विधायक अनिरुद्ध के आरोपों का जवाब क्यों नहीं दे पा रही भाजपा
क्या हर्ष महाजन पर अपने ही आरोप पत्र में लगाये गये आरोपों को भाजपा वापस लेगी?
हर्ष महाजन की गाड़ी का पंजीकरण और इन्श्योरैन्स खरीद से पहले ही नोटबंदी में कैसे संभव हुआ
शिमला/शैल। हिमाचल में जब तीन विधानसभा तथा एक लोकसभा चुनाव क्षेत्र के लिये उपचुनाव हुये थे और भाजपा की जयराम सरकार यह चारों उपचुनाव हार गयी तब इसके लिये मुख्यमंत्री ने महंगाई को जिम्मेदार ठहराया था। अब सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। सरकार और भाजपा नेता यह प्रचार कर रहे हैं कि इस बार रिवाज बदलेगा तथा भाजपा सत्ता में वापसी करेगी। ऐसा प्रचार तथा दावे करके भाजपा नेता अपने स्वभाविक राजनीतिक धर्म का पालन कर रहे हैं। क्योंकि चुनावों से पहले ऐसे दावे करना उसकी जिम्मेदारी है। जबकि कड़वा सच यह है कि अभी आरबीआई को बैंकों के दिये जाने वाले कर्ज की ब्याज दरें बढ़ानी पड़ी हैं। यह दरें बढ़ाने का स्वभाविक परिणाम होगा कि आने वाले दिनों में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी। जिसका प्रभाव हर घर और रसोई पर पड़ता है और व्यवहारिक रूप से सभी को समझ आता है। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाने का फैसला पिछला बजट बनाते हुए ही ले लिया गया था जब गांवों से जुड़ी हर चीज के बजट में भारी-भरकम कटौतीयां कर दी गयी थी। यह कटौतीयां इसलिए की गयी थी क्योंकि आम आदमी की सुविधायें सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है। इसलिए तो शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी अहम सेवाएं भी पीपीपी मोड पर प्राइवेट सैक्टर को देने का फैसला ले लिया गया है। आने वाली स्थितियों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी अपनी मांगे बनाने के लिये हड़ताल का रुख करना पड़ रहा गया है। यह सारे प्रभाव चुनाव से पहले कुछ ही दिनों में आम आदमी को व्यवहारिक रूप से सामना करने पड़ेंगे यह तय है।
सरकार भी इन खतरों के प्रति सचेत है इसलिए सीबीआई, ईडी और आयकर जैसी जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है। यूपी विधानसभा चुनाव में यह पूरे देश ने देख लिया है कि जब भाजपा से जुड़ा एक जैन आयकर और ई डी की जांच में फंस जाता है तो कैसे उसके लिए सारा तर्क बदल दिया जाता है। लेकिन जब सपा से जुड़ा दूसरा जैन ई डी के निशाने पर आ गया तो फिर तर्क बदल गये। ऐसे दर्जनों मामले हैं जो जांच एजैन्सियों के राजनीतिक उपयोग का सच बयां करते हैं। हिमाचल में ही कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने तो सीधे मुख्यमंत्री पर उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव डालने का आरोप लगाया है। इस आरोप का जवाब मुख्यमंत्री की ओर से न आकर सुरेश भारद्वाज की ओर से यह कहना कि लोग अपनी इच्छा से भाजपा में आ रहे हैं एक कमजोर प्रतिक्रिया है। बेरोजगारों में आज हिमाचल देश के टॉप छः राज्यों में शामिल है यह भारत सरकार की रिपोर्ट में दर्ज है। क्या आज कोई हिमाचल में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल होना चाहेगा?
अभी जो लोग निर्दलीय या कांग्रेसी भाजपा में शामिल हुये हैं वह राजनीति के साथ विजनैस से भी जुड़े हुये हैं। राजनेता को आयकर तथा ई डी जैसी एजैन्सियां कभी कहीं भी परेशान कर सकती हैं यह संदेश आम आदमी में नीचे तक जा चुका है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में गये पूर्व मन्त्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं। अध्यक्षता के कारण भाजपा के आरोप पत्र में उनका नाम प्रमुखता से छपा हुआ है। भाजपा अपने ही आरोप पत्र में लगाये गये आरोपों का क्या जवाब देगी इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है। नोटबन्दी के दौरान देशभर में पुराने नोटों को नये नोटों में बदलने में प्रदेश के सहकारी बैंकों का स्थान सबसे ऊपर रहा है। भाजपा ही इस पर एक समय सवाल उठा चुकी है। इसी नोटबन्दी के दौरान हर्ष महाजन 80 लाख की गाड़ी खरीद चुके हैं। इस गाड़ी का पंजीकरण और इन्श्योरेंस खरीदने से बहुत पहले हो चुका है। नूरपुर में हुआ यह पंजीकरण खरीद से पहले ही किन नियमों में संभव हुआ है भाजपा में ही इस पर एक समय सवाल उठ चुके हैं। चर्चा है कि यह सवाल अब फिर उठने जा रहा था। शायद इन सवालों से बचने के लिये ही हर्ष महाजन भाजपा में जाने के लिये बाध्य हुये हैं अन्यथा जो नेता एक दशक से भी ज्यादा समय से चुनावी राजनीति से विदा ले चुका हो उसकी चुनावी प्रसगिकता आज कितनी शेष रह चुकी होगी। इसका अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा नेता कुछ लोगों को राजनीतिक गाली देने से ज्यादा क्या योगदान दे पायेगा यह अपने में ही अब सवाल बनता जा रहा है। वैसे राजनीति में सिद्धांतों और स्वच्छता का आवरण ओढ़े रखने वाली भाजपा कांग्रेस से गये हुये कितने लोगों को टिकट दे पाती है इस पर सबकी निगाहें लगी गयी हैं