केवल जस्टिस बारोवालिया ही बन पाये लोकायुक्त
शिमला/शैल। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन के माध्यम से बड़ा आन्दोलन खड़ा करके केन्द्र की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा शासित अधिकांश प्रदेशों में लम्बे समय तक लोकायुक्त के पद नहीं भर पायी है। हिमाचल भी ऐसे ही राज्यों में से एक है। यहां पर लोकायुक्त का पद भरने की कवायद उस दिन की गयी जब चुनाव आयोग ने विधानसभा की चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया। प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण बारोवालिया को इस पद पर नियुक्त किया गया है। जब उनका न्यायमूर्ति के पद से त्यागपत्र स्वीकार हो जायेगा तब वह बतौर लोकायुक्त शपथ ग्रहण करेंगे। जस्टिस बारोवालिया बतौर न्यायाधीश मार्च 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले थे।
उधर जयराम सरकार ने पिछले तीन महीने से भी समय से खाली पडी मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी पर किसी को नहीं बिठाया। शुरू में इस कुर्सी पर मौजूदा मुख्य सचिव आर डी धीमान को बिठाने की अटकलें चली थी। लेकिन अचानक वह मुख्य सचिव बन गये। फिर लगा की जिन राम सुभग सिंह को मुख्य सचिव के पद से हटा कर धीमान को मुख्य सचिव बनाया गया है, उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जायेगा। लेकिन जयराम सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। सचिवालय से जुडे सूत्रों के मुताबिक धीमान इस कुर्सी पर बैठने के चाहवान थे। वह दिसम्बर में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत हो जायेंगे। लेकिन जयराम सरकार के सामने नया मुख्यसचिव किसे बनाया जाये यह आडे आ गया। पहले ही धीमान से तीन-तीन वरिष्ठ अधिकारी जयराम सरकार से खार खाये हुये हैं। राम सुभाग सिंह, निशा सिंह और संजय गुप्ता जो धीमान से वरिष्ठ थे को सरकार ने सलाहकार बनाया हुआ है।
हालांकि जयराम चाहते थे 1990 बैच के आइएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना का मुख्य सचिव बना दिया जाये लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका और मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी खाली रह गयी। अब संभवत अगली सरकार ही अपने किसी चहेते अधिकारी को इस पद पर बिठायेगी।
उधर राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष का पद भी खाली ही रह गया है। जयराम सरकार इस पद पर भी किसी की नियुक्ति नहीं कर पायी। अध्यक्ष के पद का कार्यभार आयोग के सदस्य रमेश गंगोत्रा देख रहे है। पिछले दिनों उनके आयोग के सचिव पर एफआइआर दर्ज करा दी थी। उसके बाद आयोग के सचिव ने भी उन पर अदालत के जरिए एफआइआर दर्ज करा रखी हैै। दोनों ने एक दूसरे पर जातिसूचक शब्द बोलने और मारपीट के इल्जाम लगा रखे हैं।