मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के सार्वजनिक संवाद पर उठते सवाल

Created on Monday, 27 June 2022 12:07
Written by Shail Samachar

क्या मुकेश अग्निहोत्री के उद्योग मंत्री काल में 73 करोड़ के खर्च में भ्रष्टाचार हुआ है?
यदि हां तो सरकार अब तक चुप क्यों थी?
यदि नहीं तो क्या मुकेश को डराने का प्रयास हो रहा है।
इसी दौरान आये डॉ. रचना गुप्ता के टवीट के मायने क्या हैं

शिमला/शैल। इन दिनों प्रदेश में नेता सत्ता पक्ष और नेता प्रतिपक्ष में सार्वजनिक संवाद जिस स्तर तक पहुंच गया है उसे आम आदमी मर्यादाओं का अतिक्रमण करार दे रहा है। मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष का आपसी संवाद जब मर्यादाए लांघना शुरू कर देता है तो आम आदमी पर उसका प्रभाव बहुत ज्यादा सकारात्मक नहीं रह जाता है। क्योंकि ऐसे संवाद में एक-दूसरे पर ऐसे आरोप अपरोक्ष में लगाये जाते हैं जिन पर न चाहते हुये भी आम आदमी का ध्यान चला जाता है और वह अपने ही स्तर पर अपने निज के लिये ही उनकी पड़ताल करना शुरू कर देता है। ऐसा वह इसलिये करता है कि इन नेताओं की जो तस्वीर उसने अपने दिमाग में बिठा रखी होती है उसका आकलन वह नये सिरे से कर सके। प्रदेश के इन शीर्ष नेताओं में हुये सार्वजनिक संवाद का विषय हेलीकॉप्टर का उपयोग/ दुरुपयोग बना है। यह एक सार्वजनिक सच है कि शायद मुख्यमंत्री की हवाई यात्रा की माइलेज उनकी रोड यात्रा से बढ़ जाये। यह भी सच है कि प्रदेश में सड़कों की सेहत दयनीय है। इनकी मुरम्मत में किस तरह की गुणवत्ता अपनाई जा रही है उसके प्रमाण राजधानी शिमला से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में मिल जायेंगे। कैसे तारकोल मिट्टी पर ही बिछा दिया जा रहा है इसके कई वीडियोस वायरल हो चुके हैं। लोक निर्माण विभाग और पर्यटन का प्रभार मुख्यमंत्री के पास है इसलिये हेलीकॉप्टर पर सबकी नजर चली जाती है। क्योंकि अधिकारियों को यह पता होता है कि मुख्यमंत्री ने तो हवाई मार्ग से ही आना है इसलिये उन्हें सड़कों की जमीनी हकीकत का पता क्यों और कैसे लगेगा। फिर मुख्यमंत्री के गिर्द मंडराने का अवसर भी उन्हीं को मिलता है जो हरा ही हरा दिखाने में पारंगत होते हैं।
ऐसे में जमीन से जुड़े और उसके सरोकारों से बंधे लोगों का हेलीकॉप्टर के उपयोग को लेकर आपस में बातें करना तथा सवाल उठाना स्वभाविक हो जाता है। इन लोगों को यह भी जानकारी रहती है कि मुख्यमंत्री के अतिरिक्त और कौन लोग इस में यात्रा कर लेते हैं। बल्कि एक समय तो जन चर्चा यहां तक रही है कि कुछ लोगों ने तो नाम बदलकर हवाई यात्रा की है। शायद उनके पद के कारण अपने ही नाम से यात्रा करना उनकी निष्पक्षता को प्रभावित करता। ऐसे में हेलीकॉप्टर के उपयोग को लेकर विपक्ष का परोक्ष/अपरोक्ष में सवाल उठाना स्वभाविक हो जाता है। शायद इन सवालों की धार कुछ ज्यादा पैनी हो होती जा रही थी जिस पर मुख्यमंत्री को सार्वजनिक मंच से यह कहना पड़ गया कि यह हेलीकॉप्टर नेता प्रतिपक्ष के टब्बर का नहीं है। मुख्यमंत्री के इस कथन का जवाब नेता प्रतिपक्ष ने भी उसी शैली में देते हुये यह कह दिया कि यह हेलीकॉप्टर न उनके परिवार का है और न ही मुख्यमंत्री के परिवार का। यह प्रदेश सरकार का है और इसके हर उपयोग की जानकारी हर आदमी को जानने का अधिकार है। आरटीआई के माध्यम से यह जानकारीयां मांगी जा सकती हैं। यह जवाब देते हुये नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कह दिया कि यह हेलीकाप्टर सहेलियों के लिए भी नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष के इस जवाब से आहत होकर प्रदेश के वन मंत्री राकेश पठानिया और ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने एक पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष को बिना शर्त माफी मांगने के लिये कहा है। उन्होंने सहेली शब्द को असंसदीय करार देते हुये यह भी कहा है कि उनके पास कानूनी कारवाई करने का भी विकल्प है। राकेश पठानिया ने इसी पत्रकार वार्ता में यह भी आरोप लगाया कि जब मुकेश अग्निहोत्री वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री थे तब उनके क्षेत्र में हुये 73 करोड़ के कार्यों को लेकर भी काफी कुछ मसाला उनके खिलाफ है। पठानिया के मुताबिक इस 73 करोड़ के खर्च में भ्रष्टाचार हुआ है। जिस पर मुकेश अग्निहोत्री के खिलाफ मामला बनता है जो अब तक नहीं बनाया गया है। राकेश पठानिया जयराम सरकार में वन मंत्री हैं और इस सरकार का यह अंतिम वर्ष चल रहा है। आज पठानिया ने जो 73 करोड़ के खर्च में घपला होने का आरोप लगाया है यह आरोप पहली बार लगा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जयराम सरकार के संज्ञान में यह मामला पहले दिन से रहा है। लेकिन यह सरकार इस पर इसलिये चुप रही क्योंकि मुकेश अग्निहोत्री सरकार के खिलाफ शायद इतने आक्रामक नहीं थे। अब जब आक्रमक हुये हैं तब उनके खिलाफ यह मामले याद आ रहे हैं या बनाये जाने की धमकी है यह जो भी हो इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह सरकार इस सिद्धांत पर चलती रही है कि तुम हमें कुछ मत बोलो हम तुम्हें नहीं बोलेंगे। जयराम के मंत्री का यह ब्यान कानून की नजर में बहुत मायने रखता है। आने वाले समय में जनता इसका जवाब अवश्य मांगेगी। अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि जयराम अपने ही मंत्री के इस वक्तव्य का क्या जवाब देते हैं। क्योंकि जनता को यह जानने का हक है कि सही में भ्रष्टाचार हुआ है या मंत्री सार्वजनिक रूप से डरा रहे हैं।
राकेश पठानिया ने मुकेश से बिना शर्त माफी मांगने को कहा है अन्यथा कानूनी विकल्प चुनने की बात की है। लेकिन मुकेश ने अब तक माफी नहीं मांगी है तो क्या पठानिया अदालत जायेंगे? यह देखना दिलचस्प हो गया है। दूसरी ओर मुकेश के ब्यान के बाद संयोगवश प्रदेश लोक सेवा आयोग की सदस्य डॉ. रचना गुप्ता का भी एक ट्वीट आया है। यह मुकेश के ब्यान की प्रतिक्रिया मानी जा रही है। यह ट्वीट भी यथास्थिति पाठकों के सामने रखा जा रहा है। वैसे कानूनी शब्दकोष के मुताबिक सहेली शब्द असंसदीय नहीं है। विश्लेषकों के लिये मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के सार्वजनिक संवाद के दौरान डॉ. गुप्ता के ट्वीट के मायने और संद्धर्भ समझना एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

यह है ट्वीट