अब नागरिक आपूर्ति विभाग की खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने के लगे आरोप

Created on Monday, 13 June 2022 14:04
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार ने विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही खरीदो में पारदर्शिता लाने के लिये ई-टेंडर प्रणाली अपना रखी है। इसके लिए एक ई-पोर्टल तैयार किया गया है। जो भी सामान किसी विभाग ने खरीदना होता है उसका ई-टेंडर पोर्टल पर जारी किया जाता है। इच्छुक बोली दाता उसी प्रणाली में अपना टेंडर भेज देते हैं। बहुत सारे मामलों में टेक्निकल और फाईनाशियल निविदायें अलग-अलग भेजी जाती है। यह निविदायें मिलने पर विभाग पहले टेक्निकल निविदा को खोलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि सारी निविदायें तकनीकी तौर पर सही हैं। जो निविदा तकनीकी आधार पर सही नहीं पायी जाती है उसकी वित्तिय निविदा नहीं खोली जाती है। जो निविदा तकनीकी रूप से सही नहीं पायी जाती है उसके कारण भी ई-पोर्टल पर जारी किये जाते हैं। वित्तीय निविदा में भी यही प्रक्रिया अपनायी जाती है क्योंकि हर बोली दाता का यह जानने का अधिकार रहता है कि किस आधार पर उसे योग्य नहीं पाया गया। यह भी अधिकार रहता है कि वह विभाग के सामने अपना पक्ष रख सके।
स्मरणीय है कि नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा एक करीब 25 करोड़ की खरीद के लिये ई-पोर्टल के माध्यम से ई-टेंडर आमंत्रित किये गये थे। यह टेंडर ल्त्थ्च् के अनुसार 28-4-2022 को खोले जाने थे। लेकिन इनके खोलने का समय बदल दिया गया और इसकी कोई पूर्व जानकारी पोर्टल पर नहीं डाली गयी। इसमें एक लिंकवैल टेलीसिस्टमस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने भी टेंडर डाला था। इसे तकनीकी टेंडर खोलने के बाद अस्वीकार कर दिया गया। लेकिन इस अस्वीकार के कोई भी कारण संबंधित कंपनी को नहीं बताये गये और न ही ई-पोर्टल पर लोड किये गये जबकि कंपनी को यह जानने का अधिकार था। इस संबंध में कंपनी ने सभी संबद्ध अधिकारियों से यह कारण जानने का पूरा प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है।
अब कंपनी में 7-6-2022 को नागरिक आपूर्ति मंत्री को पत्र लिखकर इसकी जांच किये जाने की मांग की है। मंत्री को पत्र लिखने के साथ ही लोकायुक्त, प्रधान सचिव नागरिक आपूर्ति वित्त, आईटी और लीगल सैल को भी इसकी प्रतियां भेजी हैं। सूत्रों के मुताबिक कहीं से भी कोई कारवाई सामने नहीं आयी है। जबकि इससे पहले हर खरीद में पूरी पारदर्शिता अपनायी जाती रही है। जिस कंपनी को काम दिया गया है उसे उत्तर प्रदेश एक करोड़ का जुर्माना लगा चुका है। महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकारें भी अप्रसन्नता व्यक्त कर चुकी हैं। इसी परिदृश्य में हिमाचल का मामला रोचक हो जाता है इसलिये इसे पाठकों के सामने रखा जा रहा है।