शिमला/शैल। अन्ंततः कांग्रेस ने जयराम सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया। बड़े लम्बे अरसे से इस आरोपपत्र की मीडिया और जनता में इंतजार की जा रही थी। जयराम ने कांग्रेस के आरोप पत्र को रोकने के लिए यहां तक कह दिया था कि यदि कांग्रेस ऐसा कुछ करती है तो भाजपा द्वारा कांग्रेस के खिलाफ सौंपे गये आरोप पत्र को सीबीआई को भेज देगी। इस परिदृश्य में अब चुनाव प्रचार के दौरान सीधे जनता की अदालत में रखे गये आरोप पत्र से भाजपा की चुनावी कठिनाईयां बढ़ना स्वाभाविक है। क्योंकि सीधे मुख्यमंत्री पर नौकरियां बेचने का आरोप लगाया गया है। हिमाचल में युवाओं के लिये रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र सरकार ही है। और जब सरकार में ही नौकरियां बेचने का सच सामने आ जाये तो चुनावों के साथ इससे बड़ा मजाक और कोई हो नहीं सकता। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पुलिस भर्ती में 6 से आठ लाख में पेपर बेच गये। 2020 में भी 2022 की ही तरह पेपर लीक हुए थे। पंप ऑपरेटरों के पेपर चार-चार लाख में बिके। स्टाफ सर्विस कमीशन में अपनों को अलग कमरों में बैठाकर पास करवाया गया। आउटसोर्स में 94 कंपनियों को 230958224 का कमीशन दिया गया। अधिकांश कंपनियां परोक्ष/अपरोक्ष में राजनेताओं से जुड़ी हुई हैं। विश्वविद्यालय में हुई भर्तियों का कच्चा चिट्ठा आरटीआई के माध्यम से सामने आ चुका है।
पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में जुलाई में स्वयं हर्ष महाजन रिकॉर्ड पर यह कह चुके हैं कि जल्द ही इस मामले में एक ऑडियो जारी किया जायेगा। पुलिस जब इस मामले की जांच कर रही थी तब पुलिस को हर्ष से यह ऑडियो हासिल करनी चाहिये थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं और आज हर्ष महाजन भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। इस मामले में जब गुड़िया मामले की तर्ज पर यह सवाल उठा था कि पुलिस के खिलाफ पुलिस की ही जांच विश्वसनीय नहीं होगी और यह जांच सीबीआई को सौंपने के आग्रह की याचिका प्रदेश उच्च न्यायालय में आयी थी। तब अदालत का फैसला आने से पहले ही सरकार ने घोषित कर दिया कि यह जांच सीबीआई को सौंप गयी है। जबकि वास्तव में सरकार ने सीबीआई को ऐसा कोई पत्र भेजा ही नहीं है। यह आरटीआई में मिली जानकारी से स्पष्ट हो जाता है। इस मामले में पुलिस ने करीब सवा सौ लोगों से पूछताछ करने के बाद पेपर खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जिनमें से कुछ जमानत पर हैं तो कुछ हिरासत में हैं। इन लोगों ने पेपर खरीदे हैं लेकिन खरीद का यह पैसा किन बड़े लोगों तक पहुंचा है इस पर अभी तक पर्दा पड़ा हुआ है। इसी से यह आरोप गंभीर हो जाता है कि बड़ों को बचाने का प्रयास किया गया है क्योंकि यह विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। जल शक्ति विभाग में 2200 करोड़ का घपला होने का आरोप है। प्रधानमंत्री की रैलियों पर ही पांच सौ करोड़ का खर्च होने का आरोप है जिसे सरकार बनने के बाद भाजपा से वसूला जायेगा।
कांग्रेस ने जो आरोप लगाये हैं वह जनता में काफी अरसे से चर्चा में हैं। आज इन आरोपों को इस तरह जनता के बीच रखने से इनकी याद दोहरा दी गयी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि वह आते ही एक जांच आयोग का गठन करेगी और जयराम सरकार द्वारा अन्तिम छः माह में लिये गये फैसलों की समीक्षा की जायेगी। कांग्रेस ने यह आरोप पत्र राज्यपाल को न सौंपकर सीधे जनता में रखा है ताकि सरकार बनते ही जांच एजैन्सीयां स्वतः ही इस पर काम शुरू कर दें। उन्हें सरकार के औपचारिक आदेशों की प्रतीक्षा न करनी पड़े और यही इस आरोपपत्र का सबसे गंभीर पक्ष है।