शिमला/शैल। भाजपा महिला मोर्चा द्वारा सुजानपुर में आयोजित महिला सम्मान कार्यक्रम में बतौर विशेष अतिथि पहुंची राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए वहां उपस्थित नारी शक्ति से अपील की है कि वह इस बार प्रेम कुमार धूमल को भारी मतों से विजयी बनाएं। इस अवसर पर इन्दु गोस्वामी ने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस बार प्रदेश में रिवाज बदलेगा और कमल खिलेगा। इन्दु गोस्वामी ने जिस तरह से धूमल को ज्यादा से ज्यादा मतों से जीताने की अपील की है उससे यह तो स्पष्ट हो जाता है की प्रो. धूमल आने वाला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दिनों ऐसे संकेत सामने आ चुके हैं कि इस बार आयु सीमा सिद्धान्त का अक्षरशःअनुपालना नहीं की जायेगी। केवल सीट जीतने की संभावना का गणित ही मुख्य आधार रहेगा। जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में है वहां पर येन केन प्रकारेण सत्ता में बने रहना ही सबसे पहला उद्देश्य है। इस परिदृश्य में यदि हिमाचल प्रदेश की बात की जाये तो यहां पर लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा चार नगर निगमों के चुनावों में से दो में हार चुकी है। इस हार के बाद हुए तीन विधानसभा उपचुनाव और एक लोकसभा उपचुनाव सरकार हार चुकी है। इसी हार की आशंका से नगर निगम शिमला के चुनाव टल़ चुके हैं। सरकार हर महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देने से कैसे बचती आ रही है इसका खुलासा इस विधानसभा के अन्तिम सत्र में आ चुका है। जब हर तीखे प्रश्न को ‘‘सूचना एकत्रित की जा रही है’’ कह कर टाला गया। यहां तक कि चार वर्ष से विज्ञापनों की जानकारी हर सत्र में सरकार से मांगी गयी और हर बार सूचना एकत्रित की जा रही का ही जवाब आया है। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिस सरकार के पास विज्ञापनों आदि की जानकारी देने में घबराहट हो उसकी दूसरे मसलों पर स्थिति क्या होगी।
इस स्थिति से जनता का ध्यान हटाने के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अन्दर तोड़फोड़ करने की रणनीति अपनाई गयी। यह माहौल खड़ा करने के लिए पहले चरण में दोनों निर्दलीय विधायकों को भाजपा में शामिल किया गया। संयोगवश इस शामिल होने का सीधा नुकसान धूमल के समर्थकों रविन्द्र रवि और गुलाब सिंह ठाकुर को हुआ। यह सामने आ गया कि यह फैसला लेते हुए न तो संबंधित मण्डलों को विश्वास में लिया गया और न ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को। इसका पार्टी के अन्दर विरोध होना स्वभाविक था और हुआ भी। इसको कवर करने के लिये दो कांग्रेस विधायकों पवन काजल और लखविंन्द्र राणा को दिल्ली में भाजपा में शामिल करवा दिया गया। इसका पार्टी द्वारा ढोल नगाड़ों से स्वागत होने की बजाये उल्टा मण्डलों में विरोध हो गया। आज भाजपा में शामिल चारों विधायकों को पार्टी टिकट देगी यह सीधे कहने का साहस न ही मुख्यमंत्री और न ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा दिखा पाये हैं। बल्कि नड्डा तो जयराम के नेतृत्व का इशारा भी इशारों में ही करके गये हैं। कर्मचारी और अन्य वर्ग अपनी ओ.पी.एस. की मांग पर अड़े बैठे हैं। स्वर्ण आयोग अलग से गले की फांस बना हुआ है।
इस राजनीतिक परिदृश्य में जितने भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण हुए हैं उनमें किसी में भाजपा की सरकार नहीं बनी है। सरकार की प्रशासनिक समझ और पकड़ का ताजा उदाहरण लोक सेवा आयोग प्रकरण में सामने आ चुका है। इस पृष्ठभूमि में जब इन्दु गोस्वामी जैसा सांसद खुलेआम पूर्व मुख्यमन्त्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को ज्यादा से ज्यादा मतों से जिताने की अपील करेगा तो उससे प्रदेश की राजनीति में नये समीकरणों की आहट को कोई भी कैसे अनसुना कर पायेगा। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्टता से सामने आ जायेगी।