विभाग से जानकारी ली गई और यह सामने आया कि घोषणाएं बिना बजट प्रावधानों के की गयी हैं। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन घोषणाओं को पूरा करने के लिये कोई बजट उपलब्ध नहीं है। वित्त विभाग की इस स्वीकारोक्ति से यह और सवाल खड़ा हो गया है कि जब वित्त विभाग के पास पैसा ही नहीं है तो फिर इन घोषणाओं के उद्घाटनों आयोजनों के लिए धन का प्रावधान कैसे और कहां से किया गया?